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Garima
#RIPRohitSardana प्रेम जिसमे जो समर्पण, त्याग की हो भावना प्रेम जिसमे रूह से संवाद की हो भावना प्रेम जो अमरत्व को पाकर अधूरा ही रहें प्रेम जो द्वापर में राधा और कान्हा ही करें। ©Garima प्रेम का सार्थक अर्थ....
Garima
प्रेम ऐसा जो नदी सा अनवरत बहता रहें प्रेम जो निस्वार्थ होकर जा समुंदर में गिरे प्रेम का ये योग जो संयोग से बनता रहें अनकहे ही शब्द में परिभाषा गढ़ता रहे. ©Garima प्रेम का सार्थक अर्थ भाग -2
vishal
Career का हिंदी में अर्थ विकास, पेशा, व्यवसाय, आजीविका आदि होता है. कोई व्यक्ति अपनी जिंदगी में प्रगति लाने के लिए या आजीविका चलाने के लिए जो कार्य करता है उसे करियर कहते है. आजीविका उस कार्य को कहते है जिससे जीविकोपार्जन होता है. उदाहरण के लिए शिक्षक, वकील, कलाकार, डॉक्टर, ब्लॉगर, ड्राइवर आदि कुछ आजीविकायें है. अक्सर हम अपने दोस्तों के साथ जब बात करते है तो उनसे पूछते है कि तुम किस क्षेत्र में अपना करियर बनाओगे। यानि तुम किस क्षेत्र में विकास करोगे। या किस क्षेत्र में रोजगार या नौकरी करोगे। कई सफल लोगो से सलाह भी लेते है कि किस क्षेत्र में करियर बनाना उचित रहेगा। कई प्रोफेशनल इंस्टिट्यूट बच्चों की काउन्सलिंग करते है ताकि सही करियर चुनने में उनकी मदत की जा सके. अगर माता-पिता शिक्षित होते है तो बच्चे की रुचि और शौक के अनुसार उसे कार्य करने देते है और उसको उसमें अपना करियर बनाने देते है.h ©vishal Career का हिंदी में अर्थ विकास, पेशा, व्यवसाय, आजीविका आदि होता है.
PS T
श्रीकृष्ण.. धर्म कार्य के लिए युक्ति से काम लेना उन्हीं से सीखा... चाणक्य बाद में हुए पहले श्रीकृष्ण ने महाभारत में जो नीति युक्ति कम्युनिकेशन स्किल दिखाई... कहाँ ताकत कहाँ सिर्फ दिमाग.. कहाँ छल फैन हूँ मैं "श्रीकृष्ण" का.. पांडवों को खासकर अर्जुन को "गीता" से प्रेरित करना.. बाल लीला तो पुछो ही मत.. बचपन मे सबसे अच्छा अनुभव "कृष्ण लीला" ही था... #महाभारतचरित्र #yqdidi #challenge ...... समर उर्दू में समर का अर्थ होता है - फल
Ek villain
जिंदगी भर हम कुछ ना कुछ खरीदते रहते हैं हम सोचते हैं कि यह चीजें हमें शारीरिक और मानसिक सुख प्रदान करेगी असलियत में हमें क्या खरीदना चाहिए यह हमें मालूम नहीं होता दुनिया में बहुत कुछ मिल रहा है हमें समझ नहीं है कि क्या खरीदे और हम पर क्या असर होगा जैसे कि जो चीज हमारे सेहत के लिए अच्छी है तो हम उसे खाएंगे और अगर खराब हो तो हम उसे नहीं खाएंगे यही बात हमारी जिंदगी के आध्यात्मिक पहलू पर भी लागू होती है हम अपने समय सही चीजों को पाने में लगाने चाहिए हर 1 दिन में सिर्फ 24 घंटे का इस्तेमाल अगर सही तरीके से करेंगे तो हम अपनी मंजिल की ओर तेजी से बढ़ेंगे महापुरुष के चरण कमलों में लोग दूर-दूर से इसलिए आते हैं क्योंकि वह उन्हें अध्यात्मिक जागृत देते हैं यदि महापुरुष के चरणों में पहुंचकर भी हमने उनसे पैसे और दुनिया की अन्य चीजें मांग ली तो फिर हमने अपनी असली रूप के लिए कुछ मांगा ही नहीं और ना ही अपनी आध्यात्मिक उन्नति की ओर कदम बढ़ाया हमारी जिंदगी बड़ी अनमोल है अगर हमने उसको बाहरी दुनिया के सुखों में ही व्यतीत कर दिया तो हम असलियत से बहुत दूर चले जाएंगे सतगुरु एक शिक्षक की तरह हमें आत्म ज्ञान देकर ध्यान की विधि सिखाते हैं जैसे-जैसे हम ध्यान अभ्यास करते हैं तो हमें अपने अंतस में प्रभु की दिव्य ज्योति से जुड़कर सदा सदा खुशी प्राप्त करते हैं ©Ek villain #सार्थक जीवन का सूत्र #selflove
Ek villain
प्रतिदिन हम इस सोच और संकल्प के साथ आरंभ करें कि आज हम कुछ नया करना है फिर दिन की समाप्ति पर यह विश्लेषण करें कि क्या हम आज कुछ ऐसा कर सकें जिससे हमारे व्यक्तित्व कृति में कुछ नया जुड़ा हो इसका वस्तुनिष्ठ आंकलन आवश्यक है परंतु अतिरेक विश्लेषण भी अनुपातिक होता है बीते कल में हमने क्या खोया क्या पाया इस गणित को कुछ समय के लिए अनदेखा करें अनर्थ असफल महत्वकांक्षी लापरवाह पर्यटन कमजोर निर्णय और अंधेरे स्वपन हमें परेशान करेंगे इसलिए आज सिर्फ जीवन के इस आदेश को मूर्ति रुप देना है कि हम वही बनना है जो सच में हम हैं इसलिए आवश्यक है कि क्योंकि सभी समस्याओं का मूल यही है कि हम जो देखते हैं वास्तविकता में वैसे नहीं होते इसी दौरे पर में जीवन की सभी श्रेष्ठ बताएं अर्थ खो बैठती हैं नई उपलब्धियों की आकांक्षा रखने वालों को राय भी नींद नहीं तय करनी पड़ती है हमारी समस्या यही है कि हम नजारे तो नहीं देखना चाहते हैं परंतु पुराने रास्तों को छोड़ने का जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं समरण रहे कि यदि कुछ ऐसा पाना चाहते हैं जो आपके पास पहले नहीं है तो उसके लिए प्रयास भी कुछ ऐसा ही करना होगा जो पहले कभी नहीं किया हमें स्वयं को कई अनावश्यक चीजों से गिरे रखना होगा जो कहे बगैर हमें भटकाती रहती हैं समय के साथ व्यक्ति बदलता है परंतु जीवन मूल्य नहीं दायरे और दिखाएं बदलती हैं मगर आदर्श और उधर से नहीं संवेदना शीलता में करुणा संतुलन धैर्य और विकास का समावेश होना ही चाहिए ताकि सुख मिटना सके और स्वार्थ फैलना सके जो व्यक्ति का सही नियोजन करना समय के साथ निर्माण के लिए हस्ताक्षर करना संभावनाओं को सफल परिणाम में बदलना संतुलन और सपने की पूर्णता देना दृष्टिकोण को सम्यक रखना और भाग्यवादी ना बन कर स्वयं भाग्य रचना जानता हो वही सार्थक जीवन जीता है ©Ek villain # सार्थक जीवन का सूत्र #lovebond
Ek villain
सब जानते हैं कि हम जैसे होते हैं वैसा ही काटते हैं उस हालत के बीज बोकर मर्यादा के सफल नहीं काटी जा सकती जो मर्यादा का बीज बहुत है वह शौक से मलाल हो जाता है आज हर आदमी सुख की खोज में खड़ा है ऐसे लोगों को संबोधित करते हुए विद्वान ने ठीक ही कहा है मैं कभी कहता हूं कि जीवन सचमुच अंधकार है यदि अंश आना हो तो सारी आकांक्षाएं आदि है यदि ज्ञान ना हो सारा ज्ञान व्यर्थ है या धर्म का ज्ञान हो तो वह भी प्रेम से प्रेरित होकर कर्म करते हैं तब स्वयंसेवक दे एक दूसरे के बंद थे फिर प्रेम भगवान से बनते हैं यह प्रेम का अर्थ संयम है मर्यादा है इसे सब नंबर मर्यादा के बल पर हम सब कुछ कर सकते हैं जो अपने जीवन में करना चाहते हैं हम अच्छा आदमी तभी बन सकते हैं यदि हमें अपने आप में नियंत्रण रखने की क्षमता हो यदि दृढ़ निश्चय है हमें सामूहिक निर्णय लेने की क्षमता और आशीर्वाद ही दृष्टिकोण हो सकारात्मक सोच हो ऐसा नहीं कि आज का आदमी समय के साथ चले ना चाहे बुरी आचरण को छोड़कर अच्छी जिंदगी का सपना ना देखे बुराई को बुराई समझने के लिए तैयार ना हो सोचना यह है कि हम अपने संस्कारों को कैसे सुधारे जाने तक कैसे पहुंचे बिना जड़ के सिर्फ फूल पत्तों का क्या मूल्य पतझड़ में फूल पत्ते झड़ जाते हैं मगर विकसित अभी इस वक्त पर सहयोग नहीं करते क्योंकि उनके पास लड़की सत्ता सुरक्षित है जिसमें पुणे फूल पत्तों पर फिलहाल उठता है भारतीय संस्कृत में कुछ सूत्र उपलब्ध है बहुजन हिताय सर्वे भवंतु सुखिन ©Ek villain #सार्थक पहल सुखी जीवन में #Holi
Ek villain
एक ऐसे समय में जब भारत अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा था और स्वतंत्र की शताब्दी वर्ष के लिए लक्ष्य तय कर रहा था तब इस महान राष्ट्र की अतीत का छाप वर्तमान के रुझान और भविष्य की संभावना के तेल लेने की प्रति उत्सुकता भाव का बढ़ना स्वाभाविक और संदर्भ में लेख पत्रकार अध्यापक संजय दिवेदी का समय अनुकूल अंतरिम सरकार जाएगा उन्होंने अपनी इस हरकत से पुस्तक भारत बोधगया समय में परिचय भी अवश्य विंदू को स्पष्ट लक्ष्य संसाधन इस किताब में त्रिवेदी ने भारत की वास्तविक कल बना उसकी महान विभूतियों राष्ट्रीय को परम वैभव के लक्ष्य तक पहुंचाने की रूपरेखा से प्रेषित करने का प्रयास किया है भारत के नए समय करते हुए कहते हैं कि हमारा देश एक नया भारत का राष्ट्रीय अनुसूचित के समय वे राष्ट्रीय परियोजना को बताता प्रभारी पश्चिमी अवधारणा के उल्टा वह भारत को एक राजनीतिक नहीं आप उसे संस्कृत अवधारणा से ओतप्रोत राते बताता है लेकिन लेखक का मानना है कि राष्ट्रीय गौरव के बढ़ने की दिशा में अग्रसर होने से पहले हम भारत की संसद एवं अवश्य विशेषताओं का वर्णन करें कि उन्हें आत्महत्या करने की आवश्यकता है ©Ek villain #भारत और भारतीयों का सार्थक विमर्श #Moon