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- @छोटे हार्दिक
मैं कलम भी,कार भी, हाँ कलमकार हूँ..... मैं स्याह भी, क्लांत भी, हाँ स्याक्लांत हूँ..... मैं तोल भी, मोल भी, हाँ तोलमोल हूँ...... मैं कल भी,नहीं भी, हाँ कलनहीं हूँ.....।। मैं अग्नि भी, पथ भी, हाँ अग्निपथ हूँ.... मैं अग्नि भी, शमन भी, हाँ अग्निशमन हूँ..... मैं वायु भी,यान भी हाँ वायुयान हूँ.... मैं जल भी,कर भी, हाँ जलकर हूँ.... मैं अव भी, तरण भी, हाँ अवतरण हूँ.... मैं रस भी, पान भी, हाँ रसपान हूँ..... मैं यम भी, राज भी, हाँ यमराज हूँ..... मैं अंत भी,मृत्यु भी, हाँ अंतमृत्यु हूँ.... मैं मृत्यु भी, लोक भी, हाँ मृत्युलोक हूँ......।। ✍️✍️हार्दिक महाजन ©hardik Mahajan मैं कलम भी,कार भी, हाँ कलमकार हूँ..... मैं स्याह भी, क्लांत भी, हाँ स्याक्लांत हूँ..... मैं तोल भी, मोल भी, हाँ तोलमोल हूँ...... मैं कल भी,न
मैं कलम भी,कार भी, हाँ कलमकार हूँ..... मैं स्याह भी, क्लांत भी, हाँ स्याक्लांत हूँ..... मैं तोल भी, मोल भी, हाँ तोलमोल हूँ...... मैं कल भी,न #Poetry
read morePoet Maddy
ख़्वाबों-खयालों में भी मैं, जब दिल से काम लेता हूं........ कसम खुदा जान तब भी, बस तुम्हारा नाम लेता हूं......... ©Poet Maddy ख़्वाबों-खयालों में भी मैं, जब दिल से काम लेता हूं........ #Dreams#Thoughts#Work#Heart#God#Name.........
Ankur tiwari
White जब हुआ प्यार इज़हार किया था,मैने भी इकरार किया था किए थे वादे जो कर सकता था ,मैंने झूठा ना करार किया था पर उसने इंकार कर दिया , दिल को मेरे तार तार कर दिया स्वप्न सजाएं थे जो मैंने ,उन स्वप्नों को राख कर दिया फिर भी मैंने पूछा उससे ,कमी क्या हैं मुझको बतलाओ क्यों प्रेम स्वीकार नहीं हैं ,कोई कारण तो समझाओ उसने कहा राम चाहिए मुझे , शादी करके आराम चाहिए मुझे शौक मेरे सब पूरे हो जाए ,ऐसा कोई राजकुमार चाहिए मुझे तुम तो ठहरे सामान्य से लड़के ,ये सब तुम ना कर पाओगे जीवन भर मेहनत करते करते ही,एक दिन यूं ही तुम मार जाओगे फिर क्यों तुम्हें स्वीकार करूं मैं ,क्यों खुद पर धिक्कार धरूं मै मिल जायेगा मुझे कोई रईसजादा,तो फिर तुमसे क्यों प्यार करूं मैं उसकी बातें सुन दिल भर आया था,मैं खुद अंदर ही अंदर मर आया था बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला मैने ,आंखों में आंसू भी भर आया था तबसे ना किसी से प्यार हुआ ,ना कभी कोई इज़हार हुआ मैं जान गया रीत दुनियां की,और खुद से एक इकरार हुआ पैसे की दुनिया हैं तो फिर ,पैसा ही मुझे कमाना है जिस जिस ने भी ठुकराया हैं ,उस उस को एक दिन दिखाना हैं पाया ही सबकुछ नही हैं पर ,दुनियां पीछे इसके पागल है अब नही रही तव्वजो सीरत की ,पैसे और सूरत पर सब घायल हैं ©Ankur tiwari #Night जब हुआ प्यार इज़हार किया था,मैने भी इकरार किया था किए थे वादे जो कर सकता था ,मैंने झूठा ना करार किया था पर उसने इंकार कर दिया , दि
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- आज लेकर गुलाब आया हूँ । खत का तेरे जवाब लाया हूँ।। इस तरह तो न खेल तू दिलसे । दिल को पहले भी मैं गंवाया हूँ ।। जिसकी ताबीर की बरसों पहले । मिलने उनको यहीं बुलाया हूँ ।। दर्ज जो भी वफ़ा के थे किस्से । पढ़के उनको भी मैं जलाया हूँ ।। सोच में हूँ वफ़ा करूँ किससे । तोड़ बंधन सभी मैं आया हूँ ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- आज लेकर गुलाब आया हूँ । खत का तेरे जवाब लाया हूँ।।
ग़ज़ल :- आज लेकर गुलाब आया हूँ । खत का तेरे जवाब लाया हूँ।। #शायरी
read moreRishu singh
White बहुत सारी चीज़ें मेरे सामने हुई जो की बहुत गलत थी फिर भी मैं कुछ कर नही पाई कुछ बोल नहीं पाई समझ नही आ रहा था की क्या करू कैसे इस चीज को खुद को और दूसरो को समझाऊं क्यू नही आवाज उठाई मैने ये बातें मेरे अंदर तूफान मचाती हैं कभी कभी वो शोर इतना होता हैं की घुटन होती है क्या मेरा गांधारी बने रहना सही था 😔😔 ©Rishu singh #SAD बहुत सारी चीज़ें मेरे सामने हुई जो की बहुत गलत थी फिर भी मैं कुछ कर नही पाई कुछ बोल नहीं पाई समझ नही आ रहा था की क्या करू कैसे इस चीज क
Rabindra Kumar Ram
*** ग़ज़ल *** *** नुमाइश *** " क्यों ना तेरा तलबगार हो जाऊं कहीं मैं , मैं मुख्तलिफ मुहब्बत हूं इस दस्तूर से , क्यों ना तेरा बार बार मुसलसल हो जाऊं मैं , खुद को तेरी आदतों में कितना मशग़ूल किया जाये , तुझमें में मसरुफ़ कहीं जाऊं मैं , बात जो भी फिर कहा तक जार बेजार , तेरे ज़िक्र की नुमाइश की पेशकश की जाये , लो ज़रा सी इबादत कर लूं भी मैं , इश्क़ की बात हैं मुहब्बत कर लूं मैं , तेरे ख्यालों की नुमाइश क्या ना करता मैं , ज़र्फ़ तेरी जुस्तजू तेरी आरज़ू तेरी , फिर इस हिज़्र में फिर किस की ख़्वाहिश करता मैं , उल्फते-ए-हयात एहसासों को अब जिना आ रहा मुझे , जो तेरे ख्यालों के तसव्वुर से रफ़ाक़त जो कर रहा हूं मै . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल *** *** नुमाइश *** " क्यों ना तेरा तलबगार हो जाऊं कहीं मैं , मैं मुख्तलिफ मुहब्बत हूं इस दस्तूर से , क्यों ना तेरा बार बार मु
Shivkumar बेजुबान शायर
" तेरे जाने के बाद से घर के आइनो पर धूल चढ़ी है, वह अख़बार, वह गुलाब, वह किताबें, सब वहीँ वैसी ही रखी हैँ ,, वह चाय का कप और हिसाब की किताब, बिस्तर के सरआने पर बिलकुल वैसी ही अधूरी रखी हैँ ,, जहाँ बिताए थे कुछ पल बैठकर साथ अब वहां धूल चढ़ी है, जहाँ चलते थे दो कदम साथ वहां अब दूब बढ़ गयी है ,, तेरे जाने के बाद से वह हमारी तस्वीर अब अधूरी रह गयी है, रंग सब सूख गए हैँ और तस्वीर में रंग की जगह खाली रह गयी है ,, तेरे गिटार के तार अब टूट गए हैँ तेरी आधी पढ़ी कहानी की किताब अभी वहीँ पड़ी है, उन गीतों का क्या होगा जिसकी धुन अभी आधी बनी है ,, घर की चाबी अभी भी उस दराज़ में तेरे छल्ले के साथ मैंने रखी है, वह पर्दे जो जो लगाए थे कमरों में रंग भरने उन पर अभी कुछ धूल चढ़ी है ,, वह कमरा जहाँ बिताए थे पल यादगार, वीरान हो गया है, वह कंघा, वह आइना, अभी भी तेरे टूटे बाल, तेरी बिंदिया के निशान खोज रहा है ,, वह कमरे की खिड़की अभी भी आधी खुली है, कुछ छनी धूप वहां से झाँक रही है ,, वह खुश्क़ चादर अपनी अब भी कोने में पड़ी है, तेरी टूटी हुईं चूड़ियाँ भी मैंने वहीँ सहेज कर रखी है ,, ~शिवकुमार बर्मन ✍🥀 ©Shivkumar #aaina #आइना #दर्पण #Nojoto #nojotohindi #कविता " तेरे जाने के बाद से घर के आइनो पर धूल चढ़ी है, वह अख़बार, वह गुलाब, वह किताबें, सब वहीँ
aaina आइना दर्पण nojotohindi कविता " तेरे जाने के बाद से घर के आइनो पर धूल चढ़ी है, वह अख़बार, वह गुलाब, वह किताबें, सब वहीँ
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