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musical life ( srivastava )

हमारी_तो_छुट्टियाँ_ऐसी_होती_हैं_और_आपकी🤩🎧🎶💗🤗 #गेम मस्ती❤❤ ढेर_सारी_पंचायत🤪😜😛😈😤 किसका_बैंक_बैलेंस_बढ़_गया🤑🤑 खर्चीला_त्यौहार_छुट्टियों_का #विचार #खर्चीला_त्यौहार_छुट्टियों_का😁😅🤣

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ʀᴏʏᴀʟ.यादववंशी.

#loyalty और गेम खेल लेना जो बच रहा है खेलने के लिए सुकून मिल जाएगा...🙂🧸 #Life

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Childhood🧸

बचपन से सीखा है खुद से लड़ना
 कोई ज्ञान देने ना आये तुमने
 एक दिन क्या कहा था,
 मैंने ये सब बचपन में छोड़ दिया है,
यही गलती की तुमने नहीं छोड़ना था..
आज ईमानदार होते.

©ᴘᴜʟᴋɪᴛ ʏᴀᴅᴀᴠ. #loyalty 
और गेम खेल लेना जो बच रहा है खेलने के लिए सुकून मिल जाएगा...🙂🧸

Ramkishor Azad

प्यार की होली खेलें Holi प्रेम_रंग सरोवर रोशनी प्यार मोहिनी शायरी rsazad Trading viral Swarn Deep Bogal Vinni (Payal Rai) Neetu An

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Ramesh Ruj

कुर्सी के लिए क्या-क्या खेल खेलें, कुर्सी मिली तो क्या-क्या खेल खेलें #समाज

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Harvinder Ahuja

#आओ होली खेलें #ज़िन्दगी

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उठा तूलिका मैं भी कुछ कहूं,
बैरंग ज़िन्दगी में मैं भी कुछ रंग भरूं,
त्योहार रंगों का खड़ा सामने मुस्कुरा रहा है,
इशारों इशारों से बुला रहा है,
चारों तरफ हो अगर काली घटाएं,
समझ नहीं आता पहले कौन सा रंग उठाए,
सफ़ेद रंग से क्या दाग धुल जाएंगे?,
लाल पीले या नीले रंग भी क्या मुस्कुरा पाएंगे?
चेहरे की मुस्कराहट के पीछे उदासी झलक रही है,
दबी भावनाएं भी छलक रही है,
दबी भावनाओं को अब कैसे छुपाएं,
चलो छोड़ो आओ अब होली मनाएं।

©Harvinder Ahuja #आओ होली खेलें

Ganesh joshi

Holi . खा के गुजिया, पी के भंग, लगा के थोडा थोडा सा रंग, बजा के ढोलक और मृदंग, खेलें होली हम तेरे संग। holikadahan Rang holikhele gane

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल किसी के प्यार का दीपक जलाता आज भी हूँ मैं । वफ़ा करके भी उससे क्यों जुदा सा आज भी हूँ मैं ।।१ बुझाना चाहता हूँ मैं वफ़ा का आज वह दीपक । म #शायरी

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Blue Moon ग़ज़ल
किसी के प्यार का दीपक जलाता आज भी हूँ मैं ।
वफ़ा करके भी उससे क्यों जुदा सा आज भी हूँ मैं ।।१

बुझाना चाहता हूँ मैं वफ़ा का आज वह दीपक ।
मगर मजबूर हूँ उनका ठिकाना आज भी हूँ मैं।।२

मिलेंगे वो गली में तो बदल मैं  रास्ता दूँगा ।
खबर ही थी नहीं ये की निशाना आज भी हूँ मैं ।।३

न जाने क्यूँ कदम मेरे खिचें यूँ ही चले जाते ।
कोई बतला  मुझे ये दे मिटा क्या आज भी हूँ मैं ।।४

जुदा होकर भी उनसे क्या कहूँ दिल की तमन्ना को 
 दिया सा राह में ये दिल जलाता आज भी हूँ मैं ।।५

खिलौना वह समझकर जिस तरह मुझ से यहाँ खेलें ।
उन्हीं से यार अब रिश्ता निभाता आज भी हूँ मैं ।।६

सुना दो तुम प्रखर अब तो खबर उस बेवफ़ा की कुछ ।
यहाँ जिसके लिए आसूँ बहाता आज भी हूँ मैं ।।७
१६/०३/२०२४       -     महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल
किसी के प्यार का दीपक जलाता आज भी हूँ मैं ।
वफ़ा करके भी उससे क्यों जुदा सा आज भी हूँ मैं ।।१

बुझाना चाहता हूँ मैं वफ़ा का आज वह दीपक ।
म
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