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अदनासा-
N S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} हम सब भगवान श्री कृष्ण के जीव अंस है, इसीलिए अविनाशी है, अमर सत्ता है, अनन्त है, अनन्त काल से अनन्त काल के लिए, अपने अनन्त जीवन, अपने सत्यस्वरूप, अपने चेतन स्वभाव के कारण हम सभी जीव अपने जीव अंशी की सत्ता पाकर अपने अस्तित्व में विचरण करने के लिए परेरित हैं।। जय श्री राधे कृष्ण जी। ©N S Yadav GoldMine #Night {Bolo Ji Radhey Radhey} हम सब भगवान श्री कृष्ण के जीव अंस है, इसीलिए अविनाशी है, अमर सत्ता है, अनन्त है, अनन्त काल से अनन्त काल के
ARTI DEVI(Modern Mira Bai)
Ankit Singh
“मूक प्राणी के लिए जीवन उतना ही प्रिय है जितना इन्सान के लिए है जैसे ही कोई इन्सान खुशी और दर्द चाहता है वैसे ही अन्य जीव भी चाहते हैं।” ©Ankit Singh मूक प्राणी के लिए जीवन उतना ही प्रिय है जितना इन्सान के लिए है जैसे ही कोई इन्सान खुशी और दर्द चाहता है वैसे ही अन्य जीव भी चाहते हैं #anima
Ankit Singh
“पशु” कोई चीज़ नहीं हैं बल्कि जीवित जीव हैं, जो हमारी करुणा, सम्मान, दोस्ती और समर्थन के योग्य हैं।” ©Ankit Singh “पशु” कोई चीज़ नहीं हैं बल्कि जीवित जीव हैं, जो हमारी करुणा, सम्मान, दोस्ती और समर्थन के योग्य हैं।” #animals
Sangeeta Kalbhor
मी काय म्हणते.. मी काय म्हणतेय तुला कळतेय कुठे तुझ्या ओसाड मनाला पालवी न फुटे जीव थांबला जीव रमला जीव शमला तू नाही रे , नाहीस ,नाहीस जीव जाणिला सहवासासाठी तुझ्या किती मी हरखायचे नानाविध प्रश्नांच्या उतरंडी मी उरकायचे काय मागितले तुला की तू जड झालास माझ्या शब्दांच्या सलोख्यालाही द्वाड झालास आता नकोय तू आणि तुझ्या प्रेमाचा ओलावा मी बरी आणि बरा रे माझ्या अंतरातला कालवा जमले तर जमव एवढे की मला विसरुन जा आला होतास शलाका बनून वारा बनून सरसरून जा.... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #retro मी काय म्हणतेय तुला कळतेय कुठे तुझ्या ओसाड मनाला पालवी न फुटे जीव थांबला जीव रमला जीव शमला तू नाही रे , नाहीस ,नाहीस जीव जाणिला सहव
sumit Jatan
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} अन्तकालीन चिन्तन के अनुसार ही जीव की गति होती है। अत: मनुष्य को हरदम भगवान् श्री कृष्ण का स्मरण करते हुए, अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिये, जिससे अन्तकाल में भगवान् की स्मृति बनी रहे। ©N S Yadav GoldMine #GingerTea {Bolo Ji Radhey Radhey} अन्तकालीन चिन्तन के अनुसार ही जीव की गति होती है। अत: मनुष्य को हरदम भगवान् श्री कृष्ण का स्मरण करते ह
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा जब भी तुम आहार लो , ले लो राधा नाम । रोम-रोम फिर धन्य हो , पाकर राधेश्याम ।। कभी रसोई में नहीं ,करना गलत विचार । भोजन दूषित बन पके , उपजे हृदय विकार ।। प्रभु का चिंतन जो करे , सुखी रखे परिवार । आपस में सदभाव हो , सदा बढ़े मनुहार ।। प्रभु चिंतन में व्याधि जो , बनते सदा कपूत । त्याग उसे आगे बढ़े , वह है रावण दूत ।। प्रभु की महिमा देखिए , हर जीव विद्यमान् । मानव की मति है मरी , चखता उसे जुबान ।। पारण करना छोडिए , विषमय मान पदार्थ । उससे बस उत्पन्न हो , मन में अनुचित अर्थ ।। २९/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा जब भी तुम आहार लो , ले लो राधा नाम । रोम-रोम फिर धन्य हो , पाकर राधेश्याम ।। कभी रसोई में नहीं ,करना गलत विचार । भोजन दूषित बन पके ,