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Sudeep Mandrawaliya
उसकी बातों से लगता था कि वो सिर्फ मेरी हैं कब उसकी बातें और वो बदलीं पता नहीं चला| मैंने तो सिर्फ बातें की थी उससे दोस्ती करने को,, कब उससे इश्क़ हो गया पता नहीं चला|| उसकी झील जैसी आंखों में ना जाने कितने डूबे होंगे मैं भी कब डूब गया पता नहीं चला| उसके होठों से जैसे टपकता हो शहद, कितने डूबकर मर गये उस शहद के चक्कर में पता नहीं चला|| वो एक अच्छे बागान की कली है ना जाने कितनी दूर गयी उसकी खुशबू,, कितने लोग कायल हुए उस खुशबू के,, पता नहीं चला| वो जो कभी निकल पड़े सड़कों पर,तहलका मच जाए,, कितने घायल हुए,, कितनो का कत्लेआम हुआ पता नहीं चला|| ©Sudeep Mandrawaliya कविता-❤,,पता नहीं चला,, ❤
Misha Singh
एक ख़ता करा कर चला गया, मुझे आईना दिखा कर चला गया, वक्त ने पहले तुझसे दूर किया, फिर तुझसे मिलाकर चला गया। ©Misha Singh चला गया...
Awanish Singh
दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। पार जाऊँगा मेरा साहस, कभी हारा नहीं है। जो मिटा अस्तित्व दे, ऐसी कोई धारा नहीं है ।। कौन रोकेगा स्वयं तूफान, थककर रुक गये हैं । हर लहर मेरा किनारा, ध्येय तक बढ़ता रहूँगा।। दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। तोड़ दी अवरोध की सारी, शिलाएँ एक क्षण में । मैं धरा का प्यार मुझको, स्नेह देते सब डगर में।। शीत वर्षा और आतप कर, न पाये क्षीण गति को। बिजलियों की कौंध में भी, पंथ गढ़ता ही रहूँगा।। दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। ©Awanish Singh (AK Sir) #कविता #कविता
Vickram
घाटियों में फंसा कोहरा कल की बात बता गया । बीती हुई रातों की ठंड को वो ब्यां कर गया । रह गई सिर्फ ओस की चंद बूंदें ही पत्तों पर । कह गया की था कोई जो बिना बताए हीचला गया । ©Vickram चला गया,,
Shiv Narayan Saxena
कब से बैठी हूँ बड़े 'शौक' से बाहें खोले आगोश में तू नींद के बहाने ही चलाआ. ©Shiv Narayan Saxena चला आ . . . . .