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Neema Pawal
White तू कितनी अनमोल है, मां, ये तो मैं जानती हूं। पर तेरे जाने के बाद , अहसास हुआ, की तेरी कीमत, दुनिया की बदलती नज़रें, हर पल मुझे, बताती हैं। ©Neema Pawal #mothers_day मां की की कीमत।
Anubha "Aashna"
कुछ रिश्ते नामों के मोहताज नहीं होते, परे होते हैं बंधनों के, जो परे होते हैं समय की हर कसौटी के, रिश्ते जिन्हें निभाया नहीं जाता, निभाया जा ही नहीं सकता.. ऐसे रिश्ते जिन्हें जिया जाता है, रिश्ते जो आज़ाद होते हैं मन की तरह.. और साथ रहते हैं धड़कन बनकर आखरी साँस तक.. रिश्ते जो जिए जाते हैं साथ रहकर, दूर होकर, यादें संजो कर.. रिश्ते जो चले आते है लबों पर मुस्कान की तरह खुशी की निशानी बनकर.. रिश्ते जो बसते हैं रूह में.. ऐसा ही रूहानी रिश्ता देने के लिए शुक्रिया.. ©Anubha "Aashna" आपके दिल से निकलने वाली हर दुआ कुबूल हो, उसकी नेमतें इतनी हो की अल्फाज़ शुक्रिया अता न कर सकें। जन्मदिन मुबारक साहिब..❤️
Anuj Ray
सुबह की चाय की चुस्की" एक तुम्हारी चाह जैसे, सुबह की चाय की चुस्की बना देती है दिन मेरा, किरण हो जैसे सूरज की। बिना मांगे ही मिल जाते , अनमोल सागर के खिले मोती काश ! छू करके तुम्हें ,महसूस कर पाता, असल की ज़िन्दगी होती। ©Anuj Ray सुबह की चाय की चुस्की"
HARSH369
मन कि व्यथा मन ही जाने, ना तुम जान सको न मैं जानू क्या मन करवाये क्यू करवाये ये मन ना तुम जान सको ना हि मैं जानू.. बेधड़क बोलता हूं,बेखौफ बोलता हूं रिस्तो के बन्धन को कान्टों पर तोलता हूं जिसके पास जितना पैसा, उसी कि सरकार है बाकि बेकारो के लिये बेकार परिवार है,..! बाकि ये सब क्यूं बनाया भगवान ने ना तुम जान सके ना हि मैं जानू..! मन की व्यथा..मन हि जाने..!! ©SHI.V.A 369 #मन की व्यथा..!! #कविता मन की
Sagar Parasher
ना निकलने दिया एक भी आँसू, जब वो दूर हमसे जा रहे थे। एक एक कदम बढ़ाते हुए, मेरे सपनों को दफ़ना रहे थे। हम-नवाई के मंजर थे हर कहीं, बस हम चलते जा रहे थे। इतनी भी नकारा ना की थी मोहब्बत, जो धोखे हम ये खा रहे थे। ना पलट कर देखा उसने एक बार भी, हम ना नजरें उनसे हटा पा रहे थे। आंखों में उफनता समन्दर था, और वो वादे मुझे याद आ रहे थे। कहते थे धूप हो या फिर हो छांव, हर सुख दुख में साथ निभाएंगे। वो सपना था या ये सपना है, कैसे खुद को हम समझाएंगे। वो जो फ़ूलों से सहेजे थे सपने, कैसे उनको हम दफ़नाएंगे? हंसेगा आलम जब भी देखकर, कैसे उनको हम बतलाएंगे? अब ना सीखा किसी से मैंने लिखना, जाने ज़माना क्या पढ़ लेता है। जब जब लिखता हूँ मैं अपने दर्द को, उसे वो अपनी ही कहानी कहता है। ©Sagar Parasher ना निकलने दिया एक भी आँसू, जब वो दूर हमसे जा रहे थे। _Sagar Parasher 31.03.2024
Sagar Parasher
ना निकलने दिया एक भी आँसू, जब वो दूर हमसे जा रहे थे। एक एक कदम बढ़ाते हुए, मेरे सपनों को दफ़ना रहे थे। हम-नवाई के मंजर थे हर कहीं, बस हम चलते जा रहे थे। इतनी भी नकारा ना की थी मोहब्बत, जो धोखे हम ये खा रहे थे। ना पलट कर देखा उसने एक बार भी, हम ना नजरें उनसे हटा पा रहे थे। आंखों में उफनता समन्दर था, और वो वादे मुझे याद आ रहे थे। कहते थे धूप हो या फिर हो छांव, हर सुख दुख में साथ निभाएंगे। वो सपना था या ये सपना है, कैसे खुद को हम समझाएंगे। वो जो फ़ूलों से सहेजे थे सपने, कैसे उनको हम दफ़नाएंगे? हंसेगा आलम जब भी देखकर, कैसे उनको हम बतलाएंगे? अब ना सीखा किसी से मैंने लिखना, जाने ज़माना क्या पढ़ लेता है। जब जब लिखता हूँ मैं अपने दर्द को, उसे वो अपनी ही कहानी कहता है। ©Sagar Parasher ना निकलने दिया एक भी आँसू, जब वो दूर हमसे जा रहे थे। _Sagar Parasher 31.03.2024
संगीत कुमार
धरती है इतिहासों की धर्म ,ज्ञान के भंडारों की विद्वानों की महानायक की वीरों और बलवानों की भाषा की संस्कृति की अधिकारियों की कर्मवीरों की बिहार है पहचानों की ऋषियो की भगवानों की धर्म और विचारों की धरती है बलिदानो की बिहार तो है सबके सम्मान की ©संगीत कुमार #HappyRoseDay धरती है इतिहासों की धर्म ,ज्ञान के भंडारों की विद्वानों की महानायक की वीरों और बलवानों की भाषा की संस्कृति की अधिकारियों की क
राधे राधे
कास मेरे तन्हाई का आप को यहसास होता । तो शायद मैं भी आप के लिए खास होता जैसे हर सच्चे प्रेमी रहते है एक दूसरे के साथ वैसे मैं भी आप के साथ होता ।। ©Sonu Yadav #mahashivaratri शिवरात्रि की की हार्दिक शुभकामनाएं
Ganesh Din Pal
जिस घर में स्त्री की हंसी गूंजे समझ लेना वह घर कभी भी दरिद्रता का शिकार नहीं होगा। ©Ganesh Din Pal #स्त्री की प्रसन्नता घर की संपन्नता