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दीपा साहू "प्रकृति"
उलझन भरे मेरे नैनो ने तुमसे सहस्त्र प्रश्न किए। उत्तर जिनके खोज रही सम्मुख तुम्हारे यत्न किए। स्वार्थ भरी दुनिया व्याधि माया मोह जालिकाएँ, भोग-विलास की मन में खेले वो बाल-बालिकाएँ हे कृष्ण मोक्ष दो मुझे तुम्हीं,तम भरा उजाला भी। अंधकारमय है जीवन ,तुम्ही से मिले सहारा भी। उन्मुक्त मन की बांध गति,इंद्रियों को बांध दो, हे कृष्ण सुनो चरणों में मुझको भी अब स्थान दो। ©दीपा साहू "प्रकृति" #Prakriti_ #deepliner #krishna #love #poetry #poem #Nozoto उलझन भरे मेरे नैनो ने तुमसे सहस्त्र प्रश्न किए। उत्तर जिनके खोज रही सम्मुख तुम्
Ankur tiwari
कुछ उड़ान अभी बाकी है छूना आसमान अभी बाकी हैं जंग जीत लूंगा मैं भी दुनियां के सभी बस खुद से जीतना मुकाम अभी बाकी हैं सब्र का बांध अभी ठहरा हुआ हैं मेरा शायद आने को कई तूफान अभी बाकी है गर रोशनाई खत्म हो गई तो खून से लिख दूंगा पर्वत सा ऊंचा होना मेरा नाम अभी बाकी हैं रास्ते ऊबड़ खाबड़ पथरीले सब पार कर लूंगा मिलना मुझे अभी कुछ आराम बाकी हैं सब पड़े हुए हैं खींचने को कदम पीछे मेरे आगे बढ़ने को मेरा स्वाभिमान अभी बाकी हैं अंजान पत्थर हूं इतना भी आसान नही तोड़ पाना मुझे सफलता का बनना हसीं मकान अभी बाकी हैं कुछ उड़ान अभी बाकी हैं छूना आसमान अभी बाकी है ©Ankur tiwari #seashore कुछ उड़ान अभी बाकी है छूना आसमान अभी बाकी हैं जंग जीत लूंगा मैं भी दुनियां के सभी बस खुद से जीतना मुकाम अभी बाकी हैं सब्र का ब
RV Chittrangad Mishra
अमरगढ़ की अमर गाथा चित्रांगद की कलम से खून से लतपथ ये है इतिहास अपने अमरगढ का, जिनको वर्णित करने में हर शब्द मेरे रो दिये है | है नमन उन वीरों को जो खून से सींचे अमरगढ़, और अमरगढ को अमर करने में खुद को खो दिये है | सन अट्ठारह सौ अट्ठावन तारीख अट्ठारह नवंबर, की बताने जा रहा हूं आंसू में डूबी कहानी | अंग्रेजों और देश के दीवानों का वो युद्ध भीषण, वीरों के लहू के रंग मे थी रंगी राप्ती की पानी | क्रूर अंग्रेजों ने जब बर्बरता से कहर ढाई, खौल उठा खून वीरों के हृदय का हिंदुस्तानी | बांध माथे पर कफन सेना फिर बल्लाराव जी की, बढ़ चली आगे छुड़ाने गोरों से अपनी गुलामी | जान का परवाह ना कर लड़ रहे थे वीर सैनिक, अंग्रेजों की गोलियों से आज इनका सामना था | हम जिएं या ना जिएं परवाह ना इस बात की थी, देश हो आजाद हर इक जुबां पर ये कामना था | देखना मुमकिन ही नही सोंचना भी जिसको मुश्किल, ऐसे हादसों सबने सीने से लगा लिया | हाथ को भी हाथ ना दिखाई दे वो अंधियारा, ऐसे में हाथों ने हथियारों को उठा लिया | घाट उतारा मौत के ग्रैफोर्ड कमाण्डर को वीरों ने, कब्र इसकी अमरगढ में आज भी इसकी निशां है | कर्नल कॉक्स और रोक्राफ्ट फिर सेना लेकर घेर लिया, सैनिकों को गोरों की बढ़ा गोलियों से सामना है | लड़ते लड़ते सैनिकों की सांस अब रूकने लगी थी, हाय रे क्या दृश्य होगा हो गया पतझड़ अमरगढ | देश के अस्सी दिवाने जान का बलिदान देकर, अमरगढ़ के नाम पर वो कर दिये खुद को समर्पण | जो बचे थे वीर कूदे जां बचाने राप्ती में, देख उनके काले बालों को गोरों ने मारी गोली | दे दिया वीरों ने अंतिम सांस भी इस अमरगढ को, देश की आजादी खातिर खून से खेले थे होली | है नमन उन मांओ को जिन आंचल में ना लाल लौटा, रह गया आंचल सिमट उस आंचल को शतशत नमन है | है नमन उस प्रेयसी को अपना जो सिंदूर खोई, ऐसी सूनी मांग को भी मेरा ये शतशत नमन है | नमन है उन बहन बेटियो को कि जिसने प्यार खोई, ऐसी राखी और लोरी रहित जीवन को नमन है | है नमन उनको कि जिनसे शौर्य है इस अमरगढ का, और अमरगढ को अमर करने में खुद को खो दिये है | है नमन उन वीरों को जो खून से सींचे अमरगढ़ और अमरगढ को अमर करने में खुद को खो दिये है | ©RV Chittrangad Mishra अमरगढ़ की अमर गाथा चित्रांगद की कलम से खून से लतपथ
Mani Bhushan Kumar
कटी पतंग लुट गया नसीब मेरा , मैने हार कहा मानी है, जाउंगी वही जिसके हाथों किस्मत ने मेरी डोर थामी है, देख कर मुझको प्यार से थाम लेगा वो, थाम कर मेरी डोर को अपनी डोर से बांध लेगा वो, फिर उसके डोर से आराम से बन्धः जाउंगी, लिपट उसकी उँगलियों से मैं मचक जाऊँगी, हवा मे उड़ जाऊँगी , आसमान को आँख दिखाउंगी, फिर मेरी ज़िन्दगी से इस तरह खेलेगा वो, लड़ाएगा किसी और के धागे से मेरे प्यार का धागा वो, अंत में कटकर किसी और के हाथ लग जाऊंगी, फिर से वही कहानी दोहराऊंगी, इतना कस्ट झेलकर भी किसी एक की न हो पाऊँगी, सबके लिए मैं हमेशा एक खिलौना सी ही रह जाउंगी, ज़िन्दगी मेरी जब भी मेरी कहानी लिखेगी, रो कर पानी पानी लिखेगी....🖋🖋🖋 ©Mani Bhushan Kumar #SunSet कटी पतंग लुट गया नसीब मेरा , मैने हार कहा मानी है, जाउंगी वही जिसके हाथों किस्मत ने मेरी डोर थामी है, देख कर मुझको प्यार से थाम लेग
Anuradha T Gautam 6280
Nitu Singh जज़्बातदिलके
नज़र से नज़र की रही राज़दारी चढ़ी इक दफ़ा तो न उतरी खुमारी । न कुछ भी जुबां का है किरदार कोई नज़र से नज़र ने करी बात सारी । नज़र को नज़र की लगी जब नज़र तो नज़र ने नज़र की नज़र है उतारी । नज़र को ज़दों में सके बांध कब वो नज़र के ही हाथों रही बात सारी । लिये हाथ में उस कलाई के बंधन नज़र की नज़र में कटी रात सारी नज़र ने नज़र का कहा भी न टाला नज़र ने नज़र की रखी बात सारी । नज़र की रही है दुनियां अनोखी नज़र ही नज़र को रही सिर्फ़ प्यारी । मुहब्बत बुरी जब निगाहों में आई मिली मात उनको नज़र से करारी । कहे आज नीतू कि हमने भी यारों नज़र में नज़र की ये कश्ती उतारी । ©Nitu Singh जज़्बातदिलके नज़र से नज़र की रही राज़दारी चढ़ी इक दफ़ा तो न उतरी खुमारी । न कुछ भी जुबां का है किरदार कोई नज़र से नज़र ने करी बात सारी । नज़र को नज़र की लगी जब
BROKENBOY
धागा खत्म हो गया मन्नतों में तुझे मांग कर,,, धड़कनें बांध कर आया हूं अबकी बार तेरे नाम पर...!!🥰❤️ ©BROKENBOY #dodil धागा खत्म हो गया मन्नतों में तुझे मांग कर,,, धड़कनें बांध कर आया हूं अबकी बार तेरे नाम पर...!!🥰❤️