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Ombir Kajal
म्यूजिक डायरेक्टर कहते थकग्या,वंस अगेन वंस अगेन, सुर और ताल का बेरा कोन्या, बणे फिरैं सैं तानसेन। ना गावण का ढंग आवै, ना फील किते बी टोई पावै, सुनण आले भी तंग आ लिए, सिर मैं हो लिया पेन। ना रियाज का बेरा के हो सै, ना गुरु ज्ञान का भेद, ना पूजी माता सरस्वती, यो संगीत सै जिनकी देन। बाल सभा मै गावण आले, न्यू आजां बणन स्टार, बी सूथरी सूथरी छोरियां, मिलालें उनतै नैन। घर दूर सैं कलाकारी के,मेरी बात पै करो विचार, थोड़ा बहुत तो सीख लयो, फिर पकड़ियो लैन। "ओमबीर काजल" कई बै सोची,चुप रहण की मनै, पर आज तो लिखे बिना, मनै आया कोन्या चैन।। ©Ombir Kajal आज के तानसेन
Jitendra Kumar Som
बीरबल और तानसेन का विवाद तानसेन और बीरबल में किसी बात को लेकर विवाद हो गया। दोनों ही अपनी-अपनी बात पर अटल थे। हल निकलता न देख दोनों बादशाह की शरण में गए। बादशाह अकबर को अपने दोनों रत्न प्रिय थे। वे किसी को भी नाराज नहीं करना चाहते थे, अतः उन्होंने स्वयं फैसला न देकर किसी और से फैसला कराने की सलाह दी। “हुजूर, जब आपने किसी और से फैसला कराने को कहा है तो यह भी बता दें कि हम किस गणमान्य व्यक्ति से अपना फैसला करवाएँ?” बीरबल ने पूछा। “तुम लोग महाराणा प्रताप से मिलो, मुझे यकीन है कि वे इस मामले में तुम्हारी मदद जरूर करेंगे।” बादशाह अकबर ने जवाब दिया। अकबर की सलाह पर तानसेन और बीरबल महाराणा प्रताप से मिले और अपना-अपना पक्ष रखा। दोनों की बातें सुनकर महाराणा प्रताप कुछ सोचने लगे, तभी तानसेन ने मधुर रागिनी सुनानी शुरू कर दी। महाराणा मदहोश होने लगे। जब बीरबल ने देखा कि तानसेन अपनी रागिनी से महाराणा को अपने पक्ष में कर रहा है तो उससे रहा न गया, तुरन्त बोला—”महाराणाजी, अब मैं आपको एक सच्ची बात बताने जा रहा हूं, जब हम दोनों आपके पास आ रहे थे तो मैंने पुष्कर जी में जाकर प्रार्थना की थी कि मेरा पक्ष सही होगा तो सौ गाय दान करूंगा; और मियां तानसेन जी ने प्रार्थना कर यह मन्नत मांगी कि यदि वह सही होंगे तो सौ गायों की कुर्बानी देंगे। महाराणा जी अब सौ गायों की जिंदगी आपके हाथों में है।” बीरबल की यह बात सुनकर महाराणा चौंक गए। भला एक हिंदू शासक होकर गो हत्या के बारे में सोच कैसे सकते थे। उन्होंने तुरन्त बीरबल के पक्ष को सही बताया। जब बादशाह अकबर को यह बात पता चली तो वह बहुत हंसे। ©Jitendra Kumar Som #girl बीरबल और तानसेन का विवाद
Badri sharma
follow me on Instagram - (😂 बाबा तानसेन 😂) धन्यवाद 🙏
Navonmeshi_Raaj
अजी यूँ रुठा न कीजिए कि मुश्क़िल हो जाती है शहर-ए-मौसिकी भी ख़ामोश दिल हो जाती है| ✍-राजकुमारी शहर-ए-मौसिकी-*ग्वालियर, जिसे संगीत की गंगोत्री कहा जाता है..संगीत सम्राट तानसेन की नगरी💕 #nojoto #nojotohindi #quotes
परवाज़ हाज़िर ........
#birthday#rafi#sir #baar#baar#din#yeh #aaye .......... आपका हर #नगमा मधुर याद हे ...... गायन मे आपकी एक अलग ही #स्वाद हे . ... आपके नगमो मे #तानसेन का राग ह
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
रुई के फाहे जैसे बिखर रहे हों और लिख रहे हों ख़्याल आसमान में बसे किसी शायर का मैं पढ़ रहा हूँ उसकी लिखावट बैठा ज़मीन पर मैं बुन रहा हूँ ख़्वाब उसकी नूरानी आहट का सच है वो कहते हैं के बादल क़ुदरत के क़िताब होते हैं जहाँ लिखता है क़लमा बारिश की स्याह क़लम से आफ़ताब और हवाएं किसी तिलिस्मी पेंट ब्रश से जैसे बुनती हैं रोज़ तस्वीर जो किसी डाकिये से पहुंचाते हैं मुहब्बत के ख़त प्रेमियों के बीच जहाँ कालिदास के मेघदूत तानसेन के मल्हार में पिघल जाया करते हैं बादल रेगिस्तान का मरहम , सन्नाटे की दवा और इंसानी रूह का इलाज भी होते हैं ~अंकुर #रुई के फाहे जैसे बिखर रहे हों और लिख रहे हों ख़्याल आसमान में बसे किसी शायर का मैं पढ़ रहा हूँ उसकी लिखावट बैठा ज़मीन पर मैं बुन रहा हूँ ख़्वाब
Prashant Singh
आंख अनारक्षित है तुम पर और होंठ प्रतिबंधित हैं। वो बातें हैं पहुंच से बाहर जो तुमसे सम्बन्धित हैं।। तुमसे सारे ख्वाब स्वर्ण हैं तुमसे ही मा
Prashant Badal
"मेरी जिंदगी है वो" जिंदगी में आई वो मेरे जैसे हौले हौले चलती हवा हो वो भोर हुआ जीवन में मेरे जैसे सूरज की पहली किरण हो वो स्वर उसके इतने मधुर जैसे कोयल करती कुहू कुहू चमक चेहरे की उसके ,जैसे पूनम का चांद हो वो वो जिंदगी में आई मेरे जैसे हौले हौले चलती हवा हो वो मेरे जीवन के मझधार में , बनके जैसे आया चप्पू हो वो सर्दी की रातों में मेरी,जैसे कड़क चाय हो वो नींदों के ख्वाबों में वो ,जैसे प्यारा सा एहसास है वो बनी हृदय की धड़कन मेरी ,जैसे जिस्म के नसो में रक्त संचार है वो अंधेरे में भी हर वक्त है पाया,जैसे मेरी ही परछाई है वो गुस्से में वो इतनी गर्म, जैसे सर्दियों में जलती हुई आग हो वो प्यार में वो इतनी नर्म ,जैसे तानसेन का राग हो वो गर्मियों की धूप में छाव सी वो,जैसे कोई राह किनारे पेड़ हो वो स्वभाव बिल्कुल भोला सा ,जैसे सावन के झूले हो मुस्कराए तो जन्नत सी लगे,जैसे कश्मीर की बर्फ हो वो जिद उसकी इतनी प्यारी, जैसे कोई मासूम सा बच्ची हो वो जिंदगी में आई वो मेरे जैसे हौले हौले चलती हवा हो वो भोर हुआ जीवन में मेरे जैसे सूरज की पहली किरण हो वो स्वर उसके इतने मधुर जैसे कोयल करती क
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
जन गन मन में हुआ समाहित , भारत का अभिमान । जिसकी संप्रभुता का करते , निशिदिन हम गुणगान ।। यही आलोकिक शक्ति रहती , यही अवतरित राम सुन राधा से रास रचाते ,दिखते हैं घनश्याम ।। यही वह भारत भूमि देखो , जिसकी है यह शान । इसके कण-कण में है दिखता , हमारा स्वाभिमान ।। जन गन मन में हुआ समाहित ....। रंग अलग हैं रूप अलग है , लेकिन उच्च विचार । जीव-जन्तु से प्यार यही है , गाते सब मलहार । पक्षी की कलरव में खोजे , तानसेन की तान । नर नारी के प्राण प्रिये हैं , दिलवाती पहचान ।। जन गन मन में हुआ समाहित... खण्ड-खण्ड से अखण्ड देखो , भारत आज विशाल । जाति धर्म से ऊपर उठकर , बुनता अपना जाल ।। वीरो और जवानों से ही , बढ़े तिरंगा शान । हाथ बटाता है बढ़कर वह , देखो खड़ा किसान ।। जन गन मन में हुआ समाहित ..... निर्भिक होकर आगे बढ जा , दुश्मन बैठा घात । चौकन्ना रहना तू हर पल , सुनकर मेरी बात ।। संग सितारों के ही चमके , भारत का अभिमान । बलिदानों की यह धरती है , जाँ तक है कुर्बान ।। जन गन मन में हुआ समाहित...... जन गन मन में हुआ समाहित , भारत का अभिमान । जिसकी संप्रभुता का करते , निशिदिन हम गुणगान ।। २६/०१/२०२३ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR #RepublicDay 🙏🌹सादर समीक्षार्थ🌹🙏 विषय - गणतंत्र दिवस विधा - सरसी छन्द जन गन मन में हुआ समाहित , भारत का अभिमान । जिसकी संप