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अनुषी का पिटारा "अंग प्रदेश "
आप है तो ज़िन्दगी में छांव और धूप है खुशियां - दर्द- मुहब्बतें - संघर्ष खूब है ईष्र्या है, द्वेष है "बराबरी" का "रेस" है सत्य और झूठ का सब पर "केस" है ©अनुषी का पिटारा.. #ज़िन्दगी_क्या_कहता_है #सत्य #सार्थक #चुनौती #अनुषी_का_पिटारा
HARSH369
सुर्य कि किरन पुरी दुनिया मे फैलती है, तुम कम से कम अपने राज्य मे तो फैल सकते हो, अरबो खरबो लोगो कि जिन्दगी निखारती है तुम किसी एक बन्दे कि जिन्दगी तो सवार सकते हो, मेरा यही उद्देश्य है, दुसरो कि जिन्दगी बेहतर करना, मैने ठाना है मै श्रेश्ठ हुं कहीं ना कहीं, आप कहां पर हो ये तो मान सकते हो..! अगर नही कर सकते इतना तो जीवन व्यर्थ है आपका..!! ©Shreehari Adhikari369 #सार्थक जीवन #सीखना और सीखाना
Pradyumn awsthi
प्रकृति के लिए किया गया कोई भी कार्य कभी भी व्यर्थ नहीं जाता ©"pradyuman awasthi" #सार्थक काम
Harish
सार्थकता इसी में है जीवन की, लक्ष्य हमेशा हो उम्मीद से ऊंची। सफ़लता-असफलता आते हैं जीवन में, उड़ान हमेशा रखना दीवार से ऊंची। #सार्थक#प्रेरणादायक# शब्द#
LOL
सार्थक होना परिपूर्ण होना टूट ना जाना तुम कभी मेरी तैश में लिखी कविताओं की तरह.. ©KaushalAlmora Song of the night: जीने के इशारे (शंकर महादेवन) #तैश #latenightquotes #सार्थक #kaushalalmora #yqdidi #yqbaba #newwritersclub #रातबाँकीbykaushalalmora
CalmKrishna
..........….... ©CalmKrishna सौभाग्यशाली हैं वो, जो ऊंचे और सार्थक काम का चयन कर पाते हैं। #काम #जीवन #सार्थक #workisworship #work #जिंदगी #motivation
Ek villain
आपने लोगों को यह शिकायत करते हुए अक्सर सुना होगा की व्यवस्था कुछ अधिक ही है और उसके चलते तमाम कारण निलंबित पड़े हैं वास्तव में ऐसे जीवन व्यस्त नहीं आपूर्ति अस्त व्यस्त होता है सफलता की कुंजी समय प्रबंधन में ही छिपी है समय के प्रबंधन का विरोधाभास देखिए लगभग समान कद काठी शिक्षा स्वास्थ्य और परिवार पृष्ठभूमि के दो व्यक्तियों में से एक कारोबारी वह पूर्ण विश्वास और उत्साह से कई उधम संचालित करता है उसी के एक कंपनी में कार्यरत दूसरे व्यक्ति ने अपना नाम अतुल्य एक निर्धारित कार्य नहीं संभाला पहला एक अन्य कंपनी खोली जा रही है कई जानकारियां प्राप्त करने को ऐसे व्यक्ति अपनी व्यवस्था देने में से एक समय निकालेंगे कोई इतना व्यस्त नहीं होता कि इस कार्य के लिए समय ही ना मिले मनुष्य में नेताओं के चलते उसे एक विशेष भूमिका निभाने की अपेक्षा होती है जिसे यह ज्ञान होगा कि वह एक क्षण व्यर्थ नहीं जाएगा ऐसा व्यक्ति कार्य को बोझ नहीं समझता बल्कि कार्य में व्यवस्था से आंदोलित एवं श्रेष्ठ रहता है कार्य में चित्र लगाने वाला ना तो कार्य से कार्यरत और ना ही उसे लड़का आएगा मन और शरीर की संरचना ऐसी है कि उसे व्यस्त नहीं रखेगा तो विभिन्न अंग प्रतियों की कार्य क्षमता क्षीण होती जाएगी अकारणीय व्यक्ति देश समुदाय राष्ट्रीय और स्वयं अपने लिए बोल होता है जीवन में वित्तीय प्रभाव बनाए रखने के लिए मन मंदिर में एक स्पष्ट सार्थक परियोजना प्रतिशत करना होगा प्रयोजन यदि ईश्वरीय विधान के अनुपालन में रहे तो हितकारी होगा क्योंकि मनुष्य ईश्वर की अनुकृति केवल दिखावे के लिए व्यस्त रहने के कोई मायने नहीं है ©Ek villain #सार्थक व्यवस्था #writing
Ek villain
सब जानते हैं कि हम जैसे होते हैं वैसा ही काटते हैं उस हालत के बीज बोकर मर्यादा के सफल नहीं काटी जा सकती जो मर्यादा का बीज बहुत है वह शौक से मलाल हो जाता है आज हर आदमी सुख की खोज में खड़ा है ऐसे लोगों को संबोधित करते हुए विद्वान ने ठीक ही कहा है मैं कभी कहता हूं कि जीवन सचमुच अंधकार है यदि अंश आना हो तो सारी आकांक्षाएं आदि है यदि ज्ञान ना हो सारा ज्ञान व्यर्थ है या धर्म का ज्ञान हो तो वह भी प्रेम से प्रेरित होकर कर्म करते हैं तब स्वयंसेवक दे एक दूसरे के बंद थे फिर प्रेम भगवान से बनते हैं यह प्रेम का अर्थ संयम है मर्यादा है इसे सब नंबर मर्यादा के बल पर हम सब कुछ कर सकते हैं जो अपने जीवन में करना चाहते हैं हम अच्छा आदमी तभी बन सकते हैं यदि हमें अपने आप में नियंत्रण रखने की क्षमता हो यदि दृढ़ निश्चय है हमें सामूहिक निर्णय लेने की क्षमता और आशीर्वाद ही दृष्टिकोण हो सकारात्मक सोच हो ऐसा नहीं कि आज का आदमी समय के साथ चले ना चाहे बुरी आचरण को छोड़कर अच्छी जिंदगी का सपना ना देखे बुराई को बुराई समझने के लिए तैयार ना हो सोचना यह है कि हम अपने संस्कारों को कैसे सुधारे जाने तक कैसे पहुंचे बिना जड़ के सिर्फ फूल पत्तों का क्या मूल्य पतझड़ में फूल पत्ते झड़ जाते हैं मगर विकसित अभी इस वक्त पर सहयोग नहीं करते क्योंकि उनके पास लड़की सत्ता सुरक्षित है जिसमें पुणे फूल पत्तों पर फिलहाल उठता है भारतीय संस्कृत में कुछ सूत्र उपलब्ध है बहुजन हिताय सर्वे भवंतु सुखिन ©Ek villain #सार्थक पहल सुखी जीवन में #Holi
Ek villain
जिंदगी भर हम कुछ ना कुछ खरीदते रहते हैं हम सोचते हैं कि यह चीजें हमें शारीरिक और मानसिक सुख प्रदान करेगी असलियत में हमें क्या खरीदना चाहिए यह हमें मालूम नहीं होता दुनिया में बहुत कुछ मिल रहा है हमें समझ नहीं है कि क्या खरीदे और हम पर क्या असर होगा जैसे कि जो चीज हमारे सेहत के लिए अच्छी है तो हम उसे खाएंगे और अगर खराब हो तो हम उसे नहीं खाएंगे यही बात हमारी जिंदगी के आध्यात्मिक पहलू पर भी लागू होती है हम अपने समय सही चीजों को पाने में लगाने चाहिए हर 1 दिन में सिर्फ 24 घंटे का इस्तेमाल अगर सही तरीके से करेंगे तो हम अपनी मंजिल की ओर तेजी से बढ़ेंगे महापुरुष के चरण कमलों में लोग दूर-दूर से इसलिए आते हैं क्योंकि वह उन्हें अध्यात्मिक जागृत देते हैं यदि महापुरुष के चरणों में पहुंचकर भी हमने उनसे पैसे और दुनिया की अन्य चीजें मांग ली तो फिर हमने अपनी असली रूप के लिए कुछ मांगा ही नहीं और ना ही अपनी आध्यात्मिक उन्नति की ओर कदम बढ़ाया हमारी जिंदगी बड़ी अनमोल है अगर हमने उसको बाहरी दुनिया के सुखों में ही व्यतीत कर दिया तो हम असलियत से बहुत दूर चले जाएंगे सतगुरु एक शिक्षक की तरह हमें आत्म ज्ञान देकर ध्यान की विधि सिखाते हैं जैसे-जैसे हम ध्यान अभ्यास करते हैं तो हमें अपने अंतस में प्रभु की दिव्य ज्योति से जुड़कर सदा सदा खुशी प्राप्त करते हैं ©Ek villain #सार्थक जीवन का सूत्र #selflove