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satyarth vani
भूल बैठा सुध बुध सारी आंखों में तेरा नशा छाया रहा © satyarth vani सत्यार्थ वाणी
Unknown
जिसे हम तिरंगा कहते हैं वो तो चौरंगा है वास्तव में इतना बडा़ झूठ कहा किसने हमको यूं बरगलाया किसने ७५ सालों से गलत पढाया किसने इतिहास को विकृत बनाया जिसने केसरिया सफेद हरा रंग है तिरंगे का पर बीच में चक्र का रंग तो नीला है कुल चार रंगों का राष्ट्र ध्वज है अपना फिर तिरंगा कहना तो ठीक नहीं है या हम सब कलर ब्लाइंड हो गये हैं राष्ट्र ध्वज हमारी आन बान शान है उसके सारे रंग हम सबकी पहचान हैं फिर नीले रंग को हम क्यों भूल गये हैं अशोक चक्र का रंग क्यों याद नहीं है वस्तृत: राष्ट्र ध्वज के कुल चार रंग हैं जो केसरिया सफेद हरा संग नीला हैं यही यथार्थ है और यही पूर्ण सत्यार्थ है इन्ही चार रंगों में बसा भारत का भावार्थ है राष्ट्रध्वज का सत्यार्थ
Anamika
कहीं भूल न जाऊं, बातों का अपनापन एक pdf बनाकर रख ही लूं क्या? #pdf #अपनापन #tulikagarg
popular10 updates
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Biikrmjet Sing
1. कबीर गरब न किजीयै रंक न हंसिए कोए।। अजे सो नाओ समुद्र मैं क्या जानो क्या होए।। अर्थ:- हे मन रूपी कबीर कभी अपने ऊपर हंकार न करो न ही किसी गरीब पर हंसो क्योंकि अभी हमारी खुद की नाव भी भवसागर यानी त्रे गुण में है क्या जाने कब परमात्मा कौन सा खेल कर दे।। 2. सूरत शब्द भवसागर तरियै नानक नाम वखाने।। अर्थ:- संतो द्वारा बताई हुई विधि से सुरति से प्रकाश को ध्याने से भवसागर तरा जा सकता है।। ऐसा नाम संत जन अपने मुख से वखान यानी भाख्या करते हैं।। 3. संत जना सुने शुभ बचन सर्ब व्यापी राम संग रचन।। अर्थ:- संत जन द्वारा नाम की विधि के व्यख्यान के शुभ वचन सुने तोह मन सर्ब व्यापी राम यानी प्रकाश संग रचना यानी रमना शूरु हो गया।। ©Biikrmjet Sing #प्रकाश