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dilkibaatwithamit

ख़ुद से लड़कर तुझसे हारे, ठीक हुआ आँख से निकले अश्क के धारे, ठीक हुआ भूलने वाले 1 जनवरी भूल गया भूल न पाए हम बेचारे, ठीक हुआ जो मेरा होने

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White ख़ुद से लड़कर तुझसे हारे, ठीक हुआ
आँख से निकले अश्क के धारे, ठीक हुआ

भूलने वाले 1 जनवरी भूल गया
भूल न पाए हम बेचारे, ठीक हुआ

जो मेरा होने का दावा करते थे
झूठे निकले यार वो सारे, ठीक हुआ

उसको इनाम में इक और दुनिया मिली
मेरे हिस्से आए ख़सारे, ठीक हुआ

पाँव मलते-मलते उसकी बस्ती से
घर को लौटे हम बेचारे, ठीक हुआ

उसकी छत पे जाने से तो बेहतर था
रातें गुज़ारी गिनकर तारे, ठीक हुआ

©dilkibaatwithamit ख़ुद से लड़कर तुझसे हारे, ठीक हुआ
आँख से निकले अश्क के धारे, ठीक हुआ

भूलने वाले 1 जनवरी भूल गया
भूल न पाए हम बेचारे, ठीक हुआ

जो मेरा होने

TK_Official.25

वफा के इनाम पर.....❤ #Thinking nojoto Life #Trust # love #Shayari #Oncemore #SAD #today #writer

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White मोहब्बत को मेरे तेरी यादों का एक सफ़र दे 
मैं थोड़ा थाक सा गया हुं मुझे वफ़ा के इनाम पर अपने गोद में कब्र दे

©TK_Official.25 वफा के इनाम पर.....❤

#Thinking #nojoto #Life #trust #  #love #shayari #oncemore #sad #today #writer

gaTTubaba

#GoodNight सोच संभलकर जाना इनाम लेने तुम कहीं सौदा न हो जाएं तुम्हारा बिन पूछे तुमसे ही

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White सोच संभलकर जाना 
इनाम लेने तुम 

कहीं सौदा न हो जाएं तुम्हारा 
बिन पूछे तुमसे ही

©gaTTubaba #GoodNight सोच संभलकर जाना 
इनाम लेने तुम 

कहीं सौदा न हो जाएं तुम्हारा 
बिन पूछे तुमसे ही

gaTTubaba

सोच संभलकर जाना इनाम लेने तुम कहीं सौदा न हो जाएं तुम्हारा बिन पूछे तुमसे ही

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सोच संभलकर जाना 
इनाम लेने तुम 

कहीं सौदा न हो जाएं तुम्हारा 
बिन पूछे तुमसे ही

©gaTTubaba सोच संभलकर जाना 
इनाम लेने तुम 

कहीं सौदा न हो जाएं तुम्हारा 
बिन पूछे तुमसे ही

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर खुदा ने दी है ये सांसें तो बस जी लो, क्या पता ये पल आखिरी सलाम हो। ख्वाहिशें कम कर, दिल को थोड़ा आराम दे, हर चाहत का पूरा होना

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खुदा ने दी है ये सांसें तो बस जी लो,
क्या पता ये पल आखिरी सलाम हो।

ख्वाहिशें कम कर, दिल को थोड़ा आराम दे,
हर चाहत का पूरा होना न कोई इनाम हो।

बस सच और मोहब्बत का दामन थाम ले,
सफर का यही असली अंजाम हो।

ग़म और खुशियों को बराबर समझ लो,
हर लम्हा जीने का मुकम्मल मुकाम हो।

जो है आज, वही  सब कुछ है यार,
किसे पता, कल का क्या इंतज़ाम हो।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
खुदा ने दी है ये सांसें तो बस जी लो,
क्या पता ये पल आखिरी सलाम हो।

ख्वाहिशें कम कर, दिल को थोड़ा आराम दे,
हर चाहत का पूरा होना

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर कभी खो जाने का डर था, फिर भी ढूंढते रहे, जब रौशनी मिली, तो फिर अंधेरों की सजा क्या है। हम नहीं चाहते थे कोई इनाम या शोर, पर जब

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कभी खो जाने का डर था, फिर भी ढूंढते रहे,
जब रौशनी मिली, तो फिर अंधेरों की सजा क्या है।

हम नहीं चाहते थे कोई इनाम या शोर,
पर जब खुद को समझ लिया, तो फिर ताल्लुुक़ में क्या है।

ज़िंदगी के मोड़ों पे, ग़म और खुशी की छाँव मिली,
मगर जब हकीकत सामने आई, तो फिर ख्वाबों में क्या है।

तोड़ने चले थे हर तारा, अपने आसमान से,
मगर जब खुदा मिला, तो फिर इस तलाश में क्या है।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
कभी खो जाने का डर था, फिर भी ढूंढते रहे,
जब रौशनी मिली, तो फिर अंधेरों की सजा क्या है।

हम नहीं चाहते थे कोई इनाम या शोर,
पर जब

नवनीत ठाकुर

#षड्यंत्रों की छाया हर दिल पर भारी, भ्रष्टाचार की चादर ने लूट ली जिम्मेदारी। शोषण के जख्म चीखते हैं बेआवाज़, जुर्म के मंजर बन गए रोज़ का आगा

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White षड्यंत्रों की छाया हर दिल पर भारी,
भ्रष्टाचार की चादर ने लूट ली जिम्मेदारी।
शोषण के जख्म चीखते हैं बेआवाज़,
जुर्म के मंजर बन गए रोज़ का आगाज़।

अपहरण के धंधे अब आम हो गए,
अपराधी खुलेआम इनाम हो गए।
छेड़छाड़ के ज़ख्म लहू-लुहान हैं,
इंसाफ के मंदिर खुद बदगुमान हैं।

यह कैसी सभ्यता, यह कैसी रवायत?
जहां जुर्म को मिलती है हर इक सहायत।

©नवनीत ठाकुर #षड्यंत्रों की छाया हर दिल पर भारी,
भ्रष्टाचार की चादर ने लूट ली जिम्मेदारी।
शोषण के जख्म चीखते हैं बेआवाज़,
जुर्म के मंजर बन गए रोज़ का आगा
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