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Gorakhpur Zamzam
White उसको खोने के बाद लगता है वक्त जैसे थम सा गया है। वह गया भी तो ऐसा गया है। जैसे हरा भरा तालाब सुखा सा पड़ गया है। ........................... ©Gorakhpur Zamzam उसके जाने के बाद वक्त ⏱️जैसे थम ☹️सा गया है शायरी✍️ """*******:............🌹🥀.….........******"""" #शायरी #गोरखपुर #GkpZamzam #GorakhpurZam
Kanhaiya Kanhaiya Kanhaiya
White मतलब की ईस दूनया में कोई भी अपना नहीं है ©Kanhaiya Kanhaiya Kanhaiya चांदनी चांद से होती सितारों से नहीं मोहब्बत एक से होती हजारों से नहीं
Poet Maddy
इन ज़ुल्फों के बादल को हटा लो ज़रा, चांद से चेहरे को बाहर निकालो ज़रा......... तुम्हारी तबस्सुम में अलग सी कशिक है, चलो ऐसा करो तुम मुस्कुरालो ज़रा........... ©Poet Maddy इन ज़ुल्फों के बादल को हटा लो ज़रा, चांद से चेहरे को बाहर निकालो ज़रा...... #Cloud#M4p#Face#Moon#Fra#Lips#Smile...........
Gorakhpur Zamzam
इस मौसम में अंधेरा छाने वाला है सुना है! वह आने वाला है माना कि कयामत दूर है ! मगर उसकी कुछ आलमते जो लिखी हुई है ! वो तो जाहिर होने ही वाला है ! जो अब तक नहीं हुआ था अब वो होने ही वाला है ! 🌍( End Soon ) ©Gorakhpur Zamzam #शायरी #Shayari #गोरखपुर #Gkp #Gorakhpur #Up53 #EndSoon #EarthEnd
Gorakhpur Zamzam
कितनी मतलबी होती है दुनिया अक्सर खुद कभी कॉल करती नहीं । और दिख जाये ज़मज़म किसी मोड़ पर तो बोलती है आप कभी दिखते नहीं । 😢 ©Gorakhpur Zamzam #boatclub #Gkp #Gorakhpur #GkpZamzam #गोरखपुर
चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज
जितने लोग मशहूर हुए हैं ,पहले लोगों ने उनके अंदर कमियांँ निकाली। लोगों की सुनकर यह लोग बैठ जाते तो शायद, आज इनको अपनी पहचान नहीं मिल पाती। चेतना कहती है प्रकाश से-- हम संघर्ष करेंगे , आखिरी सांँस तक लड़ेंगे, मेरे जीने का यही तरीका है , "स्वयं से लड़ो दूसरों से नहीं ।"__ चेतना प्रकाश चितेरी, प्रयागराज ५/४/२०२४ , ६:२६ अपराह्न ©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज # स्वयं से लड़ो , दूसरों से नहीं #
Rameshkumar Mehra Mehra
सुनो साबरियां........... भेजना तुम इस बार फाल्गुन में.......! एक रंग जिसमें सजा सकूं......! ! तुम्हारी प्रीत को अपने माथे पै......!!! दूसरा रंग जो मेरे गालों को हया से सुर्ख लाल कर जाए.......!!!! तीसरा जो मेरे अधरों पर हमेशा...!!!!! तुम्हारा प्रेम सजाये..... गुमनाम..... ©Rameshkumar Mehra Mehra # भेजना तुम इस बार फाल्गुन में एक रंग जिसमें सजा सकूं तुम्हारी प्रीत कों ,अपनें माथे पर दूसरा रंग जो मेरे गालों को हटा से सुर्ख लाल कर जाए..
Poet Kuldeep Singh Ruhela
Blue Moon कोई रुखसार से पर्दे को हटा दो मेरे चांदनी को आज जमी पर ला दो मुमकिन हो तो अमावस की रात में मेरे सनम का दीदार करवा दो कही छुप कर बैठा है दूर गगन में बदलो में घिरा हुआ कोई मेरी बात मेरे चांद तक पहुंचा दो आज रुखसार से आसमान का पर्दा हटा दो ! कुलदीप सिंह रुहेला ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #bluemoon कोई रुखसार से पर्दे को हटा दो मेरे चांदनी को आज जमी पर ला दो मुमकिन हो तो अमावस की रात में मेरे सनम का दीदार करवा दो कही छुप क