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Bhim Singh
मुसलसल हम,गैरों पर नजरें रखते रहे । क्या मालूम था इस साजिश में तुम भी शामिल हो। कर देता कोई हवा-ख्वाह खबर हमें तो तेरे रंज के हम शिकार न होते । ©Bhim Singh रघुबीर सिंह रघुबीर सिंह रघुबीर सिंह #alone
Ek villain
बड़े गुरुदेव गलत नहीं कहते कि जितनी बड़ी चादर वहां पांव उतने ही पिलाना चाहिए लेकिन जब कोई विषय यह स्थानीय राजनीति के जंजाल में फंसने लगता है तो यह आश्चर्य होता है जो देश की राजधानी दिल्ली के साथ 2012 से हो रहा है अब जाकर उसके चादर के एकीकरण करने का घर प्रयास किया जा रहा है हम बात कर रहे हैं दिल्ली के नगर निगम के बंटवारे की बैग और क्षेत्रफल का नाम लिए ही अलग-अलग दिशाओं में उनके पांव फैला दिए गए थे दक्षिण नगर निगम के पास तो आज तक अपना घर यानी कार्यकाल भी नहीं है जो कि मैं अपने कार्यकाल सिविल सेंटर से संचालित करता आ रहा है लिहाजा उसे ₹3000 किराए का तकादा उत्तरी नगर निगम करता रहता है यह इस बात को भी उजागर करती है कि बैग और दूरगामी परिणाम सोचे अच्छी भली व्यवस्था में किसे बंटवारे का दंश झेलती है पिछले लगभग एक दशक में दिल्ली के सरकारी कर्मचारियों से लेकर आम जनता तक नहीं कई बार महसूस किया है भला बंटवारे की नियति वालों को एकीकरण की अनुमति कैसे होगी इसलिए उन्होंने यह कोई हिस्से में बहुत ही अच्छा लग रहा है एकत्रित नगर निगम के अंतिम कश्मीर की एक पुस्तक स्टेट और कैपिटल जिसमें दिल्ली नगर निगम के विभाजन का भी उल्लेख किया गया है इस पुस्तक में उन्होंने एक जगह लिखा है कि दिल्ली नगर निगम एक मजबूत स्थिति में विभाजित कर दिया गया इससे दिल्ली वालों को काफी नुकसान हुआ क्योंकि पहले दिल्ली नगर निगम में जो योजना बनाई थी वह ऊपर लागू होती थी उपरोक्त कथन के संदर्भ में रखते हुए देखा तो अधिकांश चीजें बिल्कुल विपरीत मिलती हैं ©Ek villain #दिल्ली नगर निगम के एकीकरण का मतलब #Hope
Bhim Singh
उसके ईश्क का मैं ग़ालिब होता। अगर वो शख्स मेरे साथ होता। यूँ ही नही जलता,लोगों की मुकम्मल मोहब्बत से। काश! मैं भी ईश्क में ताजिर होता। ©Bhim Singh रघुबीर सिंह #adventure
रघुबीर सिंह #adventure #शायरी
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जो सुकून अंधेरे में है, वो रोशनी में कहां। मजा जो खामोशी में है,वो बातों में कहां। ना जाने क्यो कोसता है,मुसाफ़िर रास्तों को मजा जो राहों में है,वो मंजिल में कहां। ©Bhim Singh रघुबीर सिंह #Moon
मनुस्मृति त्रिपाठी
बेख़ौफ़ फिरूं मैं, हाँ बेखौफ़ फिरती हूँ दिल्ली मुखर्जी नगर की गलियों में मैं क्योकि पता है दिल जो मचलता था वो तेरे गिरफ्त में है बरसों से बिन लाली बिन पाउडर बिना सीसा देखे निकल जाती हूँ बालों में लट लपेट कर क्योंकि तेरे सिवा किसी और के लिए मै श्रृंगार नहीं करती साहब याद रहे और तुम्हे श्रृंगार पसंद नहीं,भाग्यशाली हूँ तेरे प्रेम के नशे में सच बताऊँ बहुत पैसे बचते हैं हमारे तुझसे सच्ची मोहब्बत करके पागल सी बेखौफ़ फिरती हूँ मैं दिल्ली मुखर्जी नगर की गलियों में हाँ तब दिल धड़क जाता है किसी को टकला देख कर,नर्गिस बेनूरी खज़ा ©Tanu tiwari दिल्ली मुखर्जी नगर की गलियों में मैं बडी बेखौफ़ सी फिरती हूं साहिब
दिल्ली मुखर्जी नगर की गलियों में मैं बडी बेखौफ़ सी फिरती हूं साहिब #कॉमेडी
read moresavitri mishra
कुछ सफऱ अधूरा सही बेमिसाल होता हैं ©savitri mishra #Hum #दिल्ली #दिल्ली
Anekanth Bahubali
नगर कितना नकली - नकली है यह नगर बिल्कुल असली -असली - सा लगता है । लोग यहाँ के बिल्कुल लोग जैसे लगते हैं और मकाने - दुकानें सब कुछ उन जैसे ही लगते हैं पर न जाने क्यों सब कुछ अजीब -अजीब -सा लगता है । यहाँ कोई कभी अपना - अपना -सा लगता है । फिर सब कुछ सपना-सपना -सा लगता है । भीड़ में घुस जाओ अगर तुम तो सब कुछ कितना अजीब - अजीब -सा लगता है । सब कुछ सपना - सपना- सा लगता है । - बाहुबली भोसगे नगर #City
नगर #City
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