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Parasram Arora
कोई पुरखो को पानी पहुंचा रहा हैँ कोइ गंगाओ मे पाप धो रहा हैँ कोई पथर की प्रतिमाओं के सामने बिना भाव सर झुकाये बैठा हैँ धर्म के नाम पर हज़ार तरह की मूढ़ताएं प्रचलन मे हैँ धर्म से संबंध तो तब होता हैँ जब आदमी जागरण की गुणवत्ता हासिल कर लेता हैँ जहाँ जागरण होगा वहा अशांति कभी हो ही नहीं सकती क्यों कि जाग्रत आदमी विवेकी होता हैँ इर्षा क्रोध की वृतियो से ऊपर उठ चुका होता हैँ औदेखा जाय तो धर्म औऱ शांति पर्यायवाची शब्द हैँ धर्म औऱ शांति...... पर्यायवाची शब्द हैँ
नीर _नादान
वो क्या कह रहे थे तुम,.... शब्द सुनने हैं, शेर लिख दूं ? शेर सुनने हैं, कुछ ढेर लिख दूं? क्या ? दिल ऊब गया, अब ? मोती पड़े हैं संदूक में, गीत लिख दूं ? अच्छा अच्छा, ये सुनो... अय्यारी करोगे, जान दांव पर रख दूं , नाराज़ मत हो, ये बताओ... सिर्फ़ एक ही इश्क़ करोगे अगर, तो ज़िंदगी की किताब के हर पन्ने पर तारीख के बगल में तुम्हारा नाम लिख दूं ? हाए...... ऐसे शर्माओगे अब ... अच्छा ज़ुल्फ ज़रा आहिस्ता झटको, इनके साए में सूरज छिपा कर, धुंधली सी सवेर लिख दूं ? शब्द अच्छे लगे ? शहर हूं नादान सा.. चंद अल्फाजों को आपके हुज़ूर कर दूं ? ©नीर _नादान #शब्द #शेर #हुज़ूर
Parasram Arora
खून को पानी का पर्यायवाची मत मान. लेना अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै उस बसती मे सच बोलने का रिवाज नही है यहां कोई भी आदमी सच.को झूठ बना कर पेश कर सकता है ताउम्र अपना वक़्त दुसरो की भलाई मे खर्च करता रहा वो ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही सकता है ©Parasram Arora पर्यायवाची......
manoj kumar jha"Manu"
धरती का दुःख क्यों, समझते नहीं तुम। धरा न रही अगर, तो रहोगे नहीं तुम।। सुधा दे रही है वसुधा हमें तो, भू को न बचाया, तो बचोगे नहीं तुम।। "भूमि हमारी माता, हम पृथिवी के पुत्र"* वेदवाणी कह रही, क्या कहोगे नहीं तुम।। (स्वरचित) * माता भूमि: पुत्रो अहं पृथिव्या: (अथर्ववेद १२/१/१२) धरती का दुःख हम नहीं समझेंगे तो कौन समझेगा। इसमें धरती के पर्यायवाची शब्द भी हैं।
Jogendra Singh writer
आपके अनुसार Nojoto का पर्यायवाची क्या है Answer in comment section ©Jogendra Singh Rathore 6578 nojoto ka पर्यायवाची #Light
सखा आशुतोष
नहीं तुमसे कोई उलझन नहीं है ,बस इतना है अब मेरा वो मन नहीं है ,मैं अपने आप को समझा रहा हूं ,तुम्हें लेकर कोई उलझन नहीं है| शेर शायर का
Noor Nizami
यह हंसी घटा के रिमझिम कोई गीत गा रही है तेरी चूड़ियों की छन छन मुझे याद आ रही है मेरा दिल जलाया अक्सर यह वही तो है सितमगर मेरे कब्र के सीधने में जो दीए जला रही है गजल का शेर
Ravi Kumar
यूं ही तड़पाके मत मारो अरे तलवार मर दो हम तो यू ही मर जाएंगे बस एक बार आख मार दो ©Ravi Kumar सायरो का शेर