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Drjagriti
स्त्री ईश्वर की एक ऐसी रचना है जो है तो बहुत सरल किंतु रहस्य बना दी जाती है जो छोटी सी भावनाओं से खुश हो जाती है किंतु वही छोटी भावनाएं किसी को नजर कहां आती है वह उपकारों और उपहार के बोझ से दबा दी जाती है जबकि वह सिर्फ सम्मान से ही स्वयं को परिपूर्ण पाती है मन की खुशी पाने के लिए संघर्ष करती है किंतु जीवन भर कर्तव्यों के भर से दबी रहती है इच्छाएं बहुत प्रबल है किंतु प्रबलता दिखाई नहीं देती है सुलझाई जाए तो यह पहेली बहुत सरल बन जाती है पंख तो बड़े हैं सपनों के किंतु यह स्वयं उनका भार नहीं उठा पाती है ईश्वर की यह सरल सी रचना सदैव रहस्य नजर आती है ©Drjagriti # स्त्री एक गूढ़ रहस्य
Mahfuz nisar
शून्य में एक प्रकाश, नीला खुला आकाश , दो आपस में क्रीड़ा करते जुगनू के जोड़े, जीवन की महत्ता का सत्संग, अँधेरे को चिरती बरसाती रातों की बिजली, निहित द्वेष और शंका का मिश्रण, मूल्य की ख्याति को उत्साहित नरेश, आकार सबका ब्रह्मांड जितना होता है, तलहटी में छुपे गूढ़ रहस्य की तरह, सबकुछ शब्द में शब्द का संस्करण है। ✍महफूज़ शून्य में एक प्रकाश, नीला खुला आकाश , दो आपस में क्रीड़ा करते जुगनू के जोड़े, जीवन की महत्ता का सत्संग, अँधेरे को चिरती बरसाती रातों की बिजल
Unconditiona L💓ve😉
"ये उन दिनों की बात है" कुछ यादें सजा रखे है उन दिनों की जब मुझे ख़ुश होने के लिए, किसी को ख़ुश करने की ज़रूरत नहीं होती थी बस होती थी तो सच्ची वाली फ़िक्र! सुबह माँ की डाँट और शाम को किसी कूचे पे दोस्तों के साथ जिक्र! आओ ले चलू आपको, उस बचपन की यादों के धूल में जो आपको मिट्टी की तरह अपनी सोंधी खुशबू से सुकून दें जाएगी l 🌺ये उन दिनों की बात है 🌺 😃 *पहले भटूरे को फुलाने के लिये उसमें Eno डालिये .....* *फिर भटूरे से फूले पेट को पिचकाने के लिये Eno पीजिये* ज
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} (Om Namah Shivay) अमरनाथ धाम से जुडी शिव-पार्वती कथा एक बार देवी पार्वती ने देवों के देव महादेव से पूछा, ऐसा क्यों है कि आप अजर हैं, अमर हैं लेकिन मुझे हर जन्म के बाद नए स्वरूप में आकर, फिर से बरसों तप के बाद आपको प्राप्त करना होता है । जब मुझे आपको पाना है तो मेरी तपस्या और इतनी कठिन परीक्षा क्यों? आपके कंठ में पडी़ नरमुंड माला और अमर होने के रहस्य क्या हैं? महादेव ने पहले तो देवी पार्वती के उन सवालों का जवाब देना उचित नहीं समझा, लेकिन पत्नीहठ के कारण कुछ गूढ़ रहस्य उन्हें बताने पडे़। शिव महापुराण में मृत्यु से लेकर अजर-अमर तक के कर्इ प्रसंंग हैं, जिनमें एक साधना से जुडी अमरकथा बडी रोचक है। जिसे भक्तजन अमरत्व की कथा के रूप में जानते हैं। हर वर्ष हिम के आलय (हिमालय) में अमरनाथ, कैलाश और मानसरोवर तीर्थस्थलों में लाखों श्रद्घालु पहुंचते हैं। सैकडों किमी की पैदल यात्रा करते हैं, क्यों? यह विश्वास यूं ही नहीं उपजा। शिव के प्रिय अधिकमास, अथवा आषाढ़ पूर्णिमा से श्रावण मास तक की पूर्णिमा के बीच अमरनाथ की यात्रा भक्तों को खुद से जुडे रहस्यों के कारण और प्रासंगिक लगती है। पौराणिक मान्याताओं के अनुसार, अमरनाथ की गुफा ही वह स्थान है जहां भगवान शिव ने पार्वती को अमर होने के गुप्त रहस्य बतलाए थे, उस दौरान उन ‘दो ज्योतियों’ के अलवा तीसरा वहां कोर्इ प्राणी नहीं था । न महादेव का नंदी और नही उनका नाग, न सिर पे गंगा और न ही गनपति, कार्तिकेय….! सबसे पहले नंदी को पहलगाम पर छोड़ा महादेव ने :- गुप्त स्थान की तलाश में महादेव ने अपने वाहन नंदी को सबसे पहले छोड़ा, नंदी जिस जगह पर छूटा, उसे ही पहलगाम कहा जाने लगा। अमरनाथ यात्रा यहीं से शुरू होती है। यहां से थोडा़ आगे चलने पर शिवजी ने अपनी जटाओं से चंद्रमा को अलग कर दिया, जिस जगह ऐसा किया वह चंदनवाडी कहलाती है। इसके बादगंगा जी को पंचतरणी में और कंठाभूषण सर्पों को शेषनाग पर छोड़ दिया, इस प्रकार इस पड़ाव का नाम शेषनाग पड़ा। अगले पड़ाव पर गणेश छूटे :- अमरनाथ यात्रा में पहलगाम के बाद अगला पडा़व है गणेश टॉप, मान्यता है कि इसी स्थान पर महादेव ने पुत्र गणेश को छोड़ा। इस जगह को महागुणा का पर्वत भी कहते हैं। इसके बाद महादेव ने जहां पिस्सू नामक कीडे़ को त्यागा, वह जगह पिस्सू घाटी है। और शुरू हुर्इ शिव-पार्वती की कथा :- इस प्रकार महादेव ने अपने पीछे जीवनदायिनी पांचों तत्वों को स्वंय से अलग किया। इसके पश्चात पार्वती संग एक गुफा में महादेव ने प्रवेश किया। कोर्इ तीसरा प्राणी, यानी कोर्इ कोई व्यक्ति, पशु या पक्षी गुफा के अंदर घुस कथा को न सुन सके इसलिए उन्होंने चारों ओर अग्नि प्रज्जवलित कर दी। फिर महादेव ने जीवन के गूढ़ रहस्य की कथा शुरू कर दी। कथा सुनते-सुनते सो गर्इं पार्वती, कबूतरों ने सुनी :- कहा जाता है कि कथा सुनते-सुनते देवी पार्वती को नींद आ गर्इ, वह सो गर्इं और महादेव को यह पता नहीं चला, वह सुनाते रहे। यह कथा इस समय दो सफेद कबूतर सुन रहे थे और बीच-बीच में गूं-गूं की आवाज निकाल रहे थे। महादेव को लगा कि पार्वती मुझे सुन रही हैं और बीच-बीच में हुंकार भर रही हैं। चूंकि वैसे भी भोले अपने में मग्न थे तो सुनाने के अलावा ध्यान कबूतरों पर नहीं गया। वे कबूतर अमर हुए और अब गुफा में होते हैं उनके दर्शन :- दोनों कबूतर सुनते रहे, जब कथा समाप्त होने पर महादेव का ध्यान पार्वती पर गया तो उन्हें पता चला कि वे तो सो रही हैं। तो कथा सुन कौन रहा था? उनकी दृष्टि तब दो कबूतरों पर पड़ी तो महादेव को क्रोध आ गया। वहीं कबूतर का जोड़ा उनकी शरण में आ गया और बोला, भगवन हमने आपसे अमरकथा सुनी है। यदि आप हमें मार देंगे तो यह कथा झूठी हो जाएगी, हमें पथ प्रदान करें। इस पर महादेव ने उन्हें वर दिया कि तुम सदैव इस स्थान पर शिव व पार्वती के प्रतीक चिह्न में निवास करोगे। अंतत: कबूतर का यह जोड़ा अमर हो गया और यह गुफा अमरकथा की साक्षी हो गर्इ। इस तरह इस स्थान का नाम अमरनाथ पड़ा। मान्यता है कि आज इन दो कबूतरों के दर्शन भक्तों को होते हैं। अमरनाथ गुफा में यह भी प्रकृति का ही चमत्कार है कि शिव की पूजा वाले विशेष दिनों में बर्फ के शिवलिंग अपना आकार ले लेते हैं। यहां मौजूद शिवलिंग किसी आश्चर्य से कम नहीं है। पवित्र गुफा में एक ओर मां पार्वती और श्रीगणेश के भी अलग से बर्फ से निर्मित प्रतिरूपों के भी दर्शन किए जा सकते हैं। एन. एस. यादव। रोहिणी दिल्ही।। ©N S Yadav GoldMine {Bolo Ji Radhey Radhey} (Om Namah Shivay) अमरनाथ धाम से जुडी शिव-पार्वती कथा एक बार देवी पार्वती ने देवों के देव महादेव से पूछा, ऐसा क्यों ह
Unconditiona L💓ve😉
🇮🇳जय हिन्द 🌺जय भारत 🇮🇳 ❂══════════════════════════════════❂ मेरे प्रिय_❤_भारतवासियों को #गणतंत्र_दिवस की अशेष शुभकामनायें 💐🌺🌷🎉🎉🥳🥳🇮🙏🇮जय हिन्द 🇮🇳जय भारत 🙏!!!
Madhur Nayan Mishra
एक आग मै दिल में लिए घूमता हूं, जो तुम्हें तो रोशन करता है मगर, मुझे हर वक्त जलाता है... ©Madhur Nayan Mishra गूढ़...
Miss mishra
प्यार हो ही जाता है एक न एक दिन ये तो सबको ही पता है पर होता ही क्यों है?? इस बात का ही तो पता लगाना है दिमाग में दिल नही और दिल में दिमाग नही फिर ये दिल का रिश्ता दिमाग को क्यों और कैसे कन्टरोल कर लेता है?? -एकता मिश्रा #गूढ़ बात #InspireThroughWriting