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Sagar vm Jangid
अंगुलियों का खेल ही ऐसा है हर कोई खेल जाता है भावना से, #sagarvmjangid अंगुलियों का खेल ही ऐसा है हर कोई खेल जाता है भावना से,
Vishal
मेरी पहली अनिवार्य शर्त है – जिस किसी वस्तु से आध्यात्मिक , मानसिक या शारीरिक दुर्बलता उत्पन्न हो, उसे पैर की अंगुलियों से भी मत छुओ |
kunwar Surendra
जब भी वो मदहोश हवा में मचल कर उड़ती जुल्फों को अपनी अंगुलियों से संवारते है, एक तूफान से आ जाता है दिल के समंदर में ©kunwar Surendra जब भी वो मदहोश हवा में मचल कर उड़ती जुल्फों को अपनी अंगुलियों से संवारते है, एक तूफान से आ जाता है दिल के समंदर में #Love #shayri #शायरी
kunwar Surendra
हमारी मोहब्बत की किताब के ,पन्ने जो पलटे उन्होंने, अपनी नाज़ुक अंगुलियों से,मोहब्बत के अल्फ़ाज़ फिर से इठलाने लगे,खिलखिलाने लगे....कुँवर सुरेन्द्र हमारी मोहब्बत की किताब के ,पन्ने जो पलटे उन्होंने, अपनी नाज़ुक अंगुलियों से,मोहब्बत के अल्फ़ाज़ फिर से इठलाने लगे,खिलखिलाने लगे....कुँवर सुरेन्
JALAJ KUMAR RATHOUR
एक सुकूँ मिलता है तेरे आँचल में,माँ की गोद सा, सैर बचपन की कराता है,सिर पर स्पर्श तेरी अंगुलियों का, आखिर कैसे है ? स्त्री सागर ,ममतत्व का, जबकि अपमान हर पल होता उसका, .... #जलज एक सुकूँ मिलता है तेरे आँचल में माँ की गोद सा, सैर बचपन की कराता है, सिर पर स्पर्श तेरी अंगुलियों का, आखिर कैसे स्त्री सागर है,ममतत्व का,
kunwar Surendra
जो हमारी अंगुलियों को पकड़ कर चलना सीखे वोही आज हमको जमी पर गिराने में लगे है काबिल बनाया है जिसने शायद उनको भूल गए घर के मालिक को ही घर से निकालने में लगे है जिन फूलों को हमने बड़े नाज़ से पाला है अब तक वो ही फूल अब बागबाँ को रुलाने में लगे है जिनको रातभर जागकर सुलाते थे सकूं से कमजोर उम्र में हमको वही ठिकाने लगाने में लगे है गलतफहमी कि वक़्त हमारा गया उनका आ गया याद रखना वो बेऔलाद नही है और वो कमाने में लगे है जो हमारी अंगुलियों को पकड़ कर चलना सीखे वोही आज हमको जमी पर गिराने में लगे है Kunwarsurendra जो हमारी अंगुलियों को पकड़ कर चलना सीखे वोही आज हमको जमी पर गिराने में लगे है #Kunwarsurendra#poetry#shayri#poem#nojoto#nojotohindi#parents#l
@imgpmahi
ना गिना कर अंगुलियों पे दिनों को, हालातों की आंधी में उड़े पंछी लौटा नहीं करते। ना पूछा कर तूं अब मेरा हाल मां हालातों ने पत्थर की आंखों में अब आंसू आया नहीं करते। ना गिना कर अंगुलियों पे दिनों को, हालातों की आंधी में उड़े पंछी लौटा नहीं करते। ना पूछा कर तूं अब मेरा हाल मां हालातों ने पत्थर की आंखों में
JALAJ KUMAR RATHOUR
Emotional shayari on GIF उस रात चाँद भी अपने शबाब में था उनकी आँखो जैसा नशा कहां शराब में था साहब हम समेट लेते उनकी जुल्फो को अपनी अंगुलियों में, मग़र उस रात मेरा हाथ उनकी गर्म हथेलियो के दबाब में था........... #जलज_कुमार #NojotoQuote उस रात चाँद भी अपने शबाब में था उनकी आँखो जैसा नशा कहां शराब में था हम समेट लेते उनकी जुल्फो को अपनी अंगुलियों में मग़र उस रात मेरा हाथ उनकी
kunwar Surendra
इस गुलाबी ठंड में, न जाने क्यों,वो चाय का इक प्याला याद आ रहा है ,जिसे देते वक्त उनकी नाजुक अंगुलियों की उस छुअन ने दिल लूट लिया हमारा....किसी ऐसी ही एक गुलाबी ठंड में.....कुँवर सुरेन्द्र न जाने क्यों,वो चाय का इक प्याला याद आ रहा है ,जिसे देते वक्त उनकी नाजुक अंगुलियों की उस छुअन ने दिल लूट लिया हमारा....किसी ऐसी ही एक गुलाब
Sarita Shreyasi
अंगुलियों के पोरों में, कसक एक रह गयी, कह न पायी जो बात अपनी, वह छुअन अनछुई रह गयी। तस्वीरों में तुमको, तुम्हारी नजर में खुदको, तराशती रह गयी, आसक्ति-अधिकार की खामोशियों में खोया, अपना खुदा तलाशती रह गयी। अंगुलियों के पोरों में, कसक एक रह गयी, कह न पायी बात अपनी, एक छुअन अनछुई रह गयी। तस्वीरों में तुमको, तुम्हारी नजर में खुदको, तराशती रह गयी,