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Ramkishor Azad

नितिन कुमार 'हरित'

हरित वाणी | नितिन कुमार हरित #NitinKrHarit #Poetry

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N S Yadav GoldMine

#lakeview {Bolo Ji Radhey Radhey} हमें भगवान श्री कृष्ण जी को, चित्र में नही, चिंतन में लाना चाहिए, हमें अपनी वाणी, अपना चरित्र, अपना यह अनम #विचार

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Jesus_ka_chuna_huaa

#meditation “तौभी,” यहोवा की यह वाणी है, “अभी भी सुनो, उपवास के साथ रोते–पीटते अपने पूरे मन से फिरकर मेरे पास आओ। अपने वस्त्र नहीं, अपने मन #विचार

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कुण्डलिया :- संकट सम्मुख देखकर , देते आपा खोय । देते फिर भी ज्ञान हैं , राम करे सो होय।। राम करे सो होय , जानते सब है प्राणी । फिर क्यों कर #कविता

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कुण्डलिया :-
संकट सम्मुख देखकर , देते आपा खोय ।
देते फिर भी ज्ञान हैं , राम करे सो होय।।
राम करे सो होय , जानते सब है प्राणी ।
फिर क्यों करके क्रोध , बोलते हो कटु वाणी ।
भूल प्रेम व्यवहार , खड़ा करते हो झंझट ।
आज परीक्षा मान , भूल जाओ सब संकट ।।
२२/०३/२०२४    -महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :-

संकट सम्मुख देखकर , देते आपा खोय ।
देते फिर भी ज्ञान हैं , राम करे सो होय।।
राम करे सो होय , जानते सब है प्राणी ।
फिर क्यों कर

Mamta Singh

#WritersSpecial कविता ये हैं क्या!! चंद शब्दों,या कुछ पंक्तियों का समूह। या किसी विरहनी के अंतर्मन से निकली व्यथा। किसी भक्त के वाणी से निकल

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

सन्ध्या छन्द  221    111    22 माया जब भरमाती । पीड़ा तन बढ़ जाती ।। देखो पढ़कर गीता । ये जीवन अब बीता ।। क्या तू अब सँभलेगा । या तू नित भटकेगा #कविता

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Village Life सन्ध्या छन्द 
221    111    22
माया जब भरमाती ।
पीड़ा तन बढ़ जाती ।।
देखो पढ़कर गीता ।
ये जीवन अब बीता ।।
क्या तू अब सँभलेगा ।
या तू नित भटकेगा ।।
साधू कब तक बोले ।
लोभी मन मत डोले ।।
इच्छा जब बढ़ती है ।
वो तो फिर डसती है ।।
हो जीवन फिर बाधा ।
बोले गिरधर राधा ।।
मीठी सुनकर वाणी ।
दौड़े सब अब प्राणी ।।
सोचा नहिँ कुछ आगे ।
जोड़े मन-मन धागे ।।
१४/०३/२०२४    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सन्ध्या छन्द 
221    111    22
माया जब भरमाती ।
पीड़ा तन बढ़ जाती ।।
देखो पढ़कर गीता ।
ये जीवन अब बीता ।।
क्या तू अब सँभलेगा ।
या तू नित भटकेगा

Himanshu chaudhary

#God कृष्ण वाणी #Motivational

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Ramkishor Azad

Instagram id @kavi_neetesh

#Path गीत लिखे हैं मैंने मन के गीत लिखे हैं मैंने मन के, भावों के सुंदर उपवन के। जहां खिले हैं पुष्प हजारों, महकते हैं वन चंदन के। गीत लिख #कविता

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