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Shashi Bhushan Mishra
अंधेरे से मिलना तो सौगात लेकर, उजाले का तोहफ़ा मुलाकात लेकर, किसी का बने दिन कोई हो न बेबस, बिना बात के भी कोई बात लेकर, सजे स्वप्न में भी ख़ुशी चाँदनी की, मिलना मिलाना हो जज़्बात लेकर, अगर कोई टूटा हुआ दिल मिले तो, दिलासे से भर देना बरसात लेकर, ज़ुदाई की पीड़ा भी पहचान लेना, मधुमास आता है शुरुआत लेकर, कभी हार से मत परेशान होना, बदलेगी क़िस्मत शह-मात लेकर, 'गुंजन' भरोसे का है खेल सारा, हुआ है करिश्मा अकस्मात लेकर, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #उजाले का तोहफ़ा#
Parasram Arora
कोई पुरखो को पानी पहुंचा रहा हैँ कोइ गंगाओ मे पाप धो रहा हैँ कोई पथर की प्रतिमाओं के सामने बिना भाव सर झुकाये बैठा हैँ धर्म के नाम पर हज़ार तरह की मूढ़ताएं प्रचलन मे हैँ धर्म से संबंध तो तब होता हैँ जब आदमी जागरण की गुणवत्ता हासिल कर लेता हैँ जहाँ जागरण होगा वहा अशांति कभी हो ही नहीं सकती क्यों कि जाग्रत आदमी विवेकी होता हैँ इर्षा क्रोध की वृतियो से ऊपर उठ चुका होता हैँ औदेखा जाय तो धर्म औऱ शांति पर्यायवाची शब्द हैँ धर्म औऱ शांति...... पर्यायवाची शब्द हैँ
Deepali Singh
तोहफा दिवाली का तु मान को क्या समझेगा नवाजा है जो अपमान हमेशा दिवाली का ख़ास उपहार दिया तोहफा तो बड़ा यादगार दिया आज के दिन जो आग लगाया यूँ खुद को तुने क्यों जलाया सीरत अपनी जो बेशर्म बनाये किरदार ये तुझपर खुब भाये अदाकारी भी बखूबी निभाया अकड़ से क्या रुआब दिखाया जूते चप्पालों से मान बढ़ाया गिर गया इतना सबको दिखाया थप्पड़ उठाकर औकात बताया गुर्राते आँखों ने ज़ोर धमकाया इतना भयावह रूप ना भाये डर लगता है तुझसे ऐ विधाता मेरे जो नग्नता अपनी शर्मशार कराये कैसे उससे हम नज़रें मिलाएँ क्या मिलता है यूँ पेश आके होश न खो तु जोश में आके वक़्त है अभी ख़ुद संभल ले फ़िर वक़्त न देगा तुझे संभलने बड़ी बेशर्मी से है सबको तु घेरे मुझे तो घिन्न आती है नाम से तेरे ©Deepali Singh तोहफ़ा दिवाली का
Parasram Arora
खून को पानी का पर्यायवाची मत मान. लेना अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै उस बसती मे सच बोलने का रिवाज नही है यहां कोई भी आदमी सच.को झूठ बना कर पेश कर सकता है ताउम्र अपना वक़्त दुसरो की भलाई मे खर्च करता रहा वो ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही सकता है ©Parasram Arora पर्यायवाची......
Rishav Sah
मेरे जन्मदिन में उन्होंने पुछा क्या तोहफ़ा चाहीए अब उन्हें कौन बताए की ताह़ उम्र उनका साथ चहिए।।। ©Rishav Sah #तोहफ़ा
CK JOHNY
बेहतरीन साथी है तेरी जुदाई के गम जिसने कभी तन्हा रहने ही न दिया। और हसीन तोहफ़ा क्या होगा ज़िंदगी का। तोहफ़ा
manoj kumar jha"Manu"
धरती का दुःख क्यों, समझते नहीं तुम। धरा न रही अगर, तो रहोगे नहीं तुम।। सुधा दे रही है वसुधा हमें तो, भू को न बचाया, तो बचोगे नहीं तुम।। "भूमि हमारी माता, हम पृथिवी के पुत्र"* वेदवाणी कह रही, क्या कहोगे नहीं तुम।। (स्वरचित) * माता भूमि: पुत्रो अहं पृथिव्या: (अथर्ववेद १२/१/१२) धरती का दुःख हम नहीं समझेंगे तो कौन समझेगा। इसमें धरती के पर्यायवाची शब्द भी हैं।