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Ajay Kumar
समुद्र के तट पर कूड़ा कचरा साफ करते हुए माननीय नरेंद्र मोदी जी।
Manjeet Sharma 'Meera'
Vandana
महंगे महंगे भवन बना दिए बेशकीमती चीजों से सजा दिया इंसान ने भी क्या खूब आडंबर रचा ईश्वर को सोने का बना दिया सोने के छत्र बना दिए सोने की दीवारें चढ़ा दी त्याग दी थी सोने की लंका महादेव ने श्री राम ने महल त्याग दिया था कुबेर ने पुष्पक विमान त्याग दिया था वह तो मिलता है नन्हे बालक की मुस्कान में वह तो मिलता है प्रातः काल सूर्य की किरणों में वह मिलता है शीतल झरने के संगीत में वह मिलता है कोयल की कूक में मयूर के नृत्य में किसी प्रियसी के हृदय में अंकुरित हुए प्रेम में वह मिलता है
Anil Prasad Sinha 'Madhukar'
राग द्वेष ना हो उत्पन्न, हो हृदय में स्वच्छ विचार, घृणा तिरस्कार दूर हो, ना हो कोई मन में विकार। वैर किसी से रखें नहीं, हम सबको गले लगाएँ, अंर्तमन के दीप जला, मनाएँ दीवाली का त्यौहार। स्वच्छ विचार से उत्पन्न होगा, सभ्यता संस्कार, जगमगाते दीपकों के संग, स्वच्छ होगा घर द्वार। 🌝प्रतियोगिता-51 🌝 दीवाली का त्यौहार आते ही हम सब अपने घरों की सफ़ाई के लिए जुट जाते हैं और घर की सजावट के लिए नए-नए उपहारों की खरीदारी करते
Vikas Sharma Shivaaya'
*जैसे आपका भोजन आपको स्वयं ही खाना पड़ता है, तभी भूख मिटती और शक्ति प्राप्त होती है। इसी प्रकार से आपको अपने मन में स्वयं झाड़ू लगानी होगी, तभी उससे मन की शुद्धता और प्रसन्नता प्राप्त होगी।* कुल मिलाकर चार प्रकार का ज्ञान होता है। मिथ्या ज्ञान, संशयात्मक ज्ञान, शाब्दिक ज्ञान, और तत्त्वज्ञान। *1- मिथ्या ज्ञान* उसे कहते हैं, जब वस्तु कुछ और हो और व्यक्ति उसे समझता कुछ और हो। जैसे रस्सी को सांप समझना। यह मिथ्या ज्ञान है। *2- संशयात्मक ज्ञान* उसे कहते हैं, जब वस्तु समझ में ही नहीं आए। जैसे यह वस्तु रस्सी है, या सांप है, कुछ भी समझ में नहीं आ रहा। कोई निर्णय नहीं हो पा रहा। ऐसी स्थिति में जो ज्ञान होता है, उसे संशयात्मक ज्ञान कहते हैं। *3- शाब्दिक ज्ञान।* जब व्यक्ति शब्दों से तो किसी वस्तु को ठीक-ठीक समझ लेता है, जान लेता है, बोल भी देता है, परंतु वैसा आचरण नहीं कर पाता। ऐसी स्थिति वाले ज्ञान को शाब्दिक ज्ञान कहते हैं। जैसे *क्रोध नहीं करना चाहिए।* यह बात ठीक है। व्यक्ति समझता है, बोलता भी है, परंतु फिर भी इस के अनुकूल आचरण नहीं करता। व्यवहार में फिर भी क्रोध कर ही देता है। ऐसे ज्ञान को शाब्दिक ज्ञान कहते हैं। *4- चौथा है तत्त्वज्ञान।* जब शाब्दिक ज्ञान को व्यक्ति अपने आचरण में भी ठीक वैसा ही उतार लेता है, जैसा वह शब्दों से कह रहा था। तो उसके ज्ञान को तत्त्वज्ञान कहते हैं। यही वास्तविक ज्ञान है। ऐसे वास्तविक ज्ञान से ही पूर्ण लाभ होता है। जो व्यक्ति व्यवहार में क्रोध नहीं करता, उसका ज्ञान तत्त्वज्ञान है। अब ज्ञान की इस व्यवस्था के अनुसार हमें यह भी समझना चाहिए, कि यदि घर में कूड़ा कचरा गंदगी रहेगी, तो घर दूषित रहेगा, और वहां जो भी बैठेगा, उसे सुख शांति आनंद नहीं मिलेगा। और यदि झाड़ू पोंछा लगा कर घर साफ-सुथरा होगा, तो वहां जो भी बैठेगा उसे सुख शांति आनंद मिलेगा। बैठना अच्छा लगेगा। मन प्रसन्न रहेगा। इसी प्रकार से शाब्दिक ज्ञान तो सभी को है, कि *यदि मन में क्रोध घृणा ईर्ष्या अभिमान आदि बुराइयां रहेंगी, तो मन अशुद्ध रहेगा, और उसके प्रभाव से व्यक्ति सारा दिन दुखी रहेगा। और यदि मन में प्रेम दया सरलता नम्रता आदि अच्छे गुण रहेंगे, तब मन शुद्ध रहेगा, और व्यक्ति सारा दिन प्रसन्न रह पाएगा। इसलिए अपने मन को शुद्ध करना ही बुद्धिमत्ता है। मन को कचरा पेटी न बनाएं, फूलों का गुलदस्ता बनाएं।* परंतु जब तक व्यक्ति उस शाब्दिक ज्ञान को तत्त्वज्ञान में न बदल दे, तब तक उस शाब्दिक ज्ञान से कोई विशेष लाभ नहीं होता। केवल 10 20 प्रतिशत लाभ होता है। इसलिए अपने शाब्दिक ज्ञान को वास्तविक ज्ञान में अथवा तत्त्वज्ञान में बदलने का प्रयत्न करना चाहिए। अब रही बात, कि *शाब्दिक ज्ञान को तत्त्वज्ञान में कैसे बदलें?* इसका उपाय है, कि *उस शाब्दिक ज्ञान को सैकड़ों बार दोहराएं। हर रोज दोहराएं। दिन में दो चार पांच दस बार दोहराएं। ऐसे धीरे-धीरे वह शाब्दिक ज्ञान तत्त्वज्ञान में बदल जाएगा।* दूसरी बात - *उस शाब्दिक ज्ञान को थोड़ा-थोड़ा अपने व्यवहार में लाएं। ऐसे व्यवहार में लाते लाते, धीरे-धीरे वह शाब्दिक ज्ञान तत्त्वज्ञान में बदल जाएगा। और आपका जीवन आनन्दित हो जाएगा।* 🐾 *हे परमात्मा*, 🐾 *अगर आप का कुछ तोड़ने का मन करे*, 🐾तो मेरा ग़रूर तोड़ देना.. *अगर आप का कुछ जलाने का मन करे*, 🐾तो मेरा क्रोध जला देना.. 🐾 *अगर आप का कुछ बुझाने का मन करे*, 🐾तो मेरी घृणा बुझा देना..🐾 *अगर आप का मारने का मन करे*, 🐾तो मेरी इच्छा को मार देना..🐾 *अगर आप का प्यार करने का मन करे*, 🐾तो मेरी ओर देख लेना..🐾 *"मैं शब्द, तुम अर्थ, तुम बिन मैं व्यर्थ"* 🐚☀🐚 🐾स्नेह वंदन 😊🍀🙏शुभ प्रभात🙏🍀😊 🍁*आपका दिन मंगलमय हो 🌹 *शुभ् प्रभात् 🌹विध्न् विनाशक भगवान् गणेश जी की कृपा हमेशा आप सभी पर बनी रहे🙌 ©Vikas Sharma Shivaaya' *जैसे आपका भोजन आपको स्वयं ही खाना पड़ता है, तभी भूख मिटती और शक्ति प्राप्त होती है। इसी प्रकार से आपको अपने मन में स्वयं झाड़ू लगानी होगी,
Insprational Qoute
अंतश्चेतना में रखना प्रेम भाव,रखिये विचारो की स्वच्छता,दूर करे अंहकार, तोड़ परिपाटी जाति,भेदभाव की,भूल सब द्वेष भाव को कीजिये नेक व्यवहार, सभी का कर सम्मान करे फिर जग गुणगान, खिल जाए सबके चेहरे इस त्योहार, छलकाए ख़ुशी की फुहार, सदाचार, सद्व्यवहार यही होते हैं हमारे सु-संस्कार। 🌝प्रतियोगिता-51 🌝 दीवाली का त्यौहार आते ही हम सब अपने घरों की सफ़ाई के लिए जुट जाते हैं और घर की सजावट के लिए नए-नए उपहारों की खरीदारी करते
DR. SANJU TRIPATHI
आओ हम सब मिलकर, इस दिवाली अपने दिल से बैर और वैमनस्य मिटाएं। घरों की साफ-सफाई और सजावट के साथ विचारों को भी स्वच्छ बनाएं। बड़ों का सम्मान करें, छोटों को प्यार करें, दिल में सबके लिए प्रेम जगाएं। त्योहार ही खुशी दुगनी हो जाएगी, गर छोटे-बड़े सब मिलकर साथ मनाएं। 🌝प्रतियोगिता-51 🌝 दीवाली का त्यौहार आते ही हम सब अपने घरों की सफ़ाई के लिए जुट जाते हैं और घर की सजावट के लिए नए-नए उपहारों की खरीदारी करते
yogesh atmaram ambawale
रोज जाते हैं मंदिरों में मंदिर की दानपेटी भरते हैं, मंदिर के बाहर बैठे भिखारियों को धुत्कार कर आगे चले जाते हैं| गंदगी अच्छी नहीं लगती घर मे तो विचारों में क्यों रखे, चलो इस दीवाली घर की स्वच्छता के साथ विचारों की स्वच्छता रखे| हम तो हमेशा ही मनाते हैं ख़ुशियाँ अब की बार किसी और को बाटे, किसी गरीब को देकर दीवाली का तोहफा उसके दुख के निकालो कांटे| 🌝प्रतियोगिता-51 🌝 दीवाली का त्यौहार आते ही हम सब अपने घरों की सफ़ाई के लिए जुट जाते हैं और घर की सजावट के लिए नए-नए उपहारों की खरीदारी करते
साहस
शिव स्वच्छ,विचार स्वच्छ। सती मस्त,दीपावली व्यस्त। 🌝प्रतियोगिता-51 🌝 दीवाली का त्यौहार आते ही हम सब अपने घरों की सफ़ाई के लिए जुट जाते हैं और घर की सजावट के लिए नए-नए उपहारों की खरीदारी करते
Vandana
परमात्मा की सबसे अनमोल कीर्ति है, हृदय किसी हंस के सफेद पंखों के जैसा नरम मुलायम हमारा हृदय, कितना नाजुक नादान सा हमारा हृदय छोटी-छोटी बातों में बिखर जाता है हमारा हृदय,, पुचकारने दुलारने से करीब आ जाता है परमात्मा की सर्वश्रेष्ठ र