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Priya Jangir
ऐसा नहीं है कि उसने मोहब्बत नहीं कि..
Prashant Mishra
इसमें अंकुर निकल तो आए हैं तू ही बता ये 'फसल' है कि नहीं तुझपे कुछ 'शेर' लिखे हैं मैंने तू ही बता ये 'ग़ज़ल' है कि नहीं पढूं किताब तो तेरा चेहरा नज़र आता है तू ही बता ये 'खलल' है कि नहीं तूने कीचड़ तो कह दिया मुझको तू ही बता तू 'कमल' है कि नहीं तेरे 'गलती' पर भी चुप हूँ मैं तू ही बता ये 'फ़ज़ल' है कि नहीं मुझे हर हाल में बस तू' चहिए इस परेशानी का 'हल' है कि नहीं तुझे अब 'याद' नहीं आती मेरी ये मुहब्बत का 'कतल' है कि नहीं मैं हूँ पागल, मुकर गया था मैं तू भी वादे पे 'अटल' है कि नहीं ये मेरी मौत पे भी हँसती हैं तेरी आँखों में 'जल' है कि नहीं --प्रशान्त मिश्रा "है कि नहीं"
@rahul (prince)
लोग कहते हैं दुःख बुरा होता है, 💔💔जब भी आता है रुलाता है। मगर हम कहते हैं दुःख अच्छा होता है, जब भी आता है कुछ सिखाता है। 🖤🖤 है कि नहीं ?
Radhika Rathore
बनाई नाव उसने तो खिवैया भी वो भेजेगा। तेरी आशा का कलयुग में कन्हिया भी वो भेजेगा। न हो मायूस मेरी बिटिया ,तू सुन ले बात ये मेरी ... सजाई उसने है रखी तो भइया भी वो भेजेगा।। ✍️राधा_राठौर♂ बनाई नाव उसने तो खिवैया भी वो भेजेगा। तेरी आशा का कलयुग में कन्हिया भी वो भेजेगा। न हो मायूस मेरी बिटिया ,तू सुन ले बात ये मेरी ... सजाई उसन
जमील @अहमद
खुशनसीब होते हैं वह लोग जिनके पास मां-बाप होते हैं✔ बर्ना ,कितना भी कमा लें दौलत दिन रात रोते हैं✔✔ सही है कि नहीं?
Sp
जब कोई राम ही नहीं है, तो फ़िर उम्मीदें सीता जैसी क्यों,,,,,??? ©Shalini Pandey है कि नहीं ••••••• जनाब
Gurudeen Verma
शीर्षक - मैं पागल नहीं कि ------------------------------------------------------ मैं पागल नहीं कि, तुम बनाते रहे मुझको पागल, और मैं लुटाता रहूँ तुम पर दौलत। मैं पागल नहीं कि, तुम चलाते रहे मेरी पीठ पर तीर, और मैं बहाता रहूँ अपना खून तुम्हारे लिए, मैं करता रहूँ अश्क़दान, तुम्हारे चमन को हरा करने के लिए, जिससे तुम सींचते रहे अपना बाग। मैं पागल नहीं कि, तुम करते रहे रोशन अपनी जिंदगी, जलाकर मेरे अरमान और खुशियां, और मैं जलाता रहूँ अपना घर, तुमको रोशन और खुश करने के लिए। मैं पागल नहीं कि, तुम करते रहे साकार तुम्हारे सपनें, बलि मेरे सपनों की चढ़ाकर, मैं बिगाड़ता रहूँ अपना नसीब, ख्वाहिशें तुम्हारी पूरी करने के लिए। मैं पागल नहीं कि, तुम पहुंच जावो तुम्हारी मंजिल, मेरी किश्ती पर सवार होकर, मैं डुबो दूँ अपनी नैया, तुमको साहिल पर पहुंचाने के लिए। शिक्षक एवं साहित्यकार- गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #मैं पागल नहीं कि
Parasram Arora
जरूरी नहीं की हर भोले चेहरे के पीछे कोई धूर्त चेहरा छिपा हो. या एक हँसते चेहरे के पीछे कोई झूठा व्यक्तित्व छिपा हो ये भी जरूरी नहीं की जो आँसू का कतरा अभी अभी गिरा हैँ आँख से वो रक्त से धुला हुआ न हो और ये भी जरूरी नहीं की हर पीलापन पतझड़ की संतति न हो. ये बदले हुए लोग और ये बदली हुईं सदी. इस युग की शैली हो सकती हैँ किन्तु ये तो ज़रूरी नहीं की हर आदमी के भीतर कुछ भी न बदला हो ये जरूरी नहीं.......कि