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Bhupendra Uikey
बारिश की एक बूंद सागर की तलाश में 🌺👰 ©Bhupendra Uikey बारिश की एक बूंद सागर की तलाश में
बारिश की एक बूंद सागर की तलाश में
read moreMď Âĺfaž" ["Šĥªयरी Ķ. दिवाŇ."]
White ✍️["बरसों की तन्हाई"]✍️ "आज मैं उस शख़्स से मिला, जिससे मिलने की बचपन से ख़्वाहिश थी। बातें हुईं कुछ यूँ कि लगा, जैसे बरसों की तन्हाई थी।" 💕💕 💕💕 💕💕 ✍️["चाँदनी की आरज़ू"]✍️ "ऐ काश, चाँद की बाहों में एक चाँदनी भी होती, रात की ख़ामोशी में बस उसी की रोशनी होती।" ©Mď Âĺfaž" ["Šĥªयरी Ķ. दिवाŇ."] #Moon ["#चाँदनी की #आरज़ू"] ["#बरसों की #तन्हाई_और_.....# #shayari love
Satish Kumar Meena
White जो घर से निकले, बिना पूछकर। अपने परिवारों का, गला घोंटकर। वापस लौट नहीं, सकते हैं। इनसे अच्छे पंछी है, जो बिना भटके, घोंसले की पहचान, रखते हैं।। ©Satish Kumar Meena पंछी
पंछी
read moreRUPESH Kr SINHA
................................ ©RUPESH Kr SINHA कोशिश गिराने की
कोशिश गिराने की
read moreAbhishek jha
*आज़ादी* मुझे वो पंछी नहीं बनना जिसे अपनी आज़ादी के बदले मिले पिंजरे में परोसा हुआ दाना सीखा है मैंने गिरना संभलना फिर उठना, उस पिंजरे में क्या जीना जिसमें रोज का हो वही दाना मैं तहरा कम्बख्त आजादी का दीवाना, शौक मेरा खुले आसमान में उड़ना, जब तक "पर" है मैं यहाँ वहाँ उड़ता रहूँगा जिस दिन "पर" नहीं उस दिन मैं हीं नहीं रहूँगा - ऐसा हो भी हो सकता है लेकिन ऐसा होने नहीं दूंगा "पर" नहीं रहा तो क्या फिर भी कोसिस करूँगा, उड़ नहीं सका तो क्या फिर भी चलूँगा लेकिन पिंजरे मे नहीं रहूँगा. श्री राधे राधे😊🙏 *(पिंजरा = मन के बहकावे में छोटी सोच)* ©Abhishek jha #Freedom #पंछी #मन #बहकावे #मैं #हम #Nojoto #WForWriters #Quotes #Trending मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी फॉर सक्सेस
Lotus Mali
White "शाम अपनी चादर ओढ़े खड़ी थी और मेरे मन का पंछी अभी भी किसकी राह पर निघाए लिए इंतजार कर रहा था मन पंछी कभी इस मुंडेर पर तो कभी उस टहन्नी पर घुमा शाम तो शाम ढल गई कबकी मगर इंतजार अभितक ख़त्म नहीं हुवा।" -LotusMali https://lotusshayari.blogspot.com/ ©Lotus Mali #sad_quotes "शाम अपनी चादर ओढ़े खड़ी थी और मेरे मन का पंछी अभी भी किसकी राह पर निघाए लिए इंतजार कर रहा था मन पंछी कभी इस मुंडेर पर तो
#sad_quotes "शाम अपनी चादर ओढ़े खड़ी थी और मेरे मन का पंछी अभी भी किसकी राह पर निघाए लिए इंतजार कर रहा था मन पंछी कभी इस मुंडेर पर तो
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