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Parasram Arora
खून को पानी का पर्यायवाची मत मान. लेना अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै उस बसती मे सच बोलने का रिवाज नही है यहां कोई भी आदमी सच.को झूठ बना कर पेश कर सकता है ताउम्र अपना वक़्त दुसरो की भलाई मे खर्च करता रहा वो ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही सकता है ©Parasram Arora पर्यायवाची......
पर्यायवाची...... #शायरी
read moreJogendra Singh writer
आपके अनुसार Nojoto का पर्यायवाची क्या है Answer in comment section ©Jogendra Singh Rathore 6578 nojoto ka पर्यायवाची #Light
nojoto ka पर्यायवाची #Light
read moreChetna Vinay Tiwari
मैं "चेतना" न जाने कितने लोगों की "प्रेरणा" ०७-०७-२०२३ ©Chetna Vinay Tiwari #चेतना
CHARCHIL DIARY....
इतना संघीन पाप कौन करे.. मेरे दुख पर विलाप कौन करे... चेतना मर चुकी है लोगो की... पाप पर पश्चियाताप कौन करे.... ©CHARCHIL DIARY.... #चेतना
Vimlesh Miledar Saroj
शर्दियों में सबसे खूबसूरत दोपहर का पहर होता है, गाँव के हर एक घर में एक छोटा सा शहर होता है। बड़ी होशियारी से संभल कर रहना मेरे यारों, क्योंकि,गैरों से घातक अपनों का ज़हर होता है। -सरोज #चेतना
डॉ.अजय कुमार मिश्र
White चेतना के चाहरदीवारी में नव चेतना की खोज कर,चेतन मन में मैने भी चेतना का संचार किया।। चेतन पुरुष में अचेतन प्रकृति के मिलन से नित्य नव-नव चेतना का अनुराग मिला।। कैसे कहें चेतन और अचेतन के संयोग से मिले आनंद को;क्योंकि मुझ जैसे चेतन में तुझ जैसे का अचेतन अनुराग मिला।। जैसे चेतन मोती को अचेतन पराग मिला,वैसे अचेतन सागर को चेतन जीवों का संसार मिला।। चलो आज तुम भी मन मय नदी के एक छोर पर बैठ कर चिंतन करो,कैसे चेतन को अचेतन का इतना सारा प्यार मिला।। ©डॉ.अजय कुमार मिश्र चेतना
चेतना #भक्ति
read moreParasram Arora
मेरी चेतना का ऊपरी भाग सुशुप्त है इसीलिए मुझे निस्सीमता कही नजर नहीआ रही थीं ...... ज़ो समृद्धि मैंने अर्जित की थीं उसमे मेरी कोई दिलचस्पी भी नही थीं हाँ कीर्ति का तापमापक यंत्र गुदगुदाता है अवश्य मुझे और इसीलिए मेरी बची खुची चेतना. भी. भाव विभोर हो जाया करती थीं. अब मेरी चेतना में कभी जागरण हो पायेगा..भविष्य में . इसकी कोई सम्भावना भी मुझे दिख नही रही थीं ©Parasram Arora चेतना और जागरण चेतना और जागरण
चेतना और जागरण चेतना और जागरण #कविता
read moreBheem Bheemshankar
मानव चेतना जब शरीर साथ छोड़ देता है तो मानो भी अपना रुख मोड़ लेता है मानव अपनी आवश्यकताओं में विलय हो कर आपने आप से ही मुख मोड लेता है ©Bheem Bheemshankar मानव चेतना
मानव चेतना #विचार
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