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Pooja Udeshi
दरवाज़ा दरवाजे पर किसी की दस्तक होने लगी दिल पे धक् धक् किसी अनजाने खौफ की है आहट कोई अनहोनी ना घट जाये इसी बात की है चिन्ता किस की है ये हिमाकत कि दहलीज पार कर जाऐ और बिन बुलाये मेहमान बन जाऐ सब सावधान रहे क्यों कि आने वाला समय ले कर आने वाला है आफत ciber world की ये चाल किसी की भी id मे घुस कर मचा देंगे बबाल, hack कर देंगे आप का account और साफ कर देंगे आप की मेहनत की कमाई आज भलाई का नहीं है ज़माना, अच्छे दोस्त ही बनाना, दिल का दरवाजा उस के लिए खुला है जो दिल रखता है सीधा साधा, जो दुख मे भी काम आये ऐसा दोस्त मुझे भाता!!!! सोच समझ के कदम उठाना यहीं आज आप सब को है बताना, सावधान 💀👹👺 ©POOJA UDESHI #दरवाजा #Khoof दरवाजा #WForWriters
#दरवाजा #Khoof दरवाजा #WForWriters
read moreपूर्वार्थ
क्या आपको पता है? कि किवाड़ की जो जोड़ी होती है,उसका एक पल्ला पुरुष और, दूसरा पल्ला स्त्री होती है।ये घर की चौखट से जुड़े-जड़े रहते हैं। हर आगत के स्वागत में खड़े रहते हैं।।खुद को ये घर का सदस्य मानते हैं। भीतर बाहर के हर रहस्य जानते हैं।।एक रात उनके बीच था संवाद। चोरों को लाख-लाख धन्यवाद।।वर्ना घर के लोग हमारी, एक भी चलने नहीं देते।हम रात को आपस में मिल तो जाते हैं, हमें ये मिलने भी नहीं देते।।घर की चौखट से साथ हम जुड़े हैं, अगर जुड़े जड़े नहीं होते।तो किसी दिन तेज आंधी-तूफान आता, तो तुम कहीं पड़ी होतीं,हम कहीं और पड़े होते।। चौखट से जो भी एकबार उखड़ा है।वो वापस कभी भी नहीं जुड़ा है।। इस घर में यह जो झरोखे,और खिड़कियाँ हैं। यह सब हमारे लड़के, और लड़कियाँ हैं।।तब ही तो,इन्हें बिल्कुल खुला छोड़ देते हैं। पूरे घर में जीवन रचा बसा रहे,इसलिये ये आती जाती हवा को, खेल ही खेल में,घर की तरफ मोड़ देते हैं।। हम घर की सच्चाई छिपाते हैं।घर की शोभा को बढ़ाते हैं।। रहे भले कुछ भी खास नहीं,पर उससे ज्यादा बतलाते हैं। इसीलिये घर में जब भी,कोई शुभ काम होता है। सब से पहले हमीं को,रँगवाते पुतवाते हैं।। पहले नहीं थी,डोर बेल बजाने की प्रवृति। हमने जीवित रखा था जीवन मूल्य,संस्कार और अपनी संस्कृति।। बड़े बाबू जी जब भी आते थे,कुछ अलग सी साँकल बजाते थे। आ गये हैं बाबूजी,सब के सब घर के जान जाते थे ।। बहुयें अपने हाथ का,हर काम छोड़ देती थी। उनके आने की आहट पा,आदर में घूँघट ओढ़ लेती थी।। अब तो कॉलोनी के किसी भी घर में,किवाड़ रहे ही नहीं दो पल्ले के। घर नहीं अब फ्लैट हैं,गेट हैं इक पल्ले के।। खुलते हैं सिर्फ एक झटके से।पूरा घर दिखता बेखटके से।। दो पल्ले के किवाड़ में,एक पल्ले की आड़ में, घर की बेटी या नव वधु,किसी भी आगन्तुक को, जो वो पूछता बता देती थीं।अपना चेहरा व शरीर छिपा लेती थीं।। अब तो धड़ल्ले से खुलता है,एक पल्ले का किवाड़। न कोई पर्दा न कोई आड़।।गंदी नजर ,बुरी नीयत, बुरे संस्कार, सब एक साथ भीतर आते हैं फिर कभी बाहर नहीं जाते हैं।। कितना बड़ा आ गया है बदलाव?अच्छे भाव का अभाव। स्पष्ट दिखता है कुप्रभाव।।सब हुआ चुपचाप, बिन किसी हल्ले गुल्ले के।बदल किये किवाड़, हर घर के मुहल्ले के।।अब घरों में दो पल्ले के, किवाड़ कोई नहीं लगवाता।एक पल्ली ही अब, हर घर की शोभा है बढ़ाता।।अपनों में नहीं रहा वो अपनापन। एकाकी सोच हर एक की है,एकाकी मन है व स्वार्थी जन।। अपने आप में हर कोई,रहना चाहता है मस्त, बिल्कुल ही इकलल्ला। इसलिये ही हर घर के किवाड़ में, दिखता है सिर्फ़ एक ही पल्ला!! ©पूर्वार्थ #दरवाजा
~VanyA V@idehi ~
जाते जाते उसका पलटकर देखना... जैसे कि गई रात किसीके इंतजार में, दरवाज़े को उ ढ़का भर देना...! ©V Vanya #दरवाजा
Nilam Agarwalla
मेरे सामने मेरा प्यारा दोस्त जय खड़ा था। अचानक उसे यूं आया देखकर आश्चर्यमिश्रित खुशी से मेरी आंखें भर आई। कालेज के दिनों में हमारी दोस्ती एक मिसाल थी मगर कालेज के बाद हम दोनो ही अपनी अपनी जिंदगी में व्यस्त हो गए। कभी कभी फूर्सत में उसकी याद आ जाती थी। मिलने का बहुत मन था तो फेसबुक के जरिए उसे ढूंढ लिया, फिर से हमारी बातें होने लगी आज मुलाकात भी हो गई तो लगा कि बीते हुए सुहाने पल फिर वापस आ गये। ©Nilam Agarwalla #दरवाजा
Aashish Vashistha
दरवाज़ा कभी-कभी हम बस उस दरवाजे के अंदर बंद रहना चाहते हैं!! दुनिया की चकाचौंध के बीच उस अंधेरे को महसूस करना चाहते हैं!! कुछ पल के लिए ही सही, हम बस हम रहना चाहते हैं!! #दरवाजा
अंशुमानिज़्म""""
#Pehlealfaaz इक 'ओर' वो है इक 'ओर' मैं हूँ एक "और" है बीच में ये बन्द दरवाजा!!!! #दरवाजा
राखी रायकवार "khushi"
वो दरवाज़ा भी मेरी राह तकता होगा... ©राखी रायकवार "khushi" #दरवाजा
Nilam Agarwalla
मैंने दरवाजा खोला तो मेरी आंखों में खुशी के अतिरेक से आंसू आ गए। दरवाजे पर मेरे माता-पिता खड़े थे। मैं उन्हें बहुत याद कर रही थी, कुछ दिनों से मेरी तबियत खराब थी कुछ भी खाने का मन नहीं करता था मगर ससुराल वालों को लगता था ये सब काम से बचने के बहाने हैं बुखार और कमजोरी के बाबजूद किचन की सारी जिम्मेदारी मेरी थी जब मायके तक यह बात गई तो मेरे माता-पिता मुझे अपने साथ ले आए। ©Nilam Agarwalla #दरवाजा