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नवनीत ठाकुर
कभी जो डर से जूझ रहा था, अब आकाश ने उसे अपनी ओर खींच लिया। कभी जो डर से जूझ रहा था, अब नभ ने उसे अपनी बाहों में समेट लिया। कभी जो डर से जूझ रहा था, अब फलक ने उसे अपनी सीमाओं से परे पहुंचा दिया। कभी जो डर से जूझ रहा था, अब आसमान ने उसे अपनी तरह चमका दिया। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर कभी जो डर से जूझ रहा था, अब आकाश ने उसे अपनी ओर खींच लिया। कभी जो डर से जूझ रहा था, अब नभ ने उसे अपनी बाहों में समेट लिया।
#नवनीतठाकुर कभी जो डर से जूझ रहा था, अब आकाश ने उसे अपनी ओर खींच लिया। कभी जो डर से जूझ रहा था, अब नभ ने उसे अपनी बाहों में समेट लिया।
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इक सदी तक तो तमन्ना का सफ़र चलता रहा ओ नवनीत, फिर मुक़द्दर ने लिखी आख़िरी निशानी अपनी। ख़्वाब टूटे तो लगा जाग उठी है दुनिया, वरना हर नींद में थी सोई कहानी अपनी। चाहतें छोड़ के कुछ दर्द समेटे हमने, ये अमानत भी तो थी जान से प्यारी अपनी। कौन समझेगा ये अफ़साना-ए-ग़म का मंज़र, जब भी रोए हैं तो बस याद थी जवानी अपनी। जिनसे उम्मीद थी वो दूर नज़र आए हमें, छोड़ बैठे हैं वही राहगुज़ारी अपनी। हमने चाहा था जिसे, उसने भुला डाला हमें, और दुनिया से छुपा ली नज़्म सारी अपनी। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर इक सदी तक तो तमन्ना का सफ़र चलता रहा ओ नवनीत, फिर मुक़द्दर ने लिखी आख़िरी निशानी अपनी। ख़्वाब टूटे तो लगा जाग उठी है दुनिया, व
#नवनीतठाकुर इक सदी तक तो तमन्ना का सफ़र चलता रहा ओ नवनीत, फिर मुक़द्दर ने लिखी आख़िरी निशानी अपनी। ख़्वाब टूटे तो लगा जाग उठी है दुनिया, व
read more||स्वयं लेखन||
White ख़ुद को जितना समेटती हूं उतना ही मेरे अपने ही मुझे बिखरने पर मजबूर कर देते हैं। ©||स्वयं लेखन|| ख़ुद को जितना समेटती हूं उतना ही मेरे अपने ही मुझे बिखरने पर मजबूर कर देते हैं। #Quote #thought #Life
Rohan Roy
White हम दुनिया के प्रत्येक हिस्सों से ज्ञान समेट ले। लेकिन उस ज्ञान का, हमारे जीवन में तभी महत्व होगा। जब उसकी मूल्यों को महत्व देंगे। । जब उसकी जड़ों को, समझने में प्रयासरत होंगे। जब इसमें शून्य होने की, कोशिशें कामयाब होंगे। जब मिथ्या विचारों का अंत स्पष्टता से करेंगे। जब अभिमान को खोकर, लोगों का सम्मान करेंगे। जब कठोर शब्दों में भी, शीतलता प्रदान करेंगे। अगर थोड़ी सी भी चूक हुई। हमारे अपने ज्ञान से, हम हैवान बनेंगे आज्ञान बनेंगे। ©Rohan Roy हम दुनिया के प्रत्येक हिस्सों से ज्ञान समेट ले | #RohanRoy | #dailymotivation | #inspirdaily | #motivation_for_life | #rohanroymotivation |
हम दुनिया के प्रत्येक हिस्सों से ज्ञान समेट ले | #RohanRoy | #dailymotivation | #inspirdaily | #motivation_for_life | #rohanroymotivation |
read moreShivkumar barman
!! दिसंबर आभार करने का महीना है !! दिसंबर आभार करने का महीना है ये साल भर के तजुर्बों की पोटली है जिसमें 11 महीने लंबी डोरी से गाँठ लगी है दिन छोटे हो जाते हैं , पर दिल बड़े होते हैं इस महीने में जनवरी की शुरूआत में ख़ुद से किए गए वादों का अब हिसाब किताब होता है .. .. जो पूरे हुए उन पर गुमान होता है , और जो नहीं हो पाये उनको कुछ बदलाव के साथ अगले साल फिर डायरी में लिख लिया जाता है !! पूरे साल की रील मानो सामने घूमती है और कभी थोड़ी सी मुस्कुराहट और कभी थोड़ी उदासी ले आती है चेहरे पर। अच्छा बुरा जैसा भी समय निकला पर उस की रेत बजरी समेट कर उम्मीद के सीमेंट में मिला कर फिर एक नया मकान बनाना है .. अगले साल का यूँ तो जनवरी और दिसंबर में एक दिन की ही दूरी है पर फ़ासला एक साल का। ऐसा लगता है जैसे जनवरी धरती है और दिसंबर है अंबर, और क्षितिज पर ये दूर से एक रात के लिए मिलते दिखते हैं। 31 तारीख़ को ….तुम छोड़ जाओगे दिसंबर की तरह और हम बदल जायेगें जनवरी की तरह...। ©Shivkumar barman !! दिसंबर आभार करने का महीना है !! दिसंबर आभार करने का महीना है ये साल भर के #तजुर्बों की पोटली है जिसमें 11 महीने लंबी डोरी से गाँठ लग
!! दिसंबर आभार करने का महीना है !! दिसंबर आभार करने का महीना है ये साल भर के तजुर्बों की पोटली है जिसमें 11 महीने लंबी डोरी से गाँठ लग
read moreAnuradha T Gautam 6280
azad satyam
सर्द फिज़ाओं में घुली तेरी खुशबू, सांसों को महका रही है, अपने आगोश में समेट लेने को, दिवाने पंछी को बहका रही है...✍🏻 💌🕊️अनकहे अल्फ़ाज़💖💞 #ek_panchi_diwana_sa ©azad satyam सर्द फिज़ाओं में घुली तेरी खुशबू, सांसों को महका रही है, अपने आगोश में समेट लेने को, दिवाने पंछी को बहका रही है...✍🏻 💌🕊️अनकहे अल्फ़ाज़💖💞 #ek
सर्द फिज़ाओं में घुली तेरी खुशबू, सांसों को महका रही है, अपने आगोश में समेट लेने को, दिवाने पंछी को बहका रही है...✍🏻 💌🕊️अनकहे अल्फ़ाज़💖💞 ek
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