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Ravendra
N S Yadav GoldMine
श्री कृष्ण का धृतराष्ट्र को फटकार कर उनका क्रोध शान्त करना और धृतराष्ट्र का पाण्डवों को हृदय से लगाना पढ़िए महाभारत !! 📝📝 {Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत: स्त्री पर्व द्वादश अध्याय: श्लोक 1-17 :- श्री कृष्ण का धृतराष्ट्र को फटकार कर उनका क्रोध शान्त करना और धृतराष्ट्र का पाण्डवों को हृदय से लगाना. 📙 वैशम्पायन उवाच वैशम्पायन जी कहते हैं -राजन्! तदनन्तर सेवक-गण शौच-सम्बन्धी कार्य सम्पन्न कराने के लिय राजा धृतराष्ट्र-की सेवा में उपस्थित हुए। जब वे शौच कृत्य पूर्ण कर चुके, तब भगवान मधुसुदन ने फिर उनसे कहा-राजन! आपने वेदों और नाना प्रकार के शास्त्रों का अध्ययन किया है। सभी पुराणों और केवल राजधर्मों का भी श्रवण किया है। 📙 ऐसे विद्वान, परम बुद्धिमान् और बलाबल का निर्णय करने में समर्थ होकर भी अपने ही अपराध से होने वाले इस विनाश को देखकर आप ऐसा क्रोध क्यों कर रहे हैं ? भरतनन्दन! मैंने तो उसी समय आपसे यह बात कह दी थी, भीष्म, द्रोणाचार्य, विदुर और संजय ने भी आपको समझाया था। राजन्! परंतु आपने किसी की बात नहीं मानी। 📙 कुरुनन्दन! हम लोगों ने आपको बहुत रोका; परंतु आपने बल और शौर्य में पाण्डवोंको बढा-चढ़ा जानकर भी हमारा कहना नहीं माना। जिसकी बुद्धि स्थिर है, ऐसा जो राजा स्वयं दोषों को देखता और देश-काल के विभाग को समझता है, वह परम कल्याण का भागी होता है। 📙 जो हित की बात बताने पर भी हिता हित की बातको नहीं समझ पाता, वह अन्याय का आश्रय ले बड़ी भारी विपत्तिbमें पड़कर शोक करता है। भरत नन्दन! आप अपनी ओर तो देखिये। आपका बर्ताव सदा ही न्याय के विपरीत रहा है। राजन्! आप अपने मन को वश में न करके सदा दुर्योधन के अधीन रहे हैं। अपने ही अपराध से विपत्ती में पड़कर आप भीमसेन को क्यों मार डालना चाहते हैं? 📙 इसलिये क्रोधको रोकिये और अपने दुष्कर्मोंको याद कीजिये। जिस नीच दुर्योधन ने मनमें जलन रखनेके कारण पात्र्चाल राजकुमारी कृष्णाको भरी सभामें बुलाकर अपमानित किया, उसे वैरका बदला लेनेकी इच्छासे भीमसेनने मार डाला। आप अपने और दुरात्मा पुत्र दुर्योधनके उस अत्याचारपर तो दृष्टि डालिये, जब कि बिना किसी अपराधके ही आपने पाण्डवों का परित्याग कर दिया था। 📙 वैशम्पायन उवाच वैशम्पाचनजी कहते हैं – नरेश्वर! जब इस प्रकार भगवान् श्रीकृष्ण ने सब सच्ची-सच्ची बातें कह डालीं, तब पृथ्वी पति धृतराष्ट्र ने देवकी नन्दन श्रीकृष्ण से कहा- महाबाहु! माधव! आप जैसा कह रहे हैं, ठीक ऐसी ही बात है; परतु पुत्र का स्नेह प्रबल होता है, जिसने मुझे धैर्य से विचलित कर दिया था। 📙 श्रीकृष्ण! सौभग्य की बात है कि आपसे सुरक्षित होकर बलवान् सत्य पराक्रमी पुरुष सिंह भीमसेन मेरी दोनों भुजाओं- के बीच में नही आये। माधव! अब इस समय मैं शान्त हूँ। मेरा क्रोध उतर गया है, और चिन्ता भी दूर हो गयी है अत: मैं मध्यम पाण्डव वीर अर्जुन को देखना चाहता हूँ। समस्त राजाओं तथा अपने पुत्रों के मारे जाने पर अब मेरा प्रेम और हित चिन्तन पाण्डु के इन पुत्रों पर ही आश्रित है। 📙 तदनन्तर रोते हुए धृतराष्ट्र ने सुन्दर शरीर वाले भीमसेन, अर्जुन तथा माद्री के दोनों पुत्र नरवीर नकुल-सहदेव को अपने अगों से लगाया और उन्हें सान्तवना देकर कहा – तुम्हारा कल्याण हो। 📙 इस प्रकार श्रीमहाभारत स्त्रीपर्व के अन्तर्गत जल प्रदानिक पर्व में धृतराष्ट्र का क्रोध छोड़कर पाण्डवों को हृदयसे लगाना नामक तेरहवॉं अध्याय पूरा हुआ। N S Yadav .... ©N S Yadav GoldMine #gururavidas श्री कृष्ण का धृतराष्ट्र को फटकार कर उनका क्रोध शान्त करना और धृतराष्ट्र का पाण्डवों को हृदय से लगाना पढ़िए महाभारत !! 📝📝
Thakur Rajan Singh
देखती थी राह जो कि लौट कर घर आएंगे उसकी पूरी ज़िंदगी इंतज़ार में ही गुज़र गई एक दुनिया को बना के एक बुढ़िया खुश रही फ़िर रफ़्ता रफ़्ता सारी खुशियां भी बिखर गई हम गांव को छोड़ कर शहर आ गए और फ़िर यूं हुआ कि गांव में अम्मा तड़प के मर गई : राजन सिंह 🥺🥺 .... ©Thakur Rajan Singh देखती थी राह जो कि लौट कर घर आएंगे उसकी पूरी ज़िंदगी इंतज़ार में ही गुज़र गई एक दुनिया को बना के एक बुढ़िया खुश रही फ़िर रफ़्ता रफ़्ता सारी
Dr.Vinay kumar Verma
Ravendra
विश्व Nath
सुना है आजकल तुम दिल तोड़ने मे बहुत माहिर हो और कितनों का दिल तुम तोड़ोगी चलो ठीक है हम मान लेते है कि इस काम में तुम आगे हो मगर एक सवाल हमारा भी है कि दिल तो तुम्हारा भी तोड़ा होगा किसी ने बोलो तुम अपने दिल को कैसे जोड़ोगी ©विश्व "nath जी #khayal "कृष्णा राजपूत " Dr.Saurabh Rana ji (cute fauji) Sircastic Saurabh Dharmendra Gupta Kumar Shaurya Surya Local Äñgëĺîñä (Añgëľ) Man
विश्व Nath
चुपचाप रहने लगा हूँ अब देखने लगा हूँ मैं भी ख्वाब ना जाने मुझे क्या हो गया पता उसका बताओं तुम सब वो शायद मुझसे खो गया मेरा तो था बस वो ही रब पूछो उससे तुम जाकर कोई मिलने मुझसे वो आएगी कब आकर कहेगी कब मुझसे वो कि मुझे भी हुआ है तुमसे लव ©विश्व "nath जी #tanha प्रशांत की डायरी अभिषेक योगी (alfaaz_बावरे) Pappu Rai Sircastic Saurabh BenZil (बैंज़िल) Chouhan Saab Munni प्रशांत की डायरी Md Tah
GRHC~TECH~TRICKS
सम्पूर्ण सृष्टि एक फलदार वृक्ष की तरह ही होता है। जिस समय फल पकने का समय आ जाता है। उसी वृक्ष की समस्त शाखाओं के मीठे - मीठे फलों, भरपुर आनन्द उठाने के लिए जल्दी ही भागे आते हैं, जल्दी ही जैसे ही वृक्ष के समस्त फल खत्म हो जातें हैं, समस्त सृष्टि वासी वृक्ष की जाति तक नहीं पुछते है, अर्थात स्वार्थ ही स्वार्थ हर पल हर जगह स्वार्थ रूप ही है। स्वार्थी की भावना की नींव रखी है सम्पूर्ण सृष्टि। जो कि सृष्टि का उत्पादन वाला निस्वार्थ भाव वाला है। ©GRHC~TECH~TRICKS #grhctechtricks #GuzartiZindagi Banarasi.. Bharat Bandiwadekar Gupta jii @ Neelam Zero_ Artimaurya Gyanendra Pandey Kiran kumari Patel ~S
Thakur Rajan Singh
जो जनता अपनी जुग्गिया छुपाई जाने पे सरकारी पर्दे तक नहीं फाड़ सकती उस जनता को ये पूरा अधिकार है , कीड़े मकौड़े की तरह घुट घुट के मरने का वो जनता कटोरा लेकर भीख मांगने के लिए ही बनी है... : राजन सिंह 🥴🥴 .... ©Thakur Rajan Singh जो जनता अपनी जुग्गिया छुपाई जाने पे सरकारी पर्दे तक नहीं फाड़ सकती उस जनता को ये पूरा अधिकार है , कीड़े मकौड़े की तरह घुट घुट के मरने का वो
Thakur Rajan Singh
लड़ते लड़ते मरा बहादुर जो वतन की आन में उसकी पुश्ते भीख मांगती अपने हिंदुस्तान में : राजन सिंह 🥺🥺 ... ©Thakur Rajan Singh लड़ते लड़ते मरा बहादुर जो वतन की आन में उसकी पुश्ते भीख मांगती अपने हिंदुस्तान में : राजन सिंह 🥺🥺