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Shilpa yadav
जलाशय का रजनी श्रंगार करती है रजतधार को अपने नाम करती है चाँद सितारों की फैलाकर चादर राज करती है जलाशय का रजनी श्रंगार करती है अंधकार का वितान ललाम करती है सुमन्द हवा का आह्वान करती है सुबह होगी तम हटेगा प्रचार कती है जलाशय का रजनी श्रंगार करती है अमन देने का रजनी काम करती है फैलाकर आँचल सुलाने का काम करती है फेरकर टहनियाँ जलाशय पर हाथ रखती है जलाशय का रजनी श्रंगार करती है जलाशय का दिवाकर श्रंगार करता है फैलाकर दीप्ति जगत का कल्याण करता है उमडते तूफान को एक कगार करता है जलाशय का दिवाकर श्रंगार करता है जलाशय किरणपुंज से नित्य स्नान करता है जिन्दगी की कश्ती खेने का काम करता है देकर खैरात जल लोगों का कल्याण करता है जलाशय का दिवाकर श्रंगार करता है शिल्पा यादव # नोजोटो हिन्दी जलाशय Sunil Azad HOLOCAUST
Rohan Roy
छोटी-छोटी नदियां ही, बड़े जलाशय का कारण बनती है। अगर बड़े जलाशयों को, अपनी तीव्रता और जल संग्रह का घमंड इस बात से है। कि वह अपने अस्तित्व के, बलबूते से ही निर्मित हुआ है। तो इसे भी एक दिन अलग-अलग हिस्सों में, इसी जल संग्रह का विभाजित होना निश्चित है। ©Rohan Roy छोटी-छोटी नदियां ही, बड़े जलाशय का कारण बनती है। #RohanRoy #motivationalpage #SuccessKaLover
Preeti Karn
सूखते सर कूप वापी जलचरी कुंठित विकल है प्राण अवगुंठित हृदय में पीयूष रस छलकाओ तुम झिहिर बरसो मेघ निर्झर अज्ञातवास शेष छोड़ आ जाओ तुम। त्योरियां माथे चढ़ी हैं वेदना अति व्याप्त जीवन बीज नभ के द्वार ताके कृषक मन हर्षाओ अब तुम झिहिर बदरा बूंद बरसो अज्ञातवास शेष छोड़ आ जाओ तुम ! प्रीति #मेघ बरसो (दूसरी किश्त) #yqhindi #yqhindikavtia सर: तालाब , कूप : कुआं, वापी: छोटे जलाशय , जलचरी: मछली , पीयूष: अमृत , अवगुंठित:। चारों ओर
kunwar siddhant Awasthi
जलाशय भी पूंछते है अब कूप की रंगत, ये छांव पूंछ लेती है कभी धूप की रंगत, ऐसे ही नही हम तुमको याद कर लेते है, उस पल बढ़ जाती है मेरे रूप की रंगत, कुँवर सिद्धांत जलाशय भी पूंछते है अब कूप की रंगत, ये छांव पूंछ लेती है कभी धूप की रंगत, ऐसे ही नही हम तुमको याद कर लेते है, उस पल बढ़ जाती है मेरे रूप की रं
aryan srivastava
अबतो फुर्सत ही हमारी पहचान हो गई है ख्वाहिशें किसी जलाशय सी गुमनाम हो गई हैं हमभी मशरूफ थे कभी किसी कम में अबतो ये शिद्दतें भी इन फुरकतों से बदनाम हो गई हैं। जो पास था उसे कभी तराशा नही दूर पड़े को ढूंढने में ये ज़िन्दगी ही अंधकार हो गई है। अबतो फुर्सत ही हमारी पहचान हो गई है ख्वाहिशें किसी जलाशय सी गुमनाम हो गई हैं हमभी मशरूफ थे कभी किसी कम में अबतो ये शिद्दतें भी इन फुरकतों से
Deepak Kanoujia
तुझे नहीं पता एक जलाशय है मेरी आँखों में, तुझे नहीं पता ना देखूं तुझे कुछ दिन तो ये सूख जाता है... ज़रा सोचो कैसे पथराई, सूखी, झूठी मुस्कुराती आँखें लिए घूम रहा हूंगा मैं अब...सुनो नयी नयी खुशबुएं बन जो महकते रहते हो मुझमें, कभी कभी नए नए र
R.S. Meena
पानी खून का रंग भी बदलने लगता है, पीके भाँत-भाँत का पानी। इसका असर रहे उम्र भर, ना बनाएँ कभी बनावटी कहानी।। सबसे 'सामान्य तरल पदार्थ' ये अपने आपको बताएँ, इसको दुषित करके लोग, अपना जीवन दुखी बनाएँ। आसमाँ में छोड़ रसायन, वर्षा जल भी होता जहरीला, मुल तत्वों का नाश करके, बंद बोतल में लगे चमकीला। दुषित पानी पी कर, बुढ़ापे में बदल रही पच्चीस की जवानी। खून का रंग भी बदलने लगता है, पीके भाँत-भाँत का पानी। इसका असर रहे उम्र भर, ना बनाएँ कभी बनावटी कहानी।। घरों से निकलता गंदा पानी, बहता जाएँ तालाब में, इसी पानी को कुछ लोग, पीते है मिलाकर शराब में। जलाशय को गंदा करके, जीवों का ना विनाश करें, कुछ है रहते उसमें और कुछ वहाँ जाकर पानी भरे। रखो मुझे स्वच्छ, कहता हर जलाशय अपनी जुबानी। खून का रंग भी बदलने लगता है, पीके भाँत-भाँत का पानी। इसका असर रहे उम्र भर, ना बनाएँ कभी बनावटी कहानी।। प्रकृति का उपहार, व्यापारियों का व्यापार बनने को मज़बुर है, जल के आगे व्यापार ही नहीं, सबका अहंकार चकनाचूर है । ऊँच-नीच की भेंट चढ़ती जाएँ, बिन पानी तृष्णा की नानी। खून का रंग भी बदलने लगता है, पीके भाँत-भाँत का पानी। इसका असर रहे उम्र भर, ना बनाएँ कभी बनावटी कहानी।। #rsmalwar 🇮🇳🙏🙏🇮🇳 पानी को संचित करने के साथ-साथ, दुषित होने से बचाने का भी प्रयास किया जावे ताकि सभी को स्वच्छ जल मिल सके।🙏🙏 पानी खून का
Sangeeta Patidar
तुम्हारी मुस्कुराहटों से महकता ये सारा शहर हमारा है, हर दुआ में तुम हो, तुमसे ही अब सारा दहर हमारा है। कुछ भी, कितना भी लिखूँ, हर तहरीर में तुम शामिल, हर लफ़्ज़ में तुम हो, तुमसे भरा सारा बहर हमारा है। लेकर मेरे हिस्से की ख़ुशियाँ अपने दर्द मुझे देना तुम, हर लम्हे में तुम, तुम्हारे दर्द का सारा ज़हर हमारा है। हर आहट से मिलता तुम्हारे क़रीब होने का एहसास, हर ख़याल में तुम, ख़्वाब का ये सारा पहर हमारा है। दो-चार फ़ुर्सत के लम्हों से भी सुकूँ पा लेती है 'धुन', हर याद में तुम, राहतों का अब सारा ठहर हमारा है। दहर- संसार बहर- जलाशय ♥️ Challenge-673 #collabwithकोराकाग़ज़
Divyanshu Pathak
ख़्वाब लहरों का भी कामिल हो जाएगा। शबाब बहरों का भी शामिल हो जाएगा। ये ज़िन्दगी तो नदी में बहते पत्ते जैसी है! तो ख़्वाहिशों का रेत साहिल हो जाएगा। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "मराहिल" "maraahil" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है चरण एवं अंग्रेजी में अर्थ होता ह