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संजय जालिम " आज़मगढी"
White अफ़साना दिल का कहूँ कैसे दीवाना दिल को रखू कैसे माना मैं मुफ़्लिस् ,काफिर हु ज़माने का उनके सिवा "जालिम" उल्फ़त में जियु कैसे ©संजय जालिम " आज़मगढी" # जीयु कैसे#
# जीयु कैसे#
read moreMohan Sardarshahari
White Retirement Diary First view from my room on First floor of my house. A mixture of Enjoying & Missing मैं बाद में घर पहुंचा पहले घर पहुंचा मेरा पेंशन पेमेंट आदेश देखकर दिल खुश हुआ दिल ने दी आशिष। ब्रेकर लगाने की तरह RVPN तेरी तत्पर सेवा धूप, छांव , बरसात की ड्यूटी का यों मिला है मेवा। घर मेरा लगता है जैसे बगीचे में है बसा ब्रेकर लगने की तोप सलामी और ट्रांसफॉर्मर के हमिंग को मन आज बहुत तरसा।। 🙏🙏🙏🙏 ©Mohan Sardarshahari रिटायरमेंट डायरी
रिटायरमेंट डायरी
read moreवंदना ....
Unsplash सबसे अच्छा दोस्त ........................... हमारी डायरी और पेन हे....... 🌹🌹🌹 ©वंदना .... #डायरी #पेन #जज्बात_दिल_के 🌹🌹🌹
#डायरी #पेन #जज्बात_दिल_के 🌹🌹🌹
read moreGhumnam Gautam
White हाँ, मुझे प्यार है और तुम से ही है पर बताओ मैं इज़हार कैसे करूँ ©Ghumnam Gautam #कैसे #इज़हार #ghumnamgautam
बदनाम
White सफेद फूल ...... तुम्हे पसंद है न? या मेरी पसंद को अपनी पसंद बना ली पिछली बार जब मिला था किताबों में तुम्हारे ख्यालों से लिपटा हुआ,खूब महक रहा था जैसे महकता था क्यारियों में और.... वो तुमने क्या लिखा था आखिरी पन्नों में मोहब्बत है तो ज़ाहिर कर वरना तुम्हारी खेर नहीं. हैं.... भला ऐसा कौन करता है ? खैर हमें वही रख दो हिफाज़त से तुम्हारी डायरी में कुछ पन्ने अभी भी बाकी है. ©बदनाम डायरी
डायरी
read moreParasram Arora
White ये बात कित्नी अजीब है कि सांसे मेरी धीमी और मंद होती जा रहीं जबकि मेरी नब्ज़ ने फड़कना बन्द कर दिया है अब ये कैसे तय हो कि मै कितनी देर या कितने दिन और जीता रहूगा ? और मानलो मरना ही पढ़ा तो मेरा अंतिम क्षण कौनसा होगा ©Parasram Arora कैसे तय हो?
कैसे तय हो?
read moreBablukumar Raut
बाबा तुम्ही होते म्हणून आज आम्ही जगत आहोत सावधान देशाला एकता एकात्मतेच्या जोरावर आणि तुम्ही दिलेल्या सविधानाच्या भरवश्यावर ©Bablukumar Raut मेरी डायरी
मेरी डायरी
read moreBablukumar Raut
Unsplash लिखने को बहुत कूछ बाकी है सोचने के लिये बहुत कूछ बाकी है कोई पढे या ना पढे पुरी जिंदगी में आगे जाना और जिंदगी जीना अभी बाकी है balkrushna raut deori ©Bablukumar Raut #Book मेरी डायरी
#Book मेरी डायरी
read moreचेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज
New Year 2024-25 कैसे कहूंँ अलविदा -- 2024 _______________________ हे दिसंबर ! कैसे कहूँ अलविदा --2024 जाते जाते कितनों के आंँखें कर गए नम माना कि मेरे हिस्से में आई हैं खुशियांँ, खुशियांँ भी मना न पाऊंँ जाने कितने को दे गए हो गम हे दिसंबर ! तुम्हें कैसे कहूंँ अलविदा-- 2024 भूल से भी ना भूलेगा मिटे से भी ना मिटेगा ज़ख्म है कितना गहरा , बेखबर हो गए हो तुम क्या जानो ! जाने कितनों की सांँसे थम गईं हे दिसंबर ! कैसे कहूंँ अलविदा -- 2024 कपकपाती काया के रूह से पूछो- जाते जाते कितने को दर्द दे गए सिलते सिलते जाने कितने की उंगलियांँ जम गईं हे दिसंबर! कैसे कहूंँ अलविदा - 2024 (मौलिक रचना) चेतना प्रकाश चितेरी , प्रयागराज , उत्तर प्रदेश ३१/१२/२०२४ , ११:०८ पूर्वाह्न ©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज # कैसे कहूंँ अलविदा -- 2024
# कैसे कहूंँ अलविदा -- 2024
read moreParasram Arora
Unsplash कैसे पता लगे कि कौनसी बात न्याय संगत है और कौनसी बात व्यर्थ कागज़ी फूलों पर तुमने कभी किसी भवरे को बैठते हुए देखा है क्या? ©Parasram Arora कैसे पता लगे?
कैसे पता लगे?
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