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Anurag Vishwakarma
Mom, I would not be able to come home on Holi. मम्मी होली में घर नहीं आ पाऊंगा। बहुत काम है ऑफिस में और छूटी भी नहीं मिला There is a lot of work in the office and I have not even got time off. Happy Holi Mummy🙏 ©Anurag Vishwakarma #Holi #घर में सबसे बड़ा बेटा मैं हूं इसलिए होली दीपावली इत्यादि त्योहार घर में नहीं जा पाता हूं। #हैप्पी #होली #Love #Trending
भारतीय लेखिका तरुणा शर्मा तरु
भारतीय लेखिका तरुणा शर्मा तरु
भारतीय लेखिका तरुणा शर्मा तरु
भारतीय लेखिका तरुणा शर्मा तरु
तरु की शाख़ एक बेजान-सी तरु की शाख़ अपने उजाड़पन की जाने कैसी दास्तां सुना जाती है, सुन्दरता अपनी खोकर भी जीने की चाह रखकती है, अंधरुनी मंद मंद अश्रु बहाती है, जानें कितने पड़ावों को पार करती सुख दुख के अनुभवों को महसूस करती एक तरु शाख़ धरा पर अवतरित अपने अस्तित्व के ढ़लाव पर बस जीते चली जाती है बस जीते चली जाती है..! ©भारतीय लेखिका तरुणा शर्मा तरु हमारी स्वरचित चित्र रचनाये #तरुणा_शर्मा_तरु #Nojoto #nojotocommunity #Hindi #nojotohindi #Trending #hindiwriters ##indianwriter #Grayscale
भारतीय लेखिका तरुणा शर्मा तरु
भारतीय लेखिका तरुणा शर्मा तरु
गज़ल इश्क़ ए ख़्वाहिश हो गया इश्क़ हमें अपनी ही ख़्वाहिशों से कुछ इस कदर पैग़ाम ए इश्क़ हम भेजते है ख़्वाबों की दुनियाँ को इक गुज़ारिश है मिल जाये ग़र तिरी पनाह भूला देगें हकीकत के आगाज़ को इक तिरी से रूबरू होना अब रास आ गया। फ़ुज़ूल सी लगती है हक़ीक़त की दुनियाँ कुछ अधूरी सी कुछ कशमकश सी दिल के अल्फाज़ों में खामोशी सी छाई, फिर भी अपनी सी लगती है ख़्वाहिशों की दुनियाँ ऐ ख़्वाहिशों थाम लेना हमें ग़र हम जाग जायें , इक तिरी ही दुनियाँ में वफ़ा सी झलकी हक़ीक़त की दुनियाँ तो बेवफ़ा सी लगी, फ़रेबियत सी बसी हक़ीक़त में इक तिरी दुनियाँ में जन्नत सी झलकी, इक साथ मिले तो तिरा वरना हर शख़्सियत में फ़रेबियत सी बसती देखी, ©भारतीय लेखिका तरुणा शर्मा तरु हमारी स्वरचित चित्र रचनाये #तरुणा_शर्मा_तरु #Nojoto #nojotocommunity #Hindi #nojotohindi #Trending #hindiwriters ##indianwriter #candle #
भारतीय लेखिका तरुणा शर्मा तरु
सुन रे पंछी...! सुन रे पंछी क्यूं इतना मायूस हुआ जाये रे, तेरे मन की व्यथा तू बता जा रे, नयन नीर क्यूं बरसायें रे, एक डाल पर बैठ कोने में क्यूं अकेला खुद को रखाये रे, सुन रे पंछी.. कारण मौनता का क्यूं इतना छुपाये रे, बोझ मन में क्यूं इतना तू अपने मन में बढ़ाये रे,सुन रे पंछी.. बहार फाल्गुन की ऋतु में तू क्यूं पतझड़ सा जीवन जीये जाये रे,सुन रे पंछी..! ©भारतीय लेखिका तरुणा शर्मा तरु हमारी स्वरचित चित्र रचनाये #तरुणा_शर्मा_तरु #Nojoto #nojotocommunity #Hindi #nojotohindi #Trending #hindiwriters ##indianwriter #पंछी #कवि
भारतीय लेखिका तरुणा शर्मा तरु
फिसल रही ज़िन्दगी धूल सी लम्हा लम्हा, कुछ पूर्ण तो कुछ अपूर्ण सी कोई जी रहा काल्पनिक ज़िन्दगी कोई हकीकत से नजरें चुरा रहा बिता रहा हर कोई अपनी उलझनों में फंसा ज़िन्दगी, कल की चिंता हर पल सताती आज को अपने हर कोई चिता समान तपिश में तप रहा,लम्हे कम ख़्वाब ज्यादा ज़िन्दगी को बड़ा बनाने की कोशिश हर कोई कर रहा, ©भारतीय लेखिका तरुणा शर्मा तरु हमारी स्वरचित चित्र रचनाये #तरुणा_शर्मा_तरु #Nojoto #nojotocommunity #Hindi #nojotohindi #Trending #hindiwriters ##indianwriter #Phisalt