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Anjali Singhal
"हर आहट पर तेरी राह तकी है मैंने, इंतज़ार में पलकें बिछा रखी हैं मैंने। दर्द दिल में बढ़ते जा रहे हैं फिर साँसों को, तेरी यादों के गुलाब से महका रखी हैं मैंने।।" ©Anjali Singhal #HappyRoseDay "हर आहट पर तेरी राह तकी है मैंने, इंतज़ार में पलकें बिछा रखी हैं मैंने। दर्द दिल में बढ़ते जा रहे हैं फिर साँसों को, तेरी य
#HappyRoseDay "हर आहट पर तेरी राह तकी है मैंने, इंतज़ार में पलकें बिछा रखी हैं मैंने। दर्द दिल में बढ़ते जा रहे हैं फिर साँसों को, तेरी य
read moreRameshkumar Mehra Mehra
White आंखो में नीद.... पलकों में सपना.....! ठंड बढ़ रही है.......!! ख्याल रखना अपना.....❤️ ©Rameshkumar Mehra Mehra # आंखो में नीद,पलकर में सपना,ठंड बढ़ रही है,ख्याल रखना अपना....❤️
# आंखो में नीद,पलकर में सपना,ठंड बढ़ रही है,ख्याल रखना अपना....❤️
read moreBabli BhatiBaisla
कैद में खुद की ही व्याकुल रहते हैं आजकल चतुर सियार इसको ठगते उसको ठगते ढूंढते रहते हैं नित्य नए नए शिकार अंत में जोड़ने बैठे जो सारा हिसाब कई कई बार जोड़ कर भी रहे खाली हाथ बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla चाँदनी Ashutosh Mishra R Ojha Ravi Ranjan Kumar Kausik SIDDHARTH.SHENDE.sid पूजा सक्सेना ‘पलक’
चाँदनी Ashutosh Mishra R Ojha Ravi Ranjan Kumar Kausik SIDDHARTH.SHENDE.sid पूजा सक्सेना ‘पलक’
read moreShivkumar barman
मैं जब जब तुम्हे सोचता हूँ ©Shivkumar barman मैं जब जब तुम्हे #सोचता हूँ हर लम्हे से मै ये #पूछता हूँ की क्यूँ मैं तुम्हे इतना सोचता हूँ लम्हे मुस्कराते हैं और #खामोसी बन जाते हैं फ
मैं जब जब तुम्हे सोचता हूँ हर लम्हे से मै ये पूछता हूँ की क्यूँ मैं तुम्हे इतना सोचता हूँ लम्हे मुस्कराते हैं और खामोसी बन जाते हैं फ
read moreAnjali Singhal
New Year 2025 "नई खुशी है नई मुस्कुराहट, मुबारक हो नव वर्ष की नई सरसराहट। पलकें आनंद-उत्साह से भरी जा रही हैं, धड़कनें प्रेम ही प्रेम उमड़ा रही हैं। उम्मीद की तरंगे लहरा रही हैं, ख़्वाब कोई नया दिखा रही हैं। दुआएँ सभी की तरफ से आ रही हैं, बुरी बलाएँ सबकी ढली जा रही हैं।।" ©Anjali Singhal #Newyear2025 "नई खुशी है नई मुस्कुराहट, मुबारक हो नव वर्ष की नई सरसराहट। पलकें आनंद-उत्साह से भरी जा रही हैं, धड़कनें प्रेम ही प्रेम उमड़ा
#Newyear2025 "नई खुशी है नई मुस्कुराहट, मुबारक हो नव वर्ष की नई सरसराहट। पलकें आनंद-उत्साह से भरी जा रही हैं, धड़कनें प्रेम ही प्रेम उमड़ा
read moreParastish
White कितनी प्यारी कितनी सुन्दर कितनी अजमल वो आँखें देखे जो भी कर देती हैं उस को घायल वो आँखें दिल में पसरे सन्नाटे को बाँध के अपने पोरों से बन के धड़कन छम-छम करती जैसे पायल वो आँखें शाम सवेरे डोले ऐसे मन के वीराँ आँगन में दूर गगन में गोया कोई उड़ता झाँकल वो आँखें बचने को मुश्ताक़ जहां से मस्त रुपहली क़ामत पे शर्म हया का पैराहन या कह लो आँचल वो आँखें उन की शोख़-निगाही के अफ़्सूँ का भी है क्या कहना आलम सारा कर दे आबी बरखा, बादल वो आँखें तीर-ए-मिज़्गाँ ऐसे कितने अहल-ए-दिल नख़चीर हुए कितने बिखरे कितने तड़पे कलवल कलवल वो आँखें ©Parastish अजमल- रूपवान,अत्यधिक सुंदर गोया - मानो, जैसे । झाँकल- परिंदों का झुंड मुश्ताक़ - शौक रखने वाला, अभिलाषी रुपहली - चाँदी जैसी । क़ामत - शरीर
अजमल- रूपवान,अत्यधिक सुंदर गोया - मानो, जैसे । झाँकल- परिंदों का झुंड मुश्ताक़ - शौक रखने वाला, अभिलाषी रुपहली - चाँदी जैसी । क़ामत - शरीर
read moreनवनीत ठाकुर
तुम्हे ही मुझसे हमदर्दी नहीं, तो किसे इत्येलाह करूं। तुम्हारे सुकून की ख्वाहिश में, खुद से भी गिला करूं। तुम्हीं न समझो मेरा दर्द, तो और किससे वफा करूं। जो अश्क छुपा रखे हैं पलकों में, उन्हें कैसे रिहा करूं। जिन लफ्ज़ों में था तेरा जिक्र, अब उनका क्या सिलसिला करूं। तुम्हारी खामोशी है गवाही मेरी, तो शिकायत किससे भला करूं। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर तुम्हे ही मुझसे हमदर्दी नहीं, तो किसे इत्येलाह करूं। तुम्हारे सुकून की ख्वाहिश में, खुद से भी गिला करूं। तुम्हीं न समझो मेरा द
#नवनीतठाकुर तुम्हे ही मुझसे हमदर्दी नहीं, तो किसे इत्येलाह करूं। तुम्हारे सुकून की ख्वाहिश में, खुद से भी गिला करूं। तुम्हीं न समझो मेरा द
read moreनवनीत ठाकुर
ज़ख़्म भरते ही नहीं इस दिल के हालातों के, और बढ़ जाता है दर्द, आराम हो जाने के बा'द। ख़्वाब टूटे हैं कई पलकों के दरवाज़े पे, कुछ नहीं बचता कोई अंज़ाम हो जाने के बा'द। रूह में जलती रहीं यादों की परछाइयाँ, और ख़ाली हो गया पैग़ाम हो जाने के बा'द। एक मंज़र है अधूरे चाँद सा दिल में कहीं, और गहरा हो गया अंधेरा तमाम हो जाने के बा'द। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर ज़ख़्म भरते ही नहीं इस दिल के हालातों के, और बढ़ जाता है दर्द, आराम हो जाने के बा'द। ख़्वाब टूटे हैं कई पलकों के दरवाज़े पे, क
#नवनीतठाकुर ज़ख़्म भरते ही नहीं इस दिल के हालातों के, और बढ़ जाता है दर्द, आराम हो जाने के बा'द। ख़्वाब टूटे हैं कई पलकों के दरवाज़े पे, क
read moreअनुज
चांद की रोशनी ये अंधेरी रात इन सागर की लहरों के बीच मुझे आती तेरी याद... खतरनाक लव स्टोरी शायरी Swati Nîkîtã Guptā पूजा सक्सेना ‘पलक’
read moreअनुज
खुले आसमान के बीचो-बीच एक हार है घर के चारों तरफ झरना एक है छोटी सी झील है जिसके आस पास बहुत सुन्दर से फूल और फल के पौधे पेड है के आगे शान्त
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