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दक्ष आर्यन
शाही स्नान करने तुम भी कुम्भ के मेले गए थे क्या? पुण्य कमाने गए थे या पाप धोने गए थे क्या? मन मेला करके गए थे जो, वो साफ करके आये हो क्या? पाप धोके आये हो या पाप करके आये हो क्या? रूह को भीगाया है या जिस्म से नहाके आये हो! क्या पछतावे वाले आंसू गंगा मे बहाके आये हो! या सिर्फ भीड़ का हिस्सा बनने गए थे तुम या भेड़चाल मे दिखावा करने गए थे तुम जो भगदड़ मे दब के मर गए उसके तुम भी जिम्मेदार हो तुम पुण्य से पहले पाप के हक़दार हो अब बताओ सच बताना क्या इंसाफ करके आये हो कुछ पुण्य कमाया या सिर्फ बदन साफ करके आये हो ऐसा ही नहाना था तो घर मे भी नहा सकते हो पाप ही धोने है तो भूखे को रोटी खिला सकते हो, प्यासे को पानी पिला सकते हो, इस रास्ते से तुम कभी भी पुण्य कमा सकते हो ©दक्ष आर्यन शाही स्नान करने तुम भी कुम्भ के मेले गए थे क्या? पुण्य कमाने गए थे या पाप धोने गए थे क्या? मन मेला करके गए थे जो, वो साफ करके आये हो क्या?
शाही स्नान करने तुम भी कुम्भ के मेले गए थे क्या? पुण्य कमाने गए थे या पाप धोने गए थे क्या? मन मेला करके गए थे जो, वो साफ करके आये हो क्या?
read morewhite Angel animation
prayagraj Kumbh Mela mein aapka Hardik swagat hai ©white Angel animation There is a provision of accommodation for those who come to Prayagraj to take bath in Sangam, Call +9193415 02636 Note 1.We have food facil
There is a provision of accommodation for those who come to Prayagraj to take bath in Sangam, Call +9193415 02636 Note 1.We have food facil
read moreRakesh frnds4ever
White हुए नामवर ... बेनिशां कैसे कैसे ... ज़मीं खा गयी ... नौजवान कैसे कैसे ... आज जवानी पर इतरानेवाले कल पछतायेगा - ३ चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता है ढल जायेगा - २ ढल जायेगा ढल जायेगा - २ तू यहाँ मुसाफ़िर है ये सराये फ़ानी है चार रोज की मेहमां तेरी ज़िन्दगानी है ज़र ज़मीं ज़र ज़ेवर कुछ ना साथ जायेगा खाली हाथ आया है खाली हाथ जायेगा जानकर भी अन्जाना बन रहा है दीवाने अपनी उम्र ए फ़ानी पर तन रहा है दीवाने किस कदर तू खोया है इस जहान के मेले मे तु खुदा को भूला है फंसके इस झमेले मे आज तक ये देखा है पानेवाले खोता है ज़िन्दगी को जो समझा ज़िन्दगी पे रोता है मिटनेवाली दुनिया का ऐतबार करता है क्या समझ के तू आखिर इसे प्यार करता है अपनी अपनी फ़िक्रों में जो भी है वो उलझा है - २ ज़िन्दगी हक़ीकत में क्या है कौन समझा है - २ आज समझले ... आज समझले कल ये मौका हाथ न तेरे आयेगा ओ गफ़लत की नींद में सोनेवाले धोखा खायेगा चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता है ढल जायेगा - २ ढल जायेगा ढल जायेगा - २ ,,,,,,, 1 ,,,,,,,, ©Rakesh frnds4ever हुए नामवर ... बेनिशां कैसे कैसे ... ज़मीं खा गयी ... नौजवान कैसे कैसे ... आज जवानी पर इतरानेवाले कल पछतायेगा - ३ #चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता
हुए नामवर ... बेनिशां कैसे कैसे ... ज़मीं खा गयी ... नौजवान कैसे कैसे ... आज जवानी पर इतरानेवाले कल पछतायेगा - ३ #चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता
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