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वेदों की दिशा
।। ओ३म् ।। अमित्रहा विचर्षणिः पवस्व सोम शं गवे । देवेभ्यो अनुकामकृत् ॥ पद पाठ अमित्रहा꣢ । अ꣣मित्र । हा꣢ । वि꣡च꣢꣯र्षणिः । वि । च꣣र्षणिः । प꣡व꣢꣯स्व । सो꣣म । श꣢म् । ग꣡वे꣢꣯ । दे꣣वे꣡भ्यः꣢ । अनुक्राम꣣कृ꣢त् । अ꣣नुकाम । कृ꣢त् ॥ हे (सोम) जगदीश्वर ! (अमित्रहा) काम, क्रोध आलस्य आदि शत्रुओं के विनाशक, (विचर्षणिः) विशेष द्रष्टा, (देवेभ्यः) विद्वानों के लिए (अनुकामकृत्) अभीष्ट सिद्ध करनेवाले आप (गवे) स्तोता के लिए (शम्) शान्तिदायक होते हुए (पवस्व) आनन्द प्रवाहित करो ॥ Hey (Som) Jagadishwar! (Amitraha) Kama, rage laziness etc. Destroyers of enemies, (devotion:) special seer, (Devebhyah), (scholarly) who proves (favored) for the scholars (Gave) Stuti (Sham) Peaceful (Holy) flow joy. सामवेद मंत्र १४४७ #सामवेद #मंत्र #परमेश्वर
वेदों की दिशा
।। ओ३म् ।। स नो वेदो अमात्यमग्नी रक्षतु शन्तमः । उतास्मान्पात्वꣳहसः ॥ पद पाठ सः । नः꣣ । वे꣡दः꣢꣯ । अ꣣मा꣡त्य꣢म् । अ꣣ग्निः꣢ । र꣣क्षतु । श꣡न्त꣢꣯मः । उ꣣त꣢ । अ꣣स्मा꣢न् । पा꣣तु । अ꣡ꣳह꣢꣯सः ॥ परमात्मा में विश्वास से दिव्य गुण रक्षित होते हैं और पाप नष्ट हो जाते हैं।। Belief in the divine preserves divine qualities and sins are destroyed. ( सामवेद मंत्र १३८१ ) #सामवेद #मंत्र #वेद #परमात्मा
वेदों की दिशा
।। ओ३म् ।। उक्थं च न शस्यमानं नागो रयिरा चिकेत । न गायत्रं गीयमानम् ॥ पद पाठ उ꣣क्थ꣢म् । च꣣ । न꣢ । श꣣स्य꣡मा꣢नम् । न । अ꣡गोः꣢꣯ । अ । गोः꣣ । रयिः꣢ । आ । चि꣣केत । न꣢ । गा꣣यत्रम् । गी꣣य꣡मा꣢नम् ॥ श्रद्धा-रहित मनुष्य का उच्चारण किया गया भी स्तोत्र अनुच्चारित के समान होता है, दिया हुआ भी दान न दिये हुए के समान होता है और गाया हुआ भी सामगान न गाये हुए के समान होता है। इसलिए श्रद्धा के साथ ही सब शुभ कर्म सम्पादित करने चाहिएँ ॥ The hymn that is spoken of a man without reverence is like the recited, the given is the same as the donated and the sung is like the sung not sung. Therefore, with reverence, all auspicious actions should be performed. ( सामवेद मंत्र २२५ ) #सामवेद #वेद #मंत्र #श्रद्धा #भक्ति #भक्ति_में_शक्ति
Jamshed Khan
जीवन में सफल होने के लिए एकाग्रता जरूरी हैं एकाग्र चिंतन करने वाला व्यक्ति अपने लक्ष्यों को जरूर प्राप्त करता हैं! ©Jamshed Khan जीवन के मंत्र
जीवन के मंत्र #Thoughts
read moreMintu Barnwal
आप जिंदगी मे कभी सफल नहीं होंगे जब सुर्य आपको जगायेगा| आप जिंदगी मे तभी सफलता प्राप्त करेंगे जब आप सुर्य को जगाना चालू कर दे | सफलता के मंत्र
सफलता के मंत्र
read morePRAVEEN YADAV
इतिहास भाग 4 प्राचीन भारतीय इतिहास धर्मग्रंथ यजुर्वेद सुंदर स्वर पाठ के लिए मंत्रो और बलि के समय अनुपालन के लिए नियमों का संकलन यजुर्वेद कहलाता है, तथा इसके पाठ कर्ता को अध्वर्यु कहते हैं यह एक ऐसा वेद है जो गद्य और पद्य दोनों में है| सामवेद सामवेद एक गायी जा सकने वाली ऋचाओं का संकलन है| इसके पाठ कर्ता को उद्रातृ कहते है सामवेद को भारतीय संगीत का जनक भी कहा जाता है| जय हिन्द ©PRAVEEN YADAV यजुर्वेद और सामवेद
यजुर्वेद और सामवेद #पौराणिककथा
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।। ओ३म् ।। इममू षु त्वमस्माकꣳ सनिं गायत्रं नव्याꣳसम् । अग्ने देवेषु प्र वोचः ॥ पद पाठ इ꣣म꣢म् । ऊ꣣ । सु꣢ । त्वम् । अ꣣स्मा꣡क꣢म् । स꣣नि꣢म् । गा꣣यत्र꣢म् । न꣡व्यां꣢꣯सम् । अ꣡ग्ने꣢꣯ । दे꣣वे꣡षु꣢ । प्र । वो꣣चः ॥ हे (अग्ने) विद्वन् जगदीश्वर वा आचार्य ! (त्वम् उ) आप (इमम्) इस (अस्माकं सनिम्) हमें बहुत बोध देनेवाले (गायत्रम्) गायत्री आदि छन्दों से युक्त वेदज्ञान को वा गायत्र नामक साम को (देवेषु) दिव्य गुणोंवाले सत्पात्रों में (सु प्रवोचः) भली-भाँति उपदेश करते हो ॥ Hey (fire), scholar Jagadishwar or Acharya! (Tvamu) You (Imam) in this (Asmakam Sanim) teach us Vedigana with verses that give us a lot of knowledge (Gayatram), Gayatri etc., and the Sama (Deveshu) in the satrapas with divine qualities (Suvarocha) very well. ( सामवेद मंत्र १४९७ ) #सामवेद #वेद #ज्ञान