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gorav Lohar
#Life #Life_experience *राधा* तरु_का_आशियाना(संस्कृत_लेखिका_मेरठी_कुड़ी) vineetapanchal Nîkîtã Guptā डॉ मंजू यादव
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zingyi lambi nahi badi honi chye Babu mosai*राधा* vineetapanchal तरु_का_आशियाना(संस्कृत_लेखिका_मेरठी_कुड़ी) Dhanya blackrocks डॉ मंजू यादव #Life
read moreAnand Kumar Ashodhiya
2 रोटी - नई हरयाणवी रागनी नेक कमाई करिए बन्दे, ना कार कमाइए खोटी । चोरी का धन मोरी में जा, खाणी सैं दो रोटी ।। तूं भी माटी तेरे तन पै माटी, सब माटी बीच समावै सै । सब कुछ माटी हो ज्या सै क्यूं, पाप की गठड़ी ठावै सै ।। किसके लिए कमावै सै या, रिश्वत ले ले मोटी ।। मैं मैं, मैं मैं, मेरा मेरी, मैं नस नस के म्ह समा गई । बेईमानी और अहंकार नै, नस नस के म्ह रमा गई ।। तेरी बुद्धि पै रू जमा गई, देइ खेल समय नै गोटी ।। इस काया का के करले जब, आग के बीच धकेली जा । जीव आत्मा सौंपी जा सै, के करले महल हवेली का ।। कुछ बनै ना पिसे धेली का, जब चलै काळ की सोटी ।। तूं नई योजना त्यार करै, वो पहलमै लिखकै धर रहया सै । गुरू पालेराम कै आनन्द शाहपुर, रोज हाजरी भर रहया सै।। गुरू घणी सहाई कर रहया सै तूं, रच बड्डी या छोटी ।। कॉपीराइ ©Anand Kumar Ashodhiya 2 रोटी - नई हरयाणवी रागनी #ragni #हरयाणवी #Haryanvi
Anand Kumar Ashodhiya
2 रोटी - नई हरयाणवी रागनी नेक कमाई करिए बन्दे, ना कार कमाइए खोटी । चोरी का धन मोरी में जा, खाणी सैं दो रोटी ।। तूं भी माटी तेरे तन पै माटी, सब माटी बीच समावै सै । सब कुछ माटी हो ज्या सै क्यूं, पाप की गठड़ी ठावै सै ।। किसके लिए कमावै सै या, रिश्वत ले ले मोटी ।। मैं मैं, मैं मैं, मेरा मेरी, मैं नस नस के म्ह समा गई । बेईमानी और अहंकार नै, नस नस के म्ह रमा गई ।। तेरी बुद्धि पै रू जमा गई, देइ खेल समय नै गोटी ।। इस काया का के करले जब, आग के बीच धकेली जा । जीव आत्मा सौंपी जा सै, के करले महल हवेली का ।। कुछ बनै ना पिसे धेली का, जब चलै काळ की सोटी ।। तूं नई योजना त्यार करै, वो पहलमै लिखकै धर रहया सै । गुरू पालेराम कै आनन्द शाहपुर, रोज हाजरी भर रहया सै।। गुरू घणी सहाई कर रहया सै तूं, रच बड्डी या छोटी ।। कॉपीराइ ©Anand Kumar Ashodhiya 2 रोटी - नई हरयाणवी रागनी #ragni #हरयाणवी #Haryanvi
कवि मनोज कुमार मंजू
White प्यारी थी घर की आन वान शान जिंदगी बनी शमसान एक लम्बी तन्हाई खुशी न रास आई चिंता न करो कहकर खुद चिता ओढ़ गए मतलबी दुनिया में अकेला छोड़ गए शायद मिलेंगी खुशियाँ घर में फिर खनकी चूड़ियाँ पर कर्मों से कौन बचाता है इतिहास खुद को दोहराता है जीवन से फिर शर्मसार हूँ मैं अभागा गुनहगार हूँ धन की चाह में रिश्तों को भूल गए खुशी देख सीने पर सांप लोट गए कमियां तो दोनों में थी एक की उछाली, एक की दबा ली तुम तो माँ थी एक को कहा तो तड़प गई दूजे को कहा तो मुकर गई भेदभाव सह न सका रोये बिन रह न सका खुद को तो संभाल पाया बिखरे रिश्ते न संभाल पाया जीवन से फिर शर्मसार हूँ मैं अभागा सबका गुनहगार हूँ ©कवि मनोज कुमार मंजू #मैं_गुनहगार_हूँ #अभागा #नियति #भाग्य #मनोज_कुमार_मंजू #मंजू #good_night
धाकड़ है हरियाणा
Anand Kumar Ashodhiya
चुनावी रागणी - शतुरमुर्ग* विकास का मुद्दा ठावण आळी, वा पार्टी पड़कै सो ली जो सरकार बणाई थी वा, मनै पाँच बरस तक रो ली शाल दुशाले काम्बळ काळे, मनै धर लिए तह लगाकै देशी इंग्लिश की पेटी भी, मनै धर ली गिणा गिणाकै अरै वोट कितै और चोट कितै, मैं आग्या बटण दबाकै नाच नाच कै ढोल बजाया, मनै पंगु सरकार बणाकै इब शतुरमुर्ग की तरिया मनै, रेत में नाड़ गडो ली जो सरकार बणाई थी वा, मनै पाँच बरस तक रो ली देख देख कै नोटां की तह, मनै मन की लौ बुझा दी अरै बेगैरत की ढाळ आत्मा, देकै लोभ सुवा दी ले ले कै नै नोट करारे, मनै बोगस वोट घला दी ज़मीर बेचकै सोदा पाड़या, बोटां की झड़ी लगा दी इब पछता कै के फायदा जब, पाप में टाँग डबो ली जो सरकार बणाई थी वा, मनै पाँच बरस तक रो ली कदे धर्म पै कदे जात पै, कदे माणस ऊपर हार गया कदे नामा कदे जड़ का सामा, वोट के ऊपर वार गया कदे इंग्लिश कदे घर की काढी, गळ के नीचै तार गया झूठ कपट बेईमानी का नश्तर, सबके भीतर पार गया सच की घीटी पै पांह धरकै, मनै पाप की गठड़ी ढो ली जो सरकार बणाई थी वा, मनै पाँच बरस तक रो ली सही समय पै सही माणस नै, चुणने में हम फेल रहे गुरु पालेराम की बोट की खातिर, बड़े बड़े पापड़ बेल रहे अपणी बात बणावण खातिर, झूठ बवण्डर पेल रहे पाप की लकड़ी, सच की गिंडु, टोरम टोरा खेल रहे "आनन्द शाहपुर" चेत खड़या हो, क्यूँ नाश की राही टोह ली जो सरकार बणाई थी वा, मनै पाँच बरस तक रो ली कॉपीरा ©Anand Kumar Ashodhiya #हरयाणवी हरयाणवी रागनी चुनावी शतुरमुर्ग कविता व्यंग
#हरयाणवी हरयाणवी रागनी चुनावी शतुरमुर्ग कविता व्यंग
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