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Bitterone_me
"इश्क" इस लफ्ज़ को इतना बदनाम न कीजिए जनाब, जरूरी नहीं की गुलाब तोड़ते वक्त हर बार कांटा ही चुभे ! ©Bitterone_me #इश्क #मोहब्बत #प्रेम #बदनाम #फुल #काँटे #गुलाब #viral #Popular #bitteroneme
ARTI DEVI(Modern Mira Bai)
🏡 गन्दे फॉर्म हाउस को चुटकी में साफ करने की शानदार ट्रिक😘 #hunarbaaz
read moreAnand Ji Mayura Ji
Village Life केसर की क्यारी में फूलो की मुस्कान हो । रण-भूमि में दिखता जौहर की आन हो। तुम ही हो दुर्गा -श्री - शारदा, ज्ञान शील ममता की पहचान हो । दामन को अपने दाग से बचाईये । ये देश संवर जाएगा खुद को संवारिये । ©Anand Ji Mayura Ji कविता के रंग आनंद के संग
कविता के रंग आनंद के संग
read moreAnand Ji Mayura Ji
मिलेगा प्रेम दोस्तों दिल से पुकारिये । ये देश संवर जाएगा खुद को संवारिये। ©Anand Ji Mayura Ji कविता के रंग आनंद के संग
कविता के रंग आनंद के संग #शायरी
read moreAnand Ji Mayura Ji
नही मयस्सर सभी को हासिल ए मुकाम होते है। मौसम बदलते ही सर्दी खासी और जुकाम होते है। फिर हंसकर पी जाते है, जहर जुदाई का, इसीलिए हर आशिक दरबदर और बेमुकाम होते है। ©Anand Ji Mayura Ji प्रेम रंग आनंद के संग
प्रेम रंग आनंद के संग #शायरी
read moreAnand Ji Mayura Ji
अकाल मौत वो मरे जो काम करे चांडाल का।काल उसका क्या बिगाङे जो भक्त हो महाकाल का । ©Anand Ji Mayura Ji कविता के रंग आनंद के संग
कविता के रंग आनंद के संग
read moreAnand Ji Mayura Ji
रंग बिरंगे, खुशियों के त्योहार है होली। प्रेम प्यार, और मिलन का उपहार है होली। ©Anand Ji Mayura Ji होली के रंग आनंद के संग
होली के रंग आनंद के संग #कविता
read moreगुड़िया तिवारी
#भोजपुरी #साहित्य #कविता होली में भौजी लागेली छिछोरी। पहिने के साड़ी पहिने कोरी धोती। बइठे चुहानी पुआ पकवान बनावे, मसखरा में रंग पुआ फेटी में घोरी।। बनावेली पकौड़ी चुन चइली चुनी। दहीबड़ा भीतर से रूई भी मिली। फुलौरी तिलौरी खा के मन डेराला, नाजाने गुझिया ठेकुआ में का मिली।। ✍️गुडिया तिवार ©गुड़िया तिवारी #Holi #भौजी संग होली
Holi भौजी संग होली
read moreveena khandelwal
कान्हा प्रीत का रंग चढ़ा,संग चढ़ी है भंग। आंखें कान्हा ढूंढती,डालूं उन पर रंग। जन जन से मग पूछती, कहां छिपा चितचोर - पूछे रंग गुलाल भी,होली किसके संग।। वृंदावन कोई कहे ,जॅंह कदंब अरु मोर, बरसाना की राधिका,गये कृष्ण उस ओर। मधुबन में कोई कहे,दिखे कर रहे रास- बरसाने -नॅंदगांव तक, ढूंढ रही हर ठौर।। बरसाने की राधिका, कान्हा की जो प्रीत, रंगे बिहारी संग उन, यही है ब्रज की निति। यमुना तट बेनू अधर,गोपि ग्वाल के संग- नहीं हृदय तो चरण में,जगह मिले यह रीति।। अंतस प्रिय कान्हा बिना,होली किसके संग। मतवाली सी घूमती , मुट्ठी में भर रंग। संग किशन राधा दिखी,समझी तब मैं प्रीत- अब अखियन जल सींचती,जुगल जोड़ि के अंग।। वीणा खंडेलवाल तुमसर महाराष्ट्र ©veena khandelwal #Holi होली किसके संग