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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
चौपाई छन्द :- जीवन की सच्चाई देखी । जब करके अच्छाई देखी ।। राम कहाँ हम बन पायेंगे । साथ न तेरे चल पायेंगे ।। भरा पेट क्या भरत राज में । रहते हम भी उस समाज में ।। हजम नहीं वह घी कर पाते । छीन निवाले जो है खाते ।। मंदिर-मंदिर करके रोये । पाये तो सीढ़ी पे सोये ।। चुनकर उनको तुम रखवाला । कर बैठे अपना मुँह काला । मार ठहाका जो हैं हँसते । काटें में मछली हैं फँसते ।। देख खुशी ऐसे हर्षाने , स्वयं न छवि अपनी पहचाने ।। अच्छी सीख अवध ने दी है । भूलूं न मैं भीख में दी है ।। शीश नवाता अवध भूमि को । करना चाहूँ नमन भूमि को ।। पुनः लौट जो अवसर आये । तट सरयू दर्शन हम पाये ।। हनुमत खड़े रहे बन प्रहरी । हर इच्छा जो हरि की ठहरी ।। मैं मानूँ सब हरि की माया । हर काया में उनकी छाया ।। मिला प्रसाद हमें प्रभु दर से । पुनः शुरूआत उसी घर से ।। भूल क्षमा हो रघुवर मेरे । दूर करो ये आज अँधेरे ।। तुम ही हो इस जग के स्वामी । माने तुमको अन्तरयामी ।। राम कहाँ कुछ उनके लगते । जो मन चाहे बकते रहते ।। हमने रघुवर को सब माना । महल बने था दिल में ठाना ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौपाई छन्द :- जीवन की सच्चाई देखी । जब करके अच्छाई देखी ।। राम कहाँ हम बन पायेंगे । साथ न तेरे चल पायेंगे ।। भरा पेट क्या भरत राज में । रहते
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White ग़ज़ल :- दुनिया देखी है पैदल चलकर मैंने । कुछ-कुछ सीखा है जीवन पढ़कर मैंने ।। असली सुख मिलता है बीबी बच्चों में रहकर देखा है अक्सर घर पर मैंने ।। हँसते गाते बीते जीवन इस खातिर पूजे हैं राहों के भी कंकर मैंने ।। यह सच्ची निष्ठा है एक सनातन की । कण-कण को भी माना है शंकर मैंने ।। पत्थर से अरदास लगाऊँ क्या अब मैं । देख लिये इंसान यहाँ पत्थर मैंने ।। लाशों के अम्बार लगे दोनों जानिब हँसते देखे उन पर कुछ जोकर मैंने ।। शीश झुका कर आता है मेरे आगे । उसको बनाया है अपना नौकर मैंने । अपना वादा काश निभाने आते प्रखर कितना रस्ता देखा है मुड़कर मैने ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- दुनिया देखी है पैदल चलकर मैंने । कुछ-कुछ सीखा है जीवन पढ़कर मैंने ।। असली सुख मिलता है बीबी बच्चों में रहकर देखा है अक्सर घर पर मैंने
K R SHAYER
*जय श्री श्याम* __________________________________________________ हर तरफ से ही हारा हु में, अब मारने का ही इरादा है क्या! मेरी तमन्नाये, मेरा सपना,, तेरे शीश दान से भी ज्यादा है क्या॥ ____________________________________________________ क्यू हार जाता हूं में हर रोज, जिंदगी की लड़ाई में! एक बार तो बताना, क्या कमी थीं मैरी पढ़ाई में! में तो नादान हु भुल जाता हूं, गर बताना बाकी कोई वादा है क्या॥ *मेरी तमन्नाये, मेरा सपना,, तेरे शीशदान से भी ज्यादा है क्या* _____________________________________________________ जो में हार गया, तो कोन कहेगा हारे का सहारा तुझे! क्यू नही दिखता यार, मेरा दिल दुखी बिचारा तुझे! देख लेते हो रोज छोटे भाई के आंसू, यही एक बड़े भाई का नाता है क्या॥ मेरी तमन्नाएं, मेरा सपना,, तेरे शीश दान से भी ज्यादा है क्या॥ _________________________________________________________ बिना गलती ही क्यू अचानक,दिल का सुकून लूट गया मेरा! क्यू अभिमन्यु जैसा फंसा में, व टूट गया बचपन का जुनून मेरा ! जो तू खफा नही मुझसे,तो जाहिर कर नाराज सरसवती माता है क्या॥ मेरी तम्मनाए, मेरा सपना,, तेरे शीश दान से ज्यादा है क्या॥ _______________________________________________________________ मां हताश है, पिता उदास है, व हालत भी गंभीर है मैरी! कर दे मेरे गमों का सर्वनाश, चलाकर पहली व दूसरी बाण तेरी! एक बार तो पूछ यार सपने में आकर,केआर भाई तू खाना खाता है क्या मेरी तमन्नाए, मेरे सपने,, तेरे शीश दान से ज्यादा है क्या॥ ______________________________________________________________ *LBP* WRITER:-KAVI KR SHAYER READER:-KR MEENA FARMER:-KR JAMIdARA ©K R SHAYER मेरे तमन्ना मेरे सपने तेरे शीश दान से ज्यादा है क्या,, जय श्री श्याम reyal life poetry of writer KR Shayer Tonk Rajasthan sana naaz Mittal
Shivkumar
White ये पर्वत कहता तुम शीश उठाकर , तुम भी ऊँचे बन जाओ । ये सागर कहता तुम लहराकर , तेरे मन में जो गहराई सा उसको लाओ । तुम समझ रहे हो न वो क्या कहती है , तु उठ-उठ कर और गिर-गिर कर तटल तरंग सा । तु भर ले अपने इस मन में , तेरी मीठी-मीठी बोल और ये मृदुल उमंग सा ॥ पृथ्वी कहती के ये धैर्य को न छोड़ो , इस सर पर भार कितना ही हो । नभ कहता फैलो इतना कि , तुम ढक लो ये सारा संसार को ॥ ©Shivkumar #mountain #Mountains #Nojoto #कविता ये #पर्वत कहता तुम शीश उठाकर , तुम भी #ऊँचे बन जाओ । ये #सागर कहता तुम लहराकर , तेरे मन में जो
Shivkumar
शीश पर चंद्र विराजे, मां चंद्रघंटा कहलाती । तृतीय रुप में माता, जग में बड़ी सुहाती ।। अलौकिक, अविकारी, मां है कल्याणकारी । जब भी भक्त पुकारे, आ जाती मां हमारी ।। जब-जब संकट आया, देवों ने मां को बुलाया । एक पुकार पर मां ने, हर संकट दूर भगाया ।। दैत्यों के है संहारकारी , भक्तों के लिए है प्यारी l बड़ी ही करुणामयी है, जगजननी मां हमारी ।। ©Shivkumar #navratri #navaratri2024 #navratri2025 #नवरात्रि शीश पर #चंद्र विराजे, मां #चंद्रघंटा कहलाती । तृतीय रुप में #माता , जग में बड़ी सुहा
Sethi Ji
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻 🌻 जय माता दी 🌻 🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻 माता रानी हर वक़्त हमारा इम्तेहान लेती हैं हर भक्त को अपने दिल में स्थान देती हैं हर कोई आ सकता हैं माता के दरबार में माता रानी अपने हर भक्त को सम्मान देती हैं हमेशा करो पूजा माँ दुर्गा की सच्चे मन से माता रानी अपनी शक्ति से हमारे हुनर को पहचान देती हैं ♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️ 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸 🌸 चैत्र नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें 🌸 🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸 ©Sethi Ji 🌺🌺 चैत्र नवरात्रि 🌺🌺 चैत्र नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें माता रानी हम सब का ख्याल रखे और माता रानी हम सब को आगे
Shivkumar
बैल पर सवार होकर , माँ शैलपुत्री आ गई l शिव शंकर की प्यारी भवानी , दिल पर देखो वो छा गई ll घी का सुंदर दीप जलाएँ , नारियल का भोग हम सब लगाएँ l श्रद्धा भाव से शीश झुकाकर, माँ के सुंदर भजन को चलो गाएँ ll मनोकामना को पूरी करती , ख़ुशियों से झोली को है भरती l आशाएँ ये पूर्ण करती , ये रिद्धि- सिद्धी कि परवान है करती l भाग्य सबका ये सँवारती , भक्ति की राह पे हमें चलाती l ठिकाना हमको दर पर देती, विनती न किसी की वो ठुकराती ll जय-जय माँ शैलपुत्री , तू नारायणी तू कल्याणी l नवरात्रि का शुभारंभ करती , तू महारानी इस जग की है ll ©Shivkumar #navratri #नवरात्रि #navratri2024 #navratri2025 बैल पर सवार होकर , माँ #शैलपुत्री आ गई l
purnima
नारी प्रीत मैं राधा बने गृहस्ती मैं बने जानकी !! काली बनके शीश काटे जब बात हो सम्मान की !! ©purnima नारी प्रीत मैं राधा बने गृहस्ती मैं बने जानकी !! काली बनके शीश काटे जब बात हो सम्मान की !!