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Arora PR
White मै चाहता हु मेरे इस नए गीत के लिए नए छंद . असमान से ऊतरे लेकिन मेरा गीत मेरी इस बात से राज़ी नही.... क्योंकि उसे धरती के साथ. चिपके रहना ज्यादा पसंद हैँ ©Arora PR नया गीत
नया गीत #कविता
read moreseema patidar
White कभी कभी न दोस्ती टूटने से ज्यादा उसका बदल जाना दर्द देता है जब हम खुद समझ नहीं पाते की क्या महसूस कर रहे है हम उनके साथ रहकर भी उन्हें ही Miss कर रहे है एक अजीब सी दूरी हो जाती है,दिल में फासले और यादों में बस पुरानी बातें रह जाती है जिस यारी में गद्दारी भी मंजूर थी,उससे बाते भी अब formal होने लगती है जिसके साथ complet लगता था, कमबख्त अब वो रिश्ता ही बदल गया यह दोस्ती बिना टूटे ही इतनी दूर हो गई की कहने को भी अब कुछ बचा नही है रिश्ते और लोग बदल जाते है सुना तो बहुत है ,पर महसूस हुआ आज है जब वो रहकर भी ,मेरे साथ कहा है जब वो रहकर भी मेरे साथ कहा है......। ©seema patidar दोस्ती
दोस्ती #Motivational
read moreपूर्वार्थ
White दोस्त का कोई gender नहीं होता और दोस्ती का कोई founder नहीं होता मन मिल जाने की बात है सारी कब क्यूँ कहाँ का कोई calender नहीं होता !! बिन कहे देख पाता है तकलीफ दिल की रिश्तों जैसा इसमें कोई Blunder नहीं होता! साथ निभाने की कोई सीमा नहीं होती छोड़ जाने का कोई Wonder नहीं होता ! साथ देते हैं दोस्त आखिरी सांस तक क्यूंकि दोस्ती का कोई Tender नहीं होता ! दोस्त हैं ऑक्सीजन ज़िन्दगी की मगर इस गैस का कोई Cylender नहीं होता ! पहचान लें जो आँख का ऑंसू बारिशों में भी वो दोस्त है कोई All rounder नहीं होता ! खींच लेते हैं दोस्त हर ग़म की चादर इन जैसा कोई Allexender नहीं होता ! लाइफ लाइन हैं दोस्त ज़िन्दगी की और दोस्ती का कोई Gender नहीं होता !! ©पूर्वार्थ #दोस्ती
Gurudeen Verma
White शीर्षक - क्यों आज हम याद तुम्हें आ गये ------------------------------------------------------------- क्यों आज हम याद तुम्हें आ गये। क्यों आज तुम मिलने हमें आ गये।। कल तो नहीं थी तुम्हें मिलने की फुर्सत। क्यों आज तुम मिलने हमें आ गये।। क्यों आज हम याद-----------------------।। देख रहा हूँ तुम्हारी कहाँ हैं निगाहें। मेरा महल देख क्यों भरते हैं आहे।। छूने से डरते थे तुम मुझको कल तो, क्यों आज मिलाने हाथ तुम आ गये।। क्यों आज हम याद------------------।। कल तक की थी तुमने बुराई हमारी। करते हो आज सबसे तारीफ हमारी।। नहीं पूछते थे तुम कल हाल हमारा। क्यों आज बिछाने फूल तुम आ गये।। क्यों आज हम याद------------------।। नहीं था कबूल कल क्यों साथ हमारा। गैरों की बाँहों में था कल हाथ तुम्हारा।। तोड़ा था क्यों तुमने कल ख्वाब हमारा। क्यों आज बनाने साथी तुम आ गये।। क्यों आज हम याद-------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #गीत
PФФJД ЦDΞSHI
गीत...... बजने लगी शहनाईयाँ, चुभने लगी तम्हाईयाँ चाहे तुम्हे गहराईयाँ होने लगी रुसवाईयाँ चारो तरफ है परछाईयाँ,मौत भी लेती अगड़ाईयाँ, जीना भी चाहूं ज़ी ना सकूँ दिल मे बसी है वीरानियाँ...... ©PФФJД ЦDΞSHI #गीत #pujaudeshi