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Pankaj Singh Chawla
नी तू रिड़के दूध मलाई, माखन वरगी तेरी स्माइल, मुंडिया नु लूटदी मार स्टाइल, रंग गुलाबी पीला पटियाला शाही, उपरो बन परानदी जान कढ़ लेंदी, ला के मांग टिका मेरी हीर बन जाऊंदी।। जदो रिडकदी ए दूध मलाई वाला, तेरे मत्थे चेहरे ते लगदा जड़ माखन, नूर कुदरत दा छाउन्दा ए, तेनु वेख के दिल डोल डोल जाउंदा ए।। रिडकना- हाथ वाली म
Shabdkarita (शब्दकारीता)
#Lokeshpal हाय नी की तारीफ करां हुस्न तेरे दी, अंखा दा कज़ला,मत्थे ते बिंदी, नज़रा जान काढ़ी जावन दिल मेरे दी। झुमका वी ए तेरा खैर पोंदा, रातां वी ज़ाग
Pankaj Singh Chawla
श्रृंगार तेरे नाम दा करके मैं हीर तेरी बनन्ना चाहुनी आ... (Read in Caption) श्रृंगार तेरे नाम का श्रृंगार तेरे नाम दा करना चाहुनी आ, पा के राणीहार मैं तेरी हीर बनन्ना चाहुनी आ, ले के रखी जोड़ा झाँझरा दा मैनूं पावउँ
Nazar Biswas
(भैय्या) (अनुशीर्षक पढ़ें) ये धागा नहीं कोई आम, है मेरे जीवन का सुख तमाम। तेरी बलाएं मैंने मत्थे ली अपनी, तेरी राहों के कांटे सारे मेरे नाम। मैं लाख़ बुरी हूं, अच्छी
Divyanshu Pathak
क्या है दोनों की अभिलाषा? अवलम्ब बनेगा कोई किसका! किसके मत्थे चढ़े निराशा। स्वप्न सफ़ल अवदान करेंगे ! अवधान रहेगा या छुआ सा। पावस की धरती सर उफने ! पायस मिले वदन खिलता सा। प्रेम करे जो वरण कृष्ण सम ! वारण करने हृदय हताशा। ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_95 👉 खग जाने खग ही की भाषा ! क्या है दोनों की अभिलाषा? अवलम्ब बनेगा कोई किसका! किसके मत्थे चढ़े निराशा।
Chetanya Jagarwad
मैं छत पर खड़ा, कुछ सोच रहा था, न जाने किस खोज में, मत्था खरोंच रहा था।। Jagarwad Full piece in the caption 👇🙇 #society #longform #people #chetanyajagarwad #thoughts मैं छत पे खड़ा कुछ सोच रहा था, ना किस खोज में मत्थे को खरोंच रहा था, विचार मगन निगाह
KHINYA RAM GORA
#अंदाज कुछ अलग ही हैं मेरे # सोचने 🤔 का, सब को # मंजिल का शौक है और मुझे #रास्ते का....😎 खींयाराम गोरा!! ये राजस्थान के ग्राम थावरिया जिला बीकानेर का निवासी हैं। पिता धन्नाराम जी गोरा,माता मघी देवी।। इन्होंने 12 पास 2019 में को ये अभी AGRI. SUPERVISOR की तैयारी कर रहे है। कन्या भ्रूण हत्या भूमिका विवाह के अवसर पर कन्या पक्ष वर पक्ष को उपहार के रूप में जो भेंट दी जाती है। उसे " दहेज " कहते है। यह प्रथा अत्यंत प्राचीनकाल से चली आ रही है। आज यह बुराई का रूप धारण कर चुकी है। परंतु मूल रूप से यह बुराई नही है। बुराई आखिर दहेज को हम बुरा कैसे कह सकते है विवाह के समय प्रेम का उपहार देना बुरा कैसे हैं क्या एक पिता अपनी कन्या की खाली हाथ विदा कर दे ? अपनी प्यारी बिटिया के लिए धन,सामान, वस्त्र आदि देना प्रेम का प्रतीक है। परंतु यह भेंट प्रेमवंश दी जानी चाहिए, धाक जमाने के लिय नहीं। दुसरी बात दहेज अपनी सक्ति के अनुसार दी जानी चाहिए, मजबूरी से नहीं। तीसरी बात दहेज दिया जाना ठीक हैं मांगा जाना ठीक नही । दहेज को बुराई वहा कहा जाता है जहां मांग होती है दहेज प्रेम का उपहार है। जबरदस्ती खींच ली जाने वाली संपति नही। दुर्भाग्य से आजकल दहेज की जबरदस्ती मांग की जाती है। दुल्हो के भाव लगते है बुराई की हद यहां तक बढ़ गई है। की जितना शिक्षित दुल्हा हो, समझदार हो उसका भाव उतना ही अधिक है। आज डॉक्टर, इंजिनियर, आई. ए. एस, आई. पी. एस इन सभी का भाव सिर चढकर बोलता है ऐसे में कन्या के पिता क्या करें वह दहेज की मंडी में से योग्यतम वर खरीदने के लिए इतना सारा धन कहां से आए वैसे यहीं से शुरू होती है। दुष्परिणाम दहेज प्रथा के दुष्परिणाम अनेक है या तो कन्या को लाखो का दहेज देने के लिए घुस, रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार, काला–बाजारी आदि का सहारा लेना पड़ता है नहीं तो खुद की बेटियां है अयोग्य वरो के मत्थे मढ दी जाती है। आज हम हर रोज समाचार पत्रों में पढ़ते हैं की दहेज के लिए युवती के रेल के नीचे कट कर मरी, किसी बहू को ससुराल वालों ने जिंदा जला कर मार डाला, किसी बहन बेटी ने डिप्रेशन में आकर आत्महत्या कर ली । ये सभी घिनौने परिणाम दहेज रूपी दैत्य के ही है। रोकने के उपाय हालांकि देश की बुराई को रोकने के लिए समाज के अनेक संस्था बनी है युवकों का प्रतिज्ञा पत्र पर हस्ताक्षर भी करवाए गए है। परंतु समस्या ज्यों का त्यों है, इसके कोई सुधार नहीं हुआ है, सरकार के दहेज के दोषी को कड़ा दंड देने का विधान रखा है। परंतु आवश्यकता है जन– जागृतिकी जब तक युवा देश का बहिष्कार नहीं करेंगे, और युवतियां दहेज–लोभी युवकों का तिरस्कार नहीं करेगी तब तक यह कोढ चलता रहेगा। हमारे साहित्यकारों और कलाकारों को चाहिए कि वे युवकों को हदय मे दहेज के प्रति तिरस्कार जगाए। प्रेम विवाह को प्रोत्साहन देने से भी यह समस्या दूर हो सकती है सरकार को चाहिए कि दूसरे जातियों में शादी संबंधी बने। ताकि दहेज प्रथा को जड़ से उखाड़ फेंक सके ©KHINYARAM ( LADLA) GORA #अंदाज कुछ अलग ही हैं मेरे # सोचने 🤔 का, सब को # मंजिल का शौक है और मुझे #रास्ते का....😎 खींयाराम गोरा!!
Pankaj Singh Chawla
निक्की जेहि कुड़ी (👇अनुशीर्षक पढे👇) परम दी कहानी :- भाग -1 दोस्तों आज शुरुआत करन लगा अपनी नवी अते पहली श्रृंखला "निक्की जेहि कुड़ी" दी आप सबदे रूबरू है जी🙏🙏 जरूरी सूचना:- इस कहानी के सभी पात्र व घटना
Pankaj Singh Chawla
निक्की जेहि कुड़ी (👇अनुशीर्षक पढे👇) परम दी कहानी :- भाग -1 दोस्तों आज शुरुआत करन लगा अपनी नवी अते पहली श्रृंखला "निक्की जेहि कुड़ी" दी आप सबदे रूबरू है जी🙏🙏 जरूरी सूचना:- इस कहानी के सभी पात्र व घटना
Manish Rohit Garai
मन्नत । अनुशीर्षक में पढ़े 👇 मन्नत ।। कहानी । मन्नत ।। आरव ! हम्म्म... सुनो ना ! हम्म्म... क्या हम्म हम्म लगा रखे हो