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Supriya Yewale
Shiv
Pushpvritiya
पता है....... इश्क़ के विषय में एक बात पढ़ी...... पूरा याद नही पर यह कि यह फारसी का एक शब्द है जिसका अर्थ है.... एक "बेल"....एक "लता"... जो जिससे लिपटे...उसे सुखा देती है.... उसके मूल में परिवर्तन ला देती है......कुछ रूहानी सा परिवर्तन..... मोहब्बत के विषय में भी व्याख्या थी किन्तु जो इश़्क के विषय में जाना, जानकर लगा कि कितना कम जानते हैं हम...... ©Pushpvritiya पता है....... इश्क़ के विषय में एक बात पढ़ी...... पूरा याद नही पर यह कि यह फारसी का एक शब्द है जिसका अर्थ है.... एक "बेल"....एक "लता"... जो
Bhanu Priya
दोपहर की तीखी धूप में , एक पागल छत को सुखा रही थी , जलते सूरज के साथ , खुद को उलझा रही थी । ©Bhanu Priya #दोपहर की तीखी धूप में , एक पागल छत को सुखा रही थी , जलते सूरज के साथ , खुद को उलझा रही थी । Dil E Nadan All in All Entertainment Rajdeep
एक अजनबी
बहार आई, हुए सूखे शजरो पे मेहरबाँ गुल हुए हैं मुद्दतों के बाद फिर शान-ए-बयाबाँ गुल ख़बर जो बागबाँ की मुद्दतों आई नहीं तो फिर बिना माली शजर बेचैन हैं तो हैं परेशाँ गुल कराया राब्ता रब से, हुआ साथी इबादत में ख़ुदा की बंदगी के हैं मुक़द्दस साज-ओ-सामाँ गुल ख़िज़ाँ आई, शजर सूखे, परिन्दे भी हुए बे-घर चमन की देख वीरानी हुए हैं आज वीराँ गुल उदासी छाई चेहरे पे हुए रुख़सत जो घर से हम बिछड़ कर शाख से शजर से हुआ है आज बे-जाँ गुल कभी असरार-ए-उल्फ़त हैं, कभी पहचान उल्फ़त की कभी क़ासिद, कभी ख़त तो कभी उल्फ़त के सामाँ गुल 🌸🌸 ©एक अजनबी #Shajar #poem #Hindi #Love #Nojoto शजर :- पेड़, वृक्ष बयाबाँ :- सुखा जमीन, मरुस्थल Jack Sparrow Sunita Pathania Sethi Ji Mili Saha Shiva
Author kunal
2122 2122 212 गुल-फ़िशानी से बियाबाँ हो गया उसके जाते ज़र्द तिफ़्लाँ हो गया वो मुझे अबतक रफ़ू कर ढूँढती कोई कह दो मैं नयस्ताॅं हो गया रूबकारी में हुई झूठ मुद्द’आ बस सितमगर इक मुसलमाॅं हो गया डर समाया था कभी इस रास्त से सो करम से लाश सोज़ाँ हो गया आब-ओ-गिल था क़सम से कामिल पर वो छूई तो मैं शबिस्ताॅं हो गया ©Author kunal गुल-फ़िशानी / से बियाबाँ / हो गया 2122 / 2122 / 212 उसके जाते / ज़र्द तिफ़्लाँ / हो गया 2122 / 2122 / 212 वो मुझे अब /तक रफ़ू कर / ढूँढती
Manish
हर पर्वत को झुका नही सकते, हर दरिया को सुखा नही सकते, तुम हमे भूल जाओ भले ही, लेकिन हम तुम्हे कभी भुला नही सकते। ©Manish Love sayari हर पर्वत को झुका नही सकते, हर दरिया को सुखा नही सकते, तुम हमे भूल जाओ भले ही, लेकिन हम तुम्हे कभी भुला नही सकते।
dr.vitore kannulal asaram