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K L MAHOBIA
White प्यार तुमको निभाना नए साल में।इश्क का वो दिवाना नए साल में। लोग मिलने लगे फिर बड़े चाल में।भूलकर दिल खिलाना नये साल में रोज बहने लगी यूं फिजा आप हीबाग खिलने लगाना नए साल में। शोर में दिल जमें है बचा आदमी मौत से खुद बचाना नए साल में। आशिकी आदमी की पड़ी है खफा ख़ास कहना यहां ना नए साल में। खूब महफ़िल जमी है खबर वक्त मेंलोग करते बहाना नए साल में। बात करना नहीं जो निभा ना सकोभूल करना बताना नए साल में। शाम का दौर जारी रहा रात भरगैर तो को भुलाना नए साल में। भूल सकता नहीं दर्द जो है दियालौटकर आज़ आना नये साल में। जो बसर में नहीं फिर वो गये कहां ढूंढ कर फिर बसाना नए साल में। खौफ में जीत जाते सदा ही वहीरात करवट कराना नए साल में। लोग मिलते हमेशा खुशी के लिए छोड़ देना सताना नये साल में। के एल महोबिया ©K L MAHOBIA #दिल से :- के एल महोबिया
K L MAHOBIA
White वह आखिरी मुलाकात अधूरी ही रही। कह ना सके तुझसे बात जरूरी है वही। हिले ना होंठ मेरे वो समझे है दिल की , मेरे जज्बातों का ख्याल करो तो सही। तेरे दर से गुजरके कहां और जाए कहीं हमने सजा ली थी जिंदगी तुझी से यही आंखों में आंखें डाल कह तो दिया उसे आखिरी मुलाकात जरूरी जाने ही नहीं कैसे कहां था आखिरी मुलाकात यही दिल तो समझा और यह माना ही नहीं दिल के जज्बातों ने मुझे किया धोखा क़सम से होती आखिर मुलाकात नहीं। के एल महोबिया ✍️ ©K L MAHOBIA #दिल से :- के एल महोबिया
K L MAHOBIA
कह दो मगरूर हवाओं से बदल ले राह अपने। चलकर फिर रूह में उतर जाते रहे चाह सपने। देखा है राह पर ढुलके पड़े नशे में चूर आदमी। देखकर मुझे रास्ते बदले जमाने में रहे कितने। के एल महोबिया 🙏 ©K L MAHOBIA #दिल से :- के एल महोबिया
K L MAHOBIA
White कह दो मगरूर हवाओं से बदल ले राह अपने। चलकर फिर रूह में उतर जाते रहे चाह सपने। देखा है राह पर ढुलके पड़े नशे में चूर आदमी। देखकर मुझे रास्ते बदले जमाने में रहे कितने। के एल महोबिया 🙏 ©K L MAHOBIA #दिल से :- के एल महोबिया
K L MAHOBIA
White आशिकी के गीत गाता क्यों नहीं। प्यार है तो फिर बताता क्यों नहीं। इश्क में पड़कर जलेगा ये शहर बेवफा को भूल पाता क्यों नहीं । खूब असली में नकल बढ़ता चला आदमी असली दिखाता क्यों नहीं। पीर हमको इश्क की जबसे मिली प्यार प्याले में समाता क्यों नहीं। भोर था लेकिन मुझे किनारा किया बस सितम का दर्द जाता क्यों नहीं। के एल महोबिया ✍️🙏 ©K L MAHOBIA #दिल से :- के एल महोबिया
K L MAHOBIA
White वह आखिरी मुलाकात अधूरी ही रही। कह ना सके तुझसे बात जरूरी है वही। हिले ना होंठ मेरे वो समझे है दिल की , मेरे जज्बातों का ख्याल करो तो सही। तेरे दर से गुजरके कहां और जाए कहीं हमने सजा ली थी जिंदगी तुझी से यही आंखों में आंखें डाल कह तो दिया उसे आखिरी मुलाकात जरूरी जाने ही नहीं कैसे कहां था आखिरी मुलाकात यही दिल तो समझा और यह माना ही नहीं दिल के जज्बातों ने मुझे किया धोखा क़सम से होती आखिर मुलाकात कहीं। के एल महोबिया ✍️ ©K L MAHOBIA #दिल से - के एल महोबिया
K L MAHOBIA
White ज़ालिमों ने जिसको लूटा जाकर मयखाने में। गुजारी है सारी उमर बेशक उसको बचाने में। माली ने सिद्दत से सींचा गुलाब गुलशन को। कमबख्तों ने तोड़ा उसे सेजों को महकाने में। ज़ालिम ने जहर बोया है बुजदिल वजन को। जिंदगी भर मेहनत की कलियां को बसाने में। मौत का सौदा किया जिसने उसके लिए क्या। हकीकत दफ़न करने लगे चुपचाप दबाने में। के एल महोबिया ©K L MAHOBIA #दिल से:- के एल महोबिया
K L MAHOBIA
दिल तुम्हारी याद में जलता रहा है। दम भी घुटता और खुद गलता रहा है। कब से बैठा खौफ में मुश्किल घड़ी है। इक भरोसे में जिंदगी छलता रहा है। बिकते कैसे कौड़ियों के दाम में सारे। देख कर दिल में हमेशा खलता रहा है। छोड़ देते है साथ वादा करके अपने ही, उगता सूरज आशिकी में ढलता रहा है। के एल महोबिया✍️ ©K L MAHOBIA #दिल से :- के एल महोबिया
K L MAHOBIA
उन्हें देखते ही यह दिल खो गया है। जाने मुझे अब फिर ये क्या हो गया है। यूं उन पर भरोसा जो मैंने किया था। दिल तोड़ के वो अब कहां खो गया है। के एल महोबिया ©K L MAHOBIA #दिल से :- के एल महोबिया
K L MAHOBIA
सुन तिहारे रोज़ झांसे में नहीं आएंगे। मत पुकारों लोग फांसे में नहीं आएंगे। नार रखते और होंगे द्यूत क्रीड़ा खेलने, हम बिसातों और पांसे में नहीं आएंगे। गम बुरा है रोग का छुपता नहीं छुपाने से, दिल बुझा रम जान रासे में नहीं आएंगे। उड़ गई रंगत बुझा चहरा तिरी चाहत में, इश्क में मर कर दिलासे में नहीं आएंगे। ओढ़ चादर सो गया वो आप गुमनामी में। छुप गया फिर हम जगाने नहीं आएंगे। ✍️के एल महोबिया ©K L MAHOBIA #आशिकी में :- के एल महोबिया