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Stories related to poem on birds for class 2

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Yakshita Jain

my 8 class poem on dowry #कविता

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बढ़  रही  है  दहेज़  की  प्रथा
रूढ़िवादी  सोच  की  है  ये  कथा
जलाया  जा  रहा है  लड़कियों  को
ऐसे  लोगो  को  ज़रा  पकड़िये  तो
कंगाल  हो  गए  लड़की  के  माँ -बाप
फिर  भी  खत्म  नहीं  हुई  दहेज़  की  आग
रुपये ,गहने ,गाड़ियां  देकर
क्या  पाये  लड़की  के  माँ-बाप
उन्होंने  भेज दी  लड़की  की  लाश
जीवन से  हो  गए  हताश
बढ़ता  जा  रहा  है  दहेज़  का  लोभ
एक  से  नहीं मिला ,तो  दूसरे  से  ले रहे  भोग
डालो  ऐसे  लोगो  को  जेल  मे
जो रहे  दहेज़  के  महल  मे
तभी कहलायेगा  भारत  सोने  की  चिड़ियाँ
जिसमे  बसती  थी  खुशिया  ही  खुशिया my 8 class poem on dowry

Sunil Patwa

history class 2 #Knowledge

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Schizology

Singing birds #Birds #Singing #poem #Poetry

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Singing birds





All of the birds are singing
They are singing their songs
Some of them sing about love
Some about what went wrong

©Schizology Singing birds

#Birds #Singing #poem

Parul_k_Matharu

class 7 poem for kids virtual teaching

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DIGVIJAY BHARAT

Poem Little nut-Tree for class L.K.G

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Sudev Majumdar

This is a poem for class nursery #nojotophoto

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 This is a poem for class nursery

Writer Pandit

class 1 part 2 #Music

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RaJ

poem on tree 2

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एक उड़कर बीज आया

धरती पे ऐसे ही बिखर गया।

वर्षा ऋतु आई जब

उसपे पानी बरस गया।

पानी पाकर अंकुरित हुआ,

धीरे धीरे जड़ें बढ़ाई

धीरे धीरे चढ़ी ऊंचाई.

फिर  नन्हा हरा पौधा

बनके धरती पे उभर गया।

एक उड़कर बीज आया

धरती पे ऐसे ही बिखर गया।


वायुमंडल से हवाएं सोखकर,

मिट्टी से थोड़ी नमी चुराकर।

धीरे धीरे बढ़ता रहा

अपना पोषण करता रहा।

कभी आई तेज हवाएं

उसके उसको बहुत झकझोरा,

उसके आसमान छूने की उम्मीदों को

आंधी पानी ने भी रोका।

मौसम का मार सहता गया,

और  मजबूत बनता गया।

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कभी अनचाहे में इंसानों ने भी क्षति किया

कभी मवेशी उसके पत्ते खाते रहें।

सब कुछ झेलकर वो एक दिन 

एक विशाल पेड़ बन गया।

एक उड़कर बीज आया

धरती पे ऐसे ही बिखर गया।


आज वह इंसानों को लकड़ियां और फल देता है,

आज वह मवेशियों को छाया और चिड़ियों को घर देता है।

आज वह इस वातावरण का हिस्सा बन गया है,

आज वह सबके लिए अच्छा बन गया है।

कठिनाइयों में डटे रहने से जीवन 

        उसका संवर गया।

एक उड़कर बीज आया

धरती पे ऐसे ही बिखर गया।


सुनो भाईयो!

सहते रहना,डटे रहना और आगे बढ़ते रहना 

सफलता का मंत्र यही है और ऊंचे चढ़ते रहना।

आज तुम छोटे हो तो नजर नहीं आते हो,

कल जब बड़े हो जाओगे,हर कोई नजर उठा के देखेगा,

जब काम आने लगेगा दूसरों के

तब तुम्हारी पूछ बढ़ेगी ,हर कोई सर आंखों पे रखेगा।


जब  एक अवचेतन बीज अस्तित्व पा सकता है,

तुम्हारे पास तो चेतना है,सोचो तुम क्या कर सकते हो,

अगर तुम्हे इंतजार है  कोई मसीहा आएगा,

जो तुम्हारे अंदर बैठा है,क्यों उसे तुम बाहर ढूंढ़ते हो?

एक एक सेकंड,एक एक मिनट कर के

कितना साल गुजर गया।

एक उड़कर बीज आया

धरती पे ऐसे ही बिखर गया। poem on tree #2

RaJ

poem on daughter 2 #कविता

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घर के  आंगन की तुलसी सी

कुम्हार के मिट्टी की कलशी सी

जो बनती है,पकती है कहीं और,

और‌ किसी और को सौंपी जाती हैं.

धान के नाजुक छोटे छोटे पौधों सी

जो जमती है,खिलती है कहीं और

और कहीं और को रोपी जाती है.

वो एक बेटी है जो एक जन्म में

            दो जन्म को जी जाती है,

वो एक बेटी है जो  "ठीक हूं" कह के

        एक एक आंसू को पी जाती हैं.


बचपन में चव्वनियों में खुश रहने वाली,

सिंपल ड्रेस में भी परियों सी दिखने वाली

रस्मों को निबाह कर दूर चली जाती है

खुद तो रोती ही है,हमें भी रुलाती है.

वो एक बेटी है जो हर रुप में,हर किरदार                   में पूरी तरह ढल जाती हैं.

वो एक बेटी है जो एक जन्म में

            दो जन्म को जी जाती है,

वो एक बेटी है जो  "ठीक हूं" कह के

        एक एक आंसू को पी जाती हैं.


एक बेटी के जन्मने से एक पिता  जन्मता है,

बेटी के लिए पिता का स्नेह और मां की ममता है.

कुदरत से मिलने वाली उपहार है बेटियां,

संसार इनसे है,खुद में संसार है बेटियां.

वो एक बेटी है जो अपने दुआओं में

         दो परिवारों की खुशी चाहती है.

वो एक बेटी है जो एक जन्म में

            दो जन्म को जी जाती है,


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वो एक बेटी है जो  "ठीक हूं" कह के

        एक एक आंसू को पी जाती हैं.


उड़ती तितलियों के रंग-बिरंगी पंखों सी,

पवित्र ध्वनि जैसे किसी यज्ञ के शंखों की.

बेटी होती है जैसी वैसा कोई नहीं,

बेटियों के जैसे यहां बेटा कोई नहीं.

वो एक बेटी है जो अपने साथ पूरा 

‌‌               बागवान महकाती है.


वो एक बेटी है जो एक जन्म में

            दो जन्म को जी जाती है,

वो एक बेटी है जो  "ठीक हूं" कह के

        एक एक आंसू को पी जाती हैं.


जिसके पसंद की चीजें मेज पे लगी है,

जिसके सामानों से आलमारी भरी पड़ी है

बाप की बूढ़ी आंखों का सहारा अब बेटी है,

मां बाप के जीवन का उजियारा अब बेटी है,

वो एक बेटी है जो बेटों से ज्यादा सुख                      दुख में साथ निभाती है.

वो एक बेटी है जो एक जन्म में

            दो जन्म को जी जाती है,

वो एक बेटी है जो  "ठीक हूं" कह के

        एक एक आंसू को पी जाती हैं. poem on daughter #2

Neemar ali

on birds #poem

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Freedom Khali bethe ho ek kam Mera kar do na na

 Mujhko Ek Achcha Sa jakhm Ada kar do na

 Dhyan se dete Ho panchiyon ko Dana Pani 

are itni acchi ho to Pinjre se riya kar do na on birds
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