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siddheshwar ojha
*मुझे चिंता या भीख की आवश्यकता नहीं है घनानंद, मैं शिक्षक हूं प्रलय और निर्माण मेरी गोद में खेलता है यदि मेरी शिक्षा में सामर्थ्य है तो मै #Aurora
read moreInsprational Qoute
सर्वप्राचीन संस्कृत की सर्वप्रिय सुता है हिंदी, सभी भाषाओं की सर्वश्रेष्ठ भगिनि है हिंदी, भाषा बहता निर्झरिणी सा अमृत नीर हैं हिंदी, अति अमूल्य अक्षरनोक्ति की सु रचना है हिंदी, सुनिष्ठ,सुसंस्कृत,सुसभ्य,सुलभ्य सार है हिन्दी, सरल है,सहज है,सुंदर है सुरों की साज है हिंदी, मीठी है ,मनोरम है,हृदय के तार से जुड़ी है हिन्दी, तेजस्वीनी,ओजस्वनि,ऋषियों मुनियों की हैं हिंदी, मन के भावों की,माँ के दुलार की प्यारी है हिंदी, बालक की प्रथम बोली व शिक्षिका सम है हिंदी, गद्य,पद्य,नाटक,कथा,कहानी जीवनी में है हिन्दी, मीरा भक्ति, कबीर के दोहे,घनानंद सुजान है हिन्दी, असीमित,असीम,शाश्वत हृदयस्पर्शी साहित्य है हिन्दी, सभी को साथ ले चले,सब को हृदय में दे स्थान है हिन्दी, मेरा मान है,मेरा अभिमान है, मेरा गौरवगान है हिंदी, विश्वजगत में जानी जाये ऐसी हिंदुस्तान की शान है हिंदी। 🙏सभी की हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं🙏 निशा कमवाल सर्वप्राचीन संस्कृत की सर्वप्रिय सुता है हिंदी, सभी भाषाओं की सर्वश्रेष्ठ भगिनि है हिंदी, भाषा बहता निर्झरिणी सा अमृत नीर हैं हिंदी, अति अमू
सर्वप्राचीन संस्कृत की सर्वप्रिय सुता है हिंदी, सभी भाषाओं की सर्वश्रेष्ठ भगिनि है हिंदी, भाषा बहता निर्झरिणी सा अमृत नीर हैं हिंदी, अति अमू #Hindi #कविता #हिंदीदिवस #हिंदी_कोट्स_शायरी #बेस्टhindishayari
read moreDivya Prakash Singh
"ए मरदे का होई।" "काहे कुच्छो बतईले ना का।" "हॉफ पैंट वाली लड़की" पूरी रचना अनुशीर्षक में पढ़ें। #NojotoQuote "हॉफ पैंट वाली लड़की" "ए मरदे का होई।" "काहे कुच्छो बतईले ना का।" प्रश्न का उत्तर ना देते हुए एक हृदयविदारक प्रश्न हमारे प्रगाढ़ मित्र गौरव
"हॉफ पैंट वाली लड़की" "ए मरदे का होई।" "काहे कुच्छो बतईले ना का।" प्रश्न का उत्तर ना देते हुए एक हृदयविदारक प्रश्न हमारे प्रगाढ़ मित्र गौरव #nojotohindi #Nojotostories #first_story
read moreUnconditiona L💓ve😉
❊अमूल्य निधि ❊ ───────── होती हो...जब तुम, अँधेरी निशा में, प्रकाशित कोई दीप की आशा, एक तुलसी सी पावन तेरी परिभाषा, मेरी जीवन की तुझमें बची है"अमूल्य निधि " इस अबोध बालक के फटे थैले में तुम सदा मुस्कुराती रहना, मेले-मैले छवि को चमकाती रहना यहीं मेरी 'अंतिम अभिलाषा" [ प्रादुर्भाव हुआ है तुझसे *अनुशीर्षक में *] तुमनें जब लिखा था, तब पहाड़ों से टकराने की बिन मिले वापस विरह मुड़ जाने की बात कहीं थी,,, शायद तुम सही थी उस समय और अभी भी मैं एक पत्थर ही तो
तुमनें जब लिखा था, तब पहाड़ों से टकराने की बिन मिले वापस विरह मुड़ जाने की बात कहीं थी,,, शायद तुम सही थी उस समय और अभी भी मैं एक पत्थर ही तो #HappyNewYear #FreshThoughts #feelingstowords #testimonial #midnightpoems #2022ROYAL #nidhiaggarwal
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