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ਸੀਰਿਯਸ jatt
White आज के ज़माने ने उल्फतो के मयीने बदल दिए, जो सनम जीने मरने की कसमें खाते थे आज वो हमारी मौत की दुआ करते है ! ©ਸੀਰਿਯਸ jatt #Romantic वाह रे जमाने तेरी क्या मिसाल दूं!
Arora PR
White दूर चला गया हैं वो मेरा दामन छिटक कर जिसे हमने जिंदगी के सफर के लिए हमसफर समझा था उसकी तलाश मे मैंने गली मोहल्लो की खाक छान ली हैं....बस्ती का हर दरवाज़ा भी बजा कर देख लिया हैं पर पतानहीं वो किस तरफ क़ो निकल गया हैं ©Arora PR दूर चला गया गया हैं वो
Ganesh Joshi
White वादा था मुकर गया... नशा था उतर गया... दिल था भर गया... इंसान था बदल गया.. ©Ganesh Joshi वादा था मुकर गया... नशा था उतर गया... दिल था भर गया... इंसान था बदल गया.#.SAD #
Rajni Vijay singla
वोट डालने के बाद पता चलता उल्लू नेता नहीं उल्लू बने हम फिर भी बार-बार बनते हैं इस बात का गम ©Rajni Vijay singla #बच के रहना रे बाबा
Rajni Vijay singla
वोट डालने के बाद पता चलता उल्लू नेता नहीं उल्लू बने हम फिर भी बार-बार बनते हैं इस बात का गम ©Rajni Vijay singla #बच के रहना रे बाबा
Rishika Srivastava "Rishnit"
शीर्षक:- "आओ सखी ,खेले फ़ाग " ................................ मार-मार पिचकारी रगों की फुहार से उड़ा के अबीर के रंग, भीगें हर अंग रे.. आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे.. करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे...! थोड़ा सा ग़ुलाल मैं लगाऊं, थोड़ा तुम लगाना.. लपक-झपक ग़ुलाल के रंगों से, रंगे दोनों संग रे.. आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे.. करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..! ना जाने कहाँ होंगे अगले बरस, एक दूसरे को देखने को नजरें जाएगी तरस.. आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे.. करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..! आगे की चिंता की शिकन ना आने दे हमारे दरमियान, तू और इस रंग-बिरंगे रंगों संग जिंदगी में भरे हर रंग रे.. आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे.. करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..! बरस-बरस भीगेंगे आँचल, भिगोए जलते तन-मन रे.. आओ सखी, बुझा दे प्रेम से हर पीड़ा की चुभन रे.. आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे.. करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..!! ©Rishika Srivastava "Rishnit" शीर्षक:- "आओ सखी ,खेले फ़ाग " ................................ मार-मार पिचकारी रगों की फुहार से उड़ा के अबीर के रंग, भीगें हर अ
Arora PR
चल चल रे मुसाफिर चल तू उस दुनिया मे चल जहा न हो कोई फ़िक् जहा न हो मौत का कोई डर ©Arora PR चल चल रे मुसाफिर चल
Mohit Gupta
Autumn दिल को अंदर तक तोड देते है जब आंखो से बूंदे गिरती तब इन्सान अंदर से पूरी तरह टूट जाता हैं। बाहर से मिलने वाली खुशी उससे हंसा सकती है ,पर अंदर से तो खत्म हो चुका है।। ©Mohit Gupta टूट गया हू।
Kiran Chaudhary
ये भी शायद ज़िंदगी की इक अदा है दोस्तों, जिसको कोई मिल गया वो और तन्हा हो गया। ©Kiran Chaudhary जिसको कोई मिल गया वो और तन्हा हो गया।
Shashi Bhushan Mishra
अरसा बीत गया घर छोड़े, गाँव गली सबसे मुँह मोड़े, निकल पड़ा रोजी तलाशने, पग-पग खाते संघर्ष थपेड़े, कठिन समस्या ने आ घेरा, बादल बन घिर आए घनेरे, वक़्त पे साथ न देता कोई, मिल जाते साथी बहुतेरे, याद बहुत आते हैं अपने, परदेशी मन शाम सवेरे, सफर में कट जाती हैं रातें, भूल गये सब रैन बसेरे, पीड़ा कोई न समझे 'गुंजन', विरह में मन को साँप डँसे रे, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #अरसा बीत गया#