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सुशांत राजभर
लिखूंगा अल्फाज़ मगर मौन मेरी भाषा होगी मौनरुपी भाषा ही मेरे प्रेम की परिभाषा होगी ©सुशांत राजभर #भाषा #परिभाषा लिखूंगा अल्फाज़ मगर मौन मेरी भाषा होगी मौनरुपी भाषा ही मेरे प्रेम की परिभाषा होगी
वीर
आज इस संसार में हर इंसान किसी ना किसी से प्रेम कर रहा है मगर वह है यह भूल जाते हैं की प्रेम किस करना हैं ईश्वर और प्रकृति यह कुछ लेता नहीं है देता है वहीं दूसरी तरफ इंसानों से प्रेम करने पर दुख के अलावा कुछ नहीं मिलता हैं ©वीर #boatclub प्रेम की परिभाषा का मतलब 🕉️🙏🏻
Anup ji star
jala dalo UN vicharon ko jisse khud ka bhi aur dusron ka Bura hota Ho jila dalo use nirbalta ko jisse jivan mein bhay ka dar Laga rahata hai jala dalo use Krodh ko jisse buddhi ka vinash hota hai ©Anup Dwivedi #holikadahan आज का दिन हमें अनेकों ज्ञान की परिभाषा बताता है
Rameshkumar Mehra Mehra
प्रेम की परिभाषा........ की कोई भाषा नही होती है....! यह एक रूहानी एहसास है...!! जिसे सिर्फ और सिर्फ............!!! महसुस कर सकते है......💓 ©Rameshkumar Mehra Mehra # प्रमे की परिभाषा, की कोई भाषा नही होती है, यह एक रूहानी एहसास है, जिसे सिर्फ और सिर्फ, महसूस कर सकते है.....💕
Anjali Singhal
Mahadev Son
White जीवन की परिभाषा चार लक्ष्यों को प्राप्त करना धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष धर्म - सदाचार, उचित, नैतिक जीवन काम - चारों लक्ष्यों को पूर्ण करना है अर्थ - भौतिक समृद्धि, आय सुरक्षा, जीवन के साधन इन तीनों के लिये सभी निरंतर प्रयास करते... मोक्ष के लिये सोचते भी नहीं क्योंकि मुश्किल या मालूम ही नहीं.... मोक्ष - मुक्ति, आत्म-साक्षात्कार। जीवन की अंतिम परिणति है। मोक्ष आत्मा को भौतिक संसार के संघर्षों और पीड़ा से मुक्त करता है! आत्मा को जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म के अंतहीन चक्र से मुक्त करता है! ©Mahadev Son जीवन की परिभाषा चार लक्ष्यों को प्राप्त करना धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष धर्म - सदाचार, उचित, नैतिक जीवन काम - चारों लक्ष्यों को पूर्ण करना ह
Madhu Singh
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई । हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंचन तन हमको भाया ।। नागिन बन रजनी है डसती । सखी सहेली हँसती तकती ।। कौन जगत में है अब अपना । यह जग तो है झूठा सपना ।। आस दिखाए राह न पाये । सच को बोल बहुत पछताये ।। यह जग है झूठों की नगरी । बहु तय चमके खाली गगरी ।। देख-देख हमहूँ ललचाये । भागे पीछे हाथ न आये ।। खाया वह मार उसूलो से । औ जग के बड़े रसूलों से ।। पाठ पढ़ाया उतना बोलो । पहले तोलो फिर मुँह खोलो ।। आज न कोई उनसे पूछे । जिनकी लम्बी काली मूछे । स्वेत रंग का पहने कुर्ता । बना रहे पब्लिक का भुर्ता ।। बन नीरज रवि रहा अकाशा । देता जग को नित्य दिलाशा । दो रोटी की मन को आशा । जीवन की इतनी परिभाषा ।। लोभ मोह सुख साधन ढूढ़े । खोजे पथ फिर टेढे़ मेंढ़े । बहुत तीव्र है मन की इच्छा । भरे नहीं यह पाकर भिच्छा ।। राधे-राधे रटते-रटते । कट जायेंगे ये भी रस्ते । अपनी करता राधे रानी । जिनकी है हर बात बखानी । प्रेम अटल है तेरा मेरा । क्या लेना अग्नी का फेरा । जब चाहूँ मैं कर लूँ दर्शन । कहता हर पल यह मेरा मन ।। २४/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई । हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंच
Sethi Ji
White 💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗 💗 खोया आरमान , सोया आसमान 💗 💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗 आज चाँद भी सो गया मेरी राह देखते-देखते मैं तन्हा रह गया दुनिया ऐ ज़िन्दगी तुझे सिखते-सिखते कितना लिखूं तेरी सादगी के बारे में ऐ मेरे दिलशीन मैं खुद इश्क़ हो गया मेरे सनम तुझको लिखते-लिखते सोया आसमान हैं , खोया सारा जहान हैं मैं खुद ख़ुदा हो गया इंसानों को परखते-परखते 💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞💞 🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️🏵️ ©Sethi Ji 🩷🩷 मोहब्बत का गुनाह 🩷🩷 🩷🩷 मोहब्बत की पनाह 🩷🩷 इश्क़ में मुस्कराना गुनाह हो गया मेरे दिल आज फ़िर तुझपर फ़ना हो गया ।। ऐ मेरे ख़ुदा क्या मोहब्ब