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paras Dlonelystar
White निभाया तो था,कसमें, वादों का, एक सफर मैं आया तो था,कदम ले चला था, जिस डगर भले, साथ नहीं, अब हम-तुम,नसीब का खेल है बुलाया तो था,हर मोड़,हर शहर,हर पहर,हर नज़र ©paras Dlonelystar #Romantic #parasd #lovequotes #Nojoto #नजर #था
DILEEP RAJ AHIRWAR
White That person was like the moon, he was in front of the eyes and far away like the moon वो शख्स चाँद के जैसा था था तो नज़रों के सामने और दूर था जैसे चाँद हो ©DILEEP RAJ AHIRWAR #Romantic वो शख्स चाँद के जैसा था था तो नज़रों के सामने और दूर था जैसे चाँद हो
# musical life ( srivastava )
Dr. Satyendra Sharma #कलमसत्यकी
INDIA CORE NEWS
Ashutosh Mishra
White तू और तेरी यादें तू कहता था ना,,तेरा शहर तुझे सबसे प्यारा है आ,,देख ये कैसे सिसक सिसक कर रो रहा है। नहीं रही वो पहले सी चहल पहल उदास हो गया है एक के बाद एक ना जाने कितना दर्द सहा है। बड़ी बेरहमी से लूटा है लुटेरों ने इसकी आबरु को दर्द से कराह भी नही सकता,,दहशत में जी रहा है। कभी,,लगता था भाईचारे का मेला जहां इंसानियत वहीं तार तार हो रही है। सभी सामर्थवान सामर्थ की गंगा में हाथ धो रहें है असमर्थवान उनकी बनाई चक्की में पिस रहें है। अल्फ़ाज मेरे✍️🙏🙏 ©Ashutosh Mishra #City तू कहता था ना,,तेरा शहर तुझे सबसे प्यारा है आ,,देख कैसे सिसक सिसक कर रो रहा है। #शहर #तू_और_तेरी_यादें #दहशत #बेआबरू Babli BhatiBa
i_m_charlie...
White ये शहर में रहने वाले लोग न जाने अपने आपको क्या समझने लगे है? बरबाद करके हर एक गांव को वहा शहर खड़े करते है, फिर गांव में रहने वाले लोगो को गवार समझते है, अरे भाई जहां तुम अभी रहते हो वहा पर पहले गांव ही था, रहने तो तुम अब यहा आए हो। ©i_m_charlie... #City हर एक शहर पहले गांव था।
INDIA CORE NEWS
हिमांशु Kulshreshtha
White सुना था कभी किसी से जो देर से मिलते हैं दूर तक साथ चलते हैं ©हिमांशु Kulshreshtha सुना था....
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White ग़ज़ल :- वो आती लौट पर जाने की जल्दी थी । पुकारो मत उधर जाने की जल्दी थी ।।१ छुपा लेता खुशी सारी सभी से मैं । करूँ क्या आँख भर जाने की जल्दी थी ।।२ हटे कैसे नज़र मेरी हँसी रुख से । जिसे अब देख तर जाने की जल्दी थी ।।३ न था अपना कोई उसका मगर फिर भी । उसे हर रोज घर जाने की जल्दी थी ।।४ सँवरना देखकर तेरा मुझे लगता । तुझे दिल में उतर जाने की जल्दी थी ।।५ बताती हार है अब उन महाशय की । उन्हें भी तो मुकर जाने की जल्दी थी ।।६ नशे की लत उसे ऐसी लगी यारों । जैसे उसको भी मर जाने की जल्दी थी ।।७ सही से खिल नहीं पाये सुमन डाली । जमीं पे जो बिखर जाने की जल्दी थी ।।८ लगाये आज हल्दी चंदन वो बैठे । न जाने क्यों निखर जाने की जल्दी थी ।।९ किये सब धाम के दर्शन प्रखर ऐसे । खब़र किसको निकर जाने की जल्दी थी ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- वो आती लौट पर जाने की जल्दी थी । पुकारो मत उधर जाने की जल्दी थी ।।१ छुपा लेता खुशी सारी सभी से मैं । करूँ क्या आँख भर जाने की जल्दी थ