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Anuj Ray
White दुनिया " लूट खोर बदमाश लुटेरों को , इक दिन ये "दुनिया" सबक सिखाती है। जब ताल ठोक के सत्य जयी होता है ,ये "दुनिया" भौंचक्की रह जाती है। कंस दशानन दुर्योधन जैसों की भी , एक-एक करके एक दिन सब की बारी आती है। चक्र समय का चलता रहता सदा निरंतर, पाप कर्मों की सज़ा यहीं मिल जाती है। ©Anuj Ray #दुनिया "
Dr. Satyendra Sharma #कलमसत्यकी
#lovebeat रोटी दाल सब्जी मे सनी हुयी ये दुनिया #कलमसत्यकी ✍️©️ #शायरी
read moresanjay Yadav
मतलब के इस दुनिया मे कोनअपना पराया है जिसे समझा था अपना आज वहि हमसे बेगाना है ©sanjay Yadav #intezaar मत्लब के इस दुनिया मे
#Lifechanger
आपकी वैल्यू किसी की जरूरत तक ही हैं आपकी वैल्यू उस दिन खतम जिस दिन किसी की जरूरत खतम ©#Lifechanger लालची दुनिया
लालची दुनिया #Life
read moreमनोज कुमार झा "मनु"
चाँद अब न रात में और न दिन में दिखायी देता है।। अब केवल हमारी आँखों में आँसू दिखायी देता है।। वो फूल था और मैं उसके ही साथ था मगर, चारों ओर केवल अब रेगिस्तान दिखायी देता है ।। साथ था वो तो कितना अच्छा लगता था, मगर अब सारा शहर वीरान दिखायी देता है।। सब कुछ पता है मुझे उन लोगों के बारे में, पीठ पीछे जो मेरी बुरायी करता दिखायी देता है।। उसके हंसने से दिन खिला खिला सा रहता था, अब लेकिन मन भी उदास दिखायी देता है।। "मनु" तुम उसे भुला न देना चाहे वो तुम्हें भुलाये, उसकी यादों से भी तो मन प्रसन्न दिखायी देता है।। ©मनोज कुमार झा "मनु" तुम उसे भुला न देना
तुम उसे भुला न देना #विचार
read moreShashi Bhushan Mishra
Meri Mati Mera Desh हम अपनी रंजिशें भुला न सके, खफ़ा हैं उनसे बता न सके, ग़ुरूर सामने खड़ा मिलता, चाहकर हाथ मिला न सके, एक पर्दा हमारे दरमियाँ था, पास आए मगर उठा न सके, मिली मग़रूर आँधियाँ जब भी, मशाल थे कि झिलमिला न सके, हरेक लौ से ज़ीस्त चमकाई, खिजां भी हौसला गिरा न सके, दुआओं में थी ख़ैरियत सबकी, प्यार था ये कभी जता न सके, देखकर हाथ में मरहम 'गुंजन', ज़ख़्म अपना कभी छुपा न सके, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #भुला न सके#
Manish Raaj
दुनिया ------ दुनिया के बाज़ार में दुकां देखा मकां देखा इंसानियत की पनाह देखी हैवानियत बेपनाह देखा रूह काँप जाए वो ठोकर देखी किसी को किसी का होते देखा और सब कुछ खोते देखा कभी इंसां को ख़ुदा होते देखा किसी को गुनाह के बीज बोते देखा कहीं हद पार करती सरहदें देखी किसी को दबते और दबाते देखा किसी ने तलब से किसी ने मतलब से देखा मामूली काम से एक मुक़ाम तक का सफर देखा कभी गिरते और गिराते देखा शर्मसार कर दे वो मंज़र भी तमाम देखा ग़रीब के ज़हन में अमीरी की लक़ीर देखी अमीरी की सोहबत में फ़क़ीर देखा ख़ुदा की नेमत को इंसानी तराजू में तौलते देखा नफा-नुक़सान की भट्टी में खौलते देखा चारों पहर साँस का ज़िंदगी पर पहरेदारी देखी दुनियाभर में ख़ुदा की कारीगरी और ज़िंदगी गढ़ते कलाकार की कलाकारी देखी मनीष राज ©Manish Raaj #दुनिया