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जगदीश कैंथला

उपसर्ग,प्रत्यय #बात

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जगदीश कैंथला

उपसर्ग व प्रत्यय #बात

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Anupama Jha

"काश" इच्छाओं का उपसर्ग है और 
"आस" प्रत्यय । #काश #आस #उपसर्ग #प्रत्यय #yqdidi #hindiquote #हिंदीकोट्स

तुषार"आदित्य"

अटल शिव पसंद है मुझे। वो हठी इंद्र नही। स्वाभिमान पसंद है। कोई झूठा घमंड नही। तांड़व देख सकता हूँ मैं। अप्सराओं का नृत्य नही। खुशी से हलाहल प #पसन्द #Shiv #lordshiva #नहीं

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अटल शिव पसंद है मुझे।
वो हठी इंद्र नही।
स्वाभिमान पसंद है।
कोई झूठा घमंड नही।
तांड़व देख सकता हूँ मैं।
अप्सराओं का नृत्य नही।
खुशी से हलाहल पी लूंगा।
मगर छल का अमृत नही।
मुझे अपना हिमालय चाहिए।
कोई दहशत वाला स्वर्ग नही।
उपयुक्त सारे प्रत्यय स्वीकार है।
अनुपयुक्त कोई उपसर्ग नही।
अटल शिव पसंद है मुझे।
वो हठी इंद्र नही। अटल शिव पसंद है मुझे।
वो हठी इंद्र नही।
स्वाभिमान पसंद है।
कोई झूठा घमंड नही।
तांड़व देख सकता हूँ मैं।
अप्सराओं का नृत्य नही।
खुशी से हलाहल प

gudiya

मायुसियों के बादल में घिरी हैं बातें लाख बुलंद हो दिल की जज्बातें वास्तविक कहानी और जरूरते ज़िन्दगी की किस हद दिल कब तलक कैसे छुपाये होश भी #nojotohindi #mojoto #bhrastachar

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मायुसियों के बादल में घिरी हैं बातें
लाख बुलंद हो दिल की जज्बातें

वास्तविक कहानी और जरूरते ज़िन्दगी की
किस हद दिल कब तलक कैसे छुपाये

होश भी है बेहोशी भी रहती है
खूमार -ए -इश्क़ भी तो कम होता नही है

सरकार के वादे, और प्रशाशन के दबे इरादे
दिल ज़ख्मी कर चुके हैं रसूखदारों के कारनामें

वीरान -सी ज़िन्दगी है किसका नतीज़ा
कसर तो हमनें कहीं से न था छोड़ा

दोष दे किसको किसपर फोड़े ठीकरा
चोर- चोर यहाँ सब भाई मौसेरा

अनगिनत डिग्रीयों के बाद भी
ज़िंदगी हुई रैन बसेरा ।

मायुसियों के बादल में घिरी हैं बातें
लाख बुलंद हो दिल की जज्बातें

©gudiya मायुसियों के बादल में घिरी हैं बातें
लाख बुलंद हो दिल की जज्बातें

वास्तविक कहानी और जरूरते ज़िन्दगी की
किस हद दिल कब तलक कैसे छुपाये

होश भी

gudiya

मायुसियों के बादल में घिरी हैं बातें लाख बुलंद हो दिल की जज्बातें वास्तविक कहानी और जरूरते ज़िन्दगी की किस हद दिल कब तलक कैसे छुपाये होश भी #nojotohindi #fourlinepoetry

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#FourlinePoetry मायुसियों के बादल में घिरी हैं बातें
लाख बुलंद हो दिल की जज्बातें

वास्तविक कहानी और जरूरते ज़िन्दगी की
किस हद दिल कब तलक कैसे छुपाये

होश भी है बेहोशी भी रहती है
खूमार -ए -इश्क़ भी तो कम होता नही है

सरकार के वादे, और प्रशाशन के दबे इरादे
दिल ज़ख्मी कर चुके हैं रसूखदारों के कारनामें

वीरान -सी ज़िन्दगी है किसका नतीज़ा
कसर तो हमनें कहीं से न था छोड़ा

दोष दे किसको किसपर फोड़े ठीकरा
चोर- चोर यहाँ सब भाई मौसेरा

अनगिनत डिग्रीयों के बाद भी
ज़िंदगी हुई रैन बसेरा ।

मायुसियों के बादल में घिरी हैं बातें
लाख बुलंद हो दिल की जज्बातें ।

©gudiya मायुसियों के बादल में घिरी हैं बातें
लाख बुलंद हो दिल की जज्बातें

वास्तविक कहानी और जरूरते ज़िन्दगी की
किस हद दिल कब तलक कैसे छुपाये

होश भी

Divyanshu Pathak

'इकायल' एक नया शब्द है जिसका निर्माण आदर्णीय Ritu Vemuri ji ने किया है - मैंने इसे अर्थ देने की कोशिश की है आओ देखते हैं- यह एक मिश्रित शब्द #yqdidi #YourQuoteAndMine #yqaestheticthoughts #ATcouplebg106

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हमें इश्क़ के तीर से  घायल कर दिया।
हूर हुई धड़कन दिल पायल कर दिया।
एक से दूसरे की बढ़ती शोभा कहते हैं!
चाहतों के  ज़ोर ने  इकायल कर दिया। 'इकायल' एक नया शब्द है जिसका निर्माण आदर्णीय Ritu Vemuri ji ने किया है - मैंने इसे अर्थ देने की कोशिश की है आओ देखते हैं- यह एक मिश्रित शब्द

Divyanshu Pathak

प्रेम पंथ की बनकर किताब तुम मेरे सामने आती हो ! एक अल्हड़ से मस्त भ्रमर को तुम पाठक कर जाती हो !! स्वर व्यंजन के शब्द जाल को चुपके से यार बि #पंछी #व्याकरण #गुलिस्ताँ #पाठकपुराण #येरंगचाहतोंके

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प्रेम पंथ की बनकर किताब
तुम मेरे सामने आती हो !
एक अल्हड़ से मस्त भ्रमर को
तुम पाठक कर जाती हो !!

स्वर व्यंजन के शब्द जाल को
चुपके से यार बिछाती हो !
सन्धी कर खुद हो समास
तुम प्रत्यय मुझे बनाती हो !!

क्रियाविशेषण सर्वनाम सब
तुम उपसर्ग लगाती हो !
महाप्राण का कारक बन
अन्तःस्थ हृदय हो जाती हो !! प्रेम पंथ की बनकर किताब
तुम मेरे सामने आती हो !
एक अल्हड़ से मस्त भ्रमर को
तुम पाठक कर जाती हो !!

स्वर व्यंजन के शब्द जाल को
चुपके से यार बि

vishnu prabhakar singh

परा-एक प्रत्यय जो विपरीत अर्थ देता है।जैसे,पराजय 💕🐰प्रकृति🐰🍫प्रथा🍫🐿☕ 💕अपरा💕🐇🍫स्त्री🐰🐿🌧🐰🍫परी🐿🐇🌧🐰💕शक्ति🍫🐿 शिव को अपने पैरों से रौंदने वा #yqdidi #YourQuoteAndMine

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कैसी शिष्टता
परा सी
जो घर,आँगन के अनुकूल हो
जिसकी व्याख्या तो दूर
घर,आँगन विचार भी न करता हो
इस अनोखी असंवेदनशीलता में
मेरी शिक्षा समर्पित है
मेरे अंश को
चन्द्रकला बनकर
मेरे वंश को
लक्ष्मीबाई बनकर
मेरा स्वरूप स्वयमेव प्रविष्ट है।

     परा-एक प्रत्यय जो विपरीत अर्थ देता है।जैसे,पराजय
💕🐰#प्रकृति🐰🍫#प्रथा🍫🐿☕
💕#अपरा💕🐇🍫#स्त्री🐰🐿🌧🐰🍫#परी🐿🐇🌧🐰💕#शक्ति🍫🐿
शिव को अपने पैरों से रौंदने वा

कुछ लम्हें ज़िन्दगी के

नज़्म होता है #kuchलम्हेंज़िन्दगीke #सतिन्दर #satinder #नज़्म #होताहै बोल का चोट बड़ा गहेरा होता है रात होती है फिर सवेरा होता है । मक़सद स

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बोल का चोट बड़ा गहेरा होता है
रात होती है फिर सवेरा होता है । 
मक़सद से हाथ जोड़ता सूरज के
मतलब को तो चाँद भी ममेरा होता है । 
साँप हो चला, हर कोई जहाँ में
फिर क्यों नंगा सपेरा होता है । 
एक गिलास पानी माँगना है हराम
खुद पीले वरना खड़ा बखेरा होता है । 
ख़ुशबू आती है जिनके ग़ुस्लख़ाने से
छिप के रोते  है जब अँधेरा होता है।  
माशूक़ को अब बचे कहाँ आशिक़
जो साथ चलता वो चचेरा होता है। 
हुज़रो में कहाँ रहते है अब साधू
आलीशान मकानों में बसेरा होता है । 
चासनी वाली जो ज़ुबाँ रखता है
मान जा ज़िन्दगी वही लुटेरा होता है । 
पंछियों को कैसे मिलते नानक खेत में
इंसाँ ने जो पूरा खेत उकेरा होता है। 
(उकेरा-खुदा हुआ, नानक- गुरुनानक)
चोरी ने बना दिया रिश्ता कान्हा से
अरे वो है न चोर चोर मौसेरा होता है । 
ताज़ा वेबा से ज़रा पूछो राम दीवाली
दीये का उजाला कितना घनेरा होता है। 
         ( घनेरा - घना )
इतना तप गया है ये बदन अब तो
सोते सतिन्दर का रंग सुनेरा होता है । 
       ( सुनहरा या पीला )
✍️©️ सतिन्दर नज़्म होता है 

#kuchलम्हेंज़िन्दगीke #सतिन्दर #satinder #नज़्म #होताहै 

बोल का चोट बड़ा गहेरा होता है
रात होती है फिर सवेरा होता है । 

मक़सद स
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