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Kushal

इक फूल रानी के सिपहसालार को - कुशल #themodernpoets #themodernpoets #शायरी

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Amit Mishra

मुल्क के सिपहसालारों को भी कुछ काम दिया जाए सफेदपोशों को दग़ाबाज़ी का अब इनाम दिया जाए ख़्वाहिशे अधूरी हैं जिनकी ये मुल्क बाँटने की सर #India #yqbaba #yqdidi #hindustaan #Amit #amitmaun #bettercountry

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एक बेहतर हिंदुस्तान

(See caption) मुल्क के सिपहसालारों को भी कुछ काम दिया जाए
सफेदपोशों को दग़ाबाज़ी का  अब इनाम दिया जाए

ख़्वाहिशे अधूरी  हैं  जिनकी  ये  मुल्क  बाँटने  की
सर

aman6.1

ख्वाहिश✍️written by me✍️6.1aman🇮🇳 ~~【{◆◆ख्वाहिश◆◆}】~~ मौसम ठंडा है जला लो आग जवानी में,देश के लिए ही मरना है हमनें तो अपनी कहानी मे

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मौसम ठंडा है जला लो आग जवानी में,देश के लिए ही
मरना है हमनें तो अपनी कहानी में।

बहुत होगया गौरी से चूड़ी का खेल,अब तो मस्त रहना है 
तिरंगे की रवानी में।

मखमली गद्दों की नही रही कोई आरजू,हम भी जंग लड़ेंगे 
कभी सरहदों के पानी में।

ये मिट्टी का एहसान मिट्टी होकर ही उतारना है, खामोश 
जीवन बेकार है,कड़क तो होती है बिजली आसमानी में।

सिपहसालार बन कर बैठना है चौखट पर तेरी मेरे वतन,
है शोंक हमें नाचने का खुद की कुर्बानी में।

रंग और फूल का शौकीन हूं खोजता  रहूंगा मोहब्बत मैं,
कर सजदा मेरे वतन तेरे लिए हर सलामी में।

या खुदा देना मौका वतन पर कुर्बान होने का,निकल न 
जाये कहीं जिंदगी घर की ही परेशानी में।

ख्वाहिश है एक होजायो सब निकाल दिल से मजहबों की 
रंजिश,क्या रखा अमन इस आदत पुरानी में।

©aman6.1 ख्वाहिश✍️written by me✍️6.1aman🇮🇳


    ~~【{◆◆ख्वाहिश◆◆}】~~

मौसम ठंडा है जला लो आग जवानी 
में,देश के लिए ही मरना है हमनें तो अपनी 
कहानी मे

Divyanshu Pathak

घूँघट की आड़ में सकुचाई सी स्त्री। अपनों की भीड़ में पराई सी स्त्री। घर में डरा धमका कर बड़ी कर ली! बाहर निकली तो घबराई सी स्त्री। बे #yqdidi #YourQuoteAndMine #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #घूँघटकीआड़ #मुख्यप्रतियोगिता #KKC1041

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घूँघट की आड़ में सकुचाई सी  स्त्री।
अपनों की भीड़  में  पराई  सी स्त्री।

घर में डरा धमका कर बड़ी कर ली!
बाहर निकली तो  घबराई  सी  स्त्री।

बेटियाँ पढ़ायें ,बेटियाँ बचायें,  कैसे?
क़दम क़दम पे दिखे लजाई सी स्त्री।

सिपहसालारी को फ़र्क नहीं पड़ता!
बिछा ली गई हो जैसे चटाई सी स्त्री।

शिक्षा और सुरक्षा का बंदोबस्त नहीं
राजनीति की  भेंट  चढ़ाई  सी  स्त्री। घूँघट की आड़ में सकुचाई सी  स्त्री।
अपनों की भीड़  में  पराई  सी  स्त्री।

घर में डरा धमका कर बड़ी कर ली!
बाहर निकली तो  घबराई  सी  स्त्री।

बे
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