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chahat
White खुद को कैसे माटी सा बना लूँ। कैसे खुद को सांचे में ढाल लूँ।। अलग अलग आकार विचारो के यूँ। कैसे मन को अपने शीतल कर दूँ।। व्यवहार मिलते कंकर से क्यूं । चुभते है,बहते है आंसू से ज्यूँ ।। कैसे खुद को सुन्दर आकार दूँ। जीवन को मुक्ति का आधार दूँ।। मन में उलझने हज़ारो यूँ। सागर मे नाव की डूबती कतारे ज्यूँ।। कैसे पतवारो को हाथ में थाम लूँ। डूबती ख्वाहिशों को कैसे पार दूँ।। प्रयासों का सफर थकाता है क्यूं। सब करके भी सब हाथों से जाता क्यूं ।। चाहत नहीं बहुत कुछ पाऊं । बस जो पाया है,उसकी हो जाऊं।। बन शिल्पी मन को कर माटी सा यूँ। जीवन को मटके सा आकार दूँ।। कंकर सी रूकावटो को दूर करु। तन मन तो तपा निर्मल करु।। फिर मूक बन एक दिन माटी में मिलूं।। शिल्पी जैन ©chahat मन को कर माटी सा
मन को कर माटी सा
read moreSAAHIL KUMAR
White एक नज़्म है गुंजती जैसे किसी महफ़िल में जैसे लब्ज़ रह गए कम खुद की कहानियों में जैसे रहा इंतजार ता उम्र का बिता कुछ पलों में कभी ख़त्म न होने वाले अफसानों में वैसे ही बस हुँ भीड़ में कहीं गुमनाम सा सब कुछ नहीं बस मिल जाए एक पल ज़िन्दगी का क्युकी फिर से होना है मुझे गुमनाम किसी और की कहानियों में ©SAAHIL KUMAR गुमनाम सा
गुमनाम सा
read moreNurul Shabd
मैं फूल भी हूँ, और आग भी – मेरे करीब आने का हक सिर्फ उन्हें है, जो मेरी असलियत समझें। मुझे परखने वाले कई हैं, लेकिन मेरा असली साथ वही निभा सकते हैं जो मेरी उड़ान को समझते हैं। ©Nurul Shabd #मैं #फूल #भी #हूँ #Shayari शायरी attitude
theABHAYSINGH_BIPIN
White वफ़ा को ढूँढ़ना बेमानी सा लगता, दिल का ये ख्वाब पुराना सा लगता। खुद को संभालूं या शिकवे लिखूं, हर दर्द अब एक फसाना सा लगता। इश्क़ सिर्फ कहानी सा लगता है, ग़म अब निशानी सा लगता है। कौन चाहता है ज़ख्मों को भरना, दर्द-ए-दिल अब रूहानी सा लगता है। आँखों में न कोई ख्वाब अब बाकी है, दिल का हर कोना खाली सा लगता है। जिनसे उम्मीदें थीं, वो पराये निकले यारो, ज़िंदगी भी अब तूफानी सा लगता है। हर राह में बस सन्नाटा सा है, हर कदम पर धोखे का साया सा है। जिनसे दिल लगाया, वही दूर निकले, अब हर रिश्ता अफ़साना सा है। इश्क़ अब सिरफिरा सा खेल लगता है, हर कदम पर ये जाल सा बिछता है। फिर भी दिल क्यों लौट जाता है वहीं, जहाँ हर दर्द अब रूहानी सा लगता है। ©theABHAYSINGH_BIPIN #sad_shayari वफ़ा को ढूँढ़ना बेमानी सा लगता, दिल का ये ख्वाब पुराना सा लगता। खुद को संभालूं या शिकवे लिखूं, हर दर्द अब एक फसाना सा लगता।
#sad_shayari वफ़ा को ढूँढ़ना बेमानी सा लगता, दिल का ये ख्वाब पुराना सा लगता। खुद को संभालूं या शिकवे लिखूं, हर दर्द अब एक फसाना सा लगता।
read moreRUPESH Kr SINHA
.....,...................... ©RUPESH Kr SINHA #एक खाली पन सा है मेरे जीवन में
#एक खाली पन सा है मेरे जीवन में
read moreMohan Sardarshahari
यह दिल और इसमें चाहत के फूल भेजे जो तुमने सुबह करते हुए भूल किया है उन्होंने असर कुछ इस तरह जैसे जख्मों पर लग गई हो दवा माकूल।। ©Mohan Sardarshahari चाहत के फूल
चाहत के फूल
read moreनवनीत ठाकुर
Unsplash मुझे दुश्मन ही दे दो, अब रास्ता आसान लगता है, जो था कभी अपना, वो अब दगा देने वाला लगता है। मुझे दुश्मन ही दे दो, अब अपनों से डर सा लगता है, अब सच्चाई का सामना, आसान सा दिखता है। हर शब्द में अब एक बेवफाई का रंग सा दिखता है। जो अपना था, अब वो सिर्फ़ धोखा देने वाला लगता है, ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर मुझे दुश्मन ही दे दो, अब रास्ता आसान लगता है, जो था कभी अपना, वो अब दगा देने वाला लगता है। मुझे दुश्मन ही दे दो, अब अपनों से डर
#नवनीतठाकुर मुझे दुश्मन ही दे दो, अब रास्ता आसान लगता है, जो था कभी अपना, वो अब दगा देने वाला लगता है। मुझे दुश्मन ही दे दो, अब अपनों से डर
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