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गौरव गोरखपुरी
नाश्ते की टेबल पर क्या रहा कहां मायने रखता है बस तू साथ बैठ जाता है तो मेरा पेट भर जाता है। #shabdanchal नाश्ता
#shabdanchal नाश्ता
read moreRajesh rajak
आओ करें नाश्ता,इसी बहाने होगा परिवार से बास्ता बना हो पोहा जलेबी,परांठा या पास्ता, ये पल होते हैं कीमती क्या पता कल क्या हो बंद हो जाए रास्ता,, कितनी भी हो मुश्किलें वक़्त दो परिवार को,बनी रहती है अपनों पे आस्था। आओ मिलकर करें नाश्ता,, आओ करें नाश्ता,,
आओ करें नाश्ता,,
read moreSunita Naik
मला वाटलं नव्हत, आयुष्यात तुझ्यासारखा कोणी येईल. केलेल्या चांगल्या कामाचे पारितोषिक आहे तू. मी फुलावानी दररोज बहरते, त्याला कारण तू दिलेल्या प्रेमाचे खत आहे. तुझ्या समजून घेण्याने, माझ्या विस्वासावर विश्र्वास ठेवण्याने, माझा आत्मविश्वास वाढतो. तुझ्या अफाट प्रेमाने माणूसकी आणि प्रामाणिकपणा अजून वाढतो. गेली पाच वर्षे आपल्या माणसांचा दुरावा, त्याने आलेल्या तुझ्या मनात दुखत लाटाचे चटके, तु आम्हाला कधी लागू दिले नाही. आज तुझ्या यशाचे शिखर उभे आहे, त्याचे श्रेय फक्त तुलाच. आमचे भविष्य उज्ज्वल करण्यामागे, आणि स्वत:चे करिअर घडवण्यामागे, तुझी माणूसकी आणि तुझा संघर्ष आहे. भारी
भारी #विचार
read moreJD
एक नदी बरसात के पानी से खारी हो गई..!! फ़िर समन्दर को उस नदी से यारी हो गई..!! कि थी जिसने परवरिश गैरों के बर्तन मांज कर..!! आज वो ही मां कई बेटों पे भारी हो गई..!! ***** #भारी
Urvashi Kapoor
टूटू पढ़ती थी घटाएं जिनकी आंखें देखकर.... वो, तरसते हैं भरी बरसात मे पानी के लिए.... ©Urvashi Kapoor #भारी बरसात....
Shiva Sultan
वो प्यार एक तरफा होता है।। जहाँ प्यार में एक पलड़ा भारी होता है।। #प्लड़ा #भारी
sai mahapatra
घर से बाहर मत निकल बाहर कड़ा पहरा है थोड़ा सब्र रख अच्छे दिन आने वाला है आज से हमने बे मतलब मुस्कुराना बंद कर दिया है नहीं तो इए दुनिया पागल समझने लगता हमको मेरी बात मानो तो तुम भी कल से ईयू बे मतलब के टेहेलना कर दो बंद नहीं तो इए दुनिया चौकीदार समझने लगेगी तुमको आजकल बहत डराने लगे हो तुम हमको अब बहत हुआ अब छोड़ दो इए बचपना नहीं तो हद से गुजर जाना किसे कहते एक दिन दिखा देंगे हम तुमको एक आम आदमी का होता है सिर्फ़ उसके काम से और बढ़ती मंहगाई से बास्ता इस देश की सियासत और देश की अर्थव्यवस्था से उसका नहीं होता है दूर दूर से कोई रिश्ता आजकल हम समझ ने लगे है नियत तुम्हारी अब बहत हुआ अब सुधर जाओ नहीं तो इस बार पड़ेगा तुमको बहत भारी कवि_sai Mahapatra पड़ेगा भारी
पड़ेगा भारी
read moreShashank Rastogi
आईगी क्या फिर वो सुबह लेके खुशियों की चाह फिर वही दफ्तर की मुश्किलों की राह फिर सुबह से लेके शाम तक थकने वाली दाह सुबह सुबह फिर से एक चाय की प्याली परांठों और माखन से भरी थाली साथ में दिन के लिए टिफिन ना जाने कब वापस आएंगे ऑफिस के वो दिन #सुबह #चाय #नाश्ता #ऑफिस #परांठे एक सुबह