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Triveni Shukla
पुलकित मन के स्पन्दन का नित निशा संग अनुनाद रहा, उगते सूरज की किरणों से एक बैर सा पाला है मैंने! दिन कोलाहल से भरा हुआ है रात पियारी घोर शान्त, निर्बाध विचरता रहता हूँ लेता विराम जब हो विहान! एकाग्रशील है मन मेरा अब सहज हो रहा चिन्तन भी, साकार 'कल्पना' करने को तादात्म्य हो रहे तन-मन भी! जग कहता जिनको निशाचरी वो दिवास्वप्न के मारे हैं, रातें उजली दिन कारे हैं ये 'रातों के उजियारे' हैं! !! रातों के उजियारे !! पुलकित मन के स्पन्दन का नित निशा संग अनुनाद रहा, उगते सूरज की किरणों से एक बैर सा पाला है मैंने! दिन
Kulbhushan Arora
मेरा पत्र नंबर 4 मेरी मित्र V M S के नाम वन्दना दीक्षित वन्दना 😍 मीता 🤗 स्पंदना 🙌 मित्र 😍😍😍😍 मन का इत्र जो जीवन महकाए मन की समझे बात
Kulbhushan Arora
बालिका दिवस है ना खुद बालिका आई हमारे घर For every daughter on yq तुम स्पन्दन हो अनुभूति का, तुम अनुभूति का स्पंदन हो, अनुभव का अनुभव कह रहा, आभास से ही तुम चंदन हो, गीत हो, संगीत
Kulbhushan Arora
Ba Chau ki Bitiya तुम स्पन्दन हो अनुभूति का, तुम अनुभूति का स्पंदन हो, अनुभव का अनुभव कह रहा, आभास से ही तुम चंदन हो, गीत हो, संगीत हो, प्रीत हो,मीत हो, निबाहनें को मन चाहे, ऐसी मीठी रीत हो,। आस हो, विश्वास हो, आस्था का श्वास हो, ईश्वरीय प्रेम से लदे, पुष्प की सुगंध हो, आत्मिक सम्बन्ध हो, आनंद ही आनंद हो, ऐसा तुम वंदन हो... तुम स्पंदन हो अनुभूति का , तुम अनुभूति का स्पंदन हो।। #yqlove #yqdaughter #yqdaughterslove #Bachau_ki_Bitiya Ba Chau ki Bitiya तुम स्पन्दन हो अनुभूति का, तुम अनुभूति का स्पंदन हो,
Ratan Singh Champawat
❤ दिल की देहरी से ..❤ रात ये आज कैसी आई है हर तरफ महकी रोशनाई है राह ,मंजिल न ही सफर आसां आग कदमों तले बिछाई है आशिकी है महज फरेब यहां बात हमको यही सिखाई है गर्दिशों से कहां डरे हम भी आंधियों में शमा जलाई है देख के ये जहां तेरा हमने आसमा पे ज़मीं उगाई है अगर बुरा लगता है जमाना तो खुद ही में कुछ बड़ी बुराई है #dilkideharise ❤ दिल की देहरी से ..❤ 🙏🏻🙏🏻.. कुछ स्पन्दन .. 🙏🏻🙏🏻 रात ये आज कैसी आई है हर तरफ महकी रोशनाई है
Juhi Grover
दुर्गा माँ की पूजा का शंखनाद दर्शाता है लोगों के सामने उसकी आस्था, बड़ाई होती है उस व्यक्ति की जगह जगह। मग़र वही व्यक्ति जब पर्दे के पीछे जो करता है, उस मौन नाद की चीखें सुनने की चेष्टा भी नहीं की जाती, उसका समाज में रुतबा है, ख्याति है, या फिर भय है, डर है, हमारी बेटियाँ शिकार न बन जाएँ। क्या कहें समाज के इस खोखलेपन को, इस दोगलेपन को, जहाँ मौन नाद की चीखें तेज़ हैं, फिर भी शंखनाद के स्पन्दन के सामने स्पन्दनहीन ठहरा दी जाती है। #नाद #आस्था #शंखनाद #स्पन्दन #खोखलापन #दोगलापन #yqhindi #bestyqhindiquotes
Divyanshu Pathak
जो व्यक्ति सदा प्रसन्न रहता है, आनंद भाव में रहता है, वह गाता है, बजाता है, नृत्य करता है। इनका आधार नाद ही है। नाद आकाश की तन्मात्रा है, गुण है। इसी से सम्पूर्ण सृष्टि का निर्माण होता रहता है। सम्पूर्ण सृष्टि इसी में लीन होती रहती है। 💕🌷#Good morning🌷 : कृष्ण इसी नाद के पर्याय बने रहे। गाना या गुनगुनाना नाद ही है। गुंजन शब्द नाद वाचक है। भौंरा, मधुमक्खी, मच्छर, झींगुर आदि
Divyanshu Pathak
जीवन का निर्माण होता है मन के स्पन्दनों से। रिश्ते बनते-बिगड़ते हैं स्पन्दनों से। रूपान्तरण होता है स्पन्दनों से। क्योंकि इस सृष्टि के निर्माण का आधार “नाद” है। नाद के स्पन्दन है। स्पन्दन का कारक है भाषा। भाषा के स्पन्दन दोनों ओर प्रभावशाली होते हैं- कहने वाले पर ग्रहणकर्ता पर। 💕🌷#good noon 🤓💕 : पवित्र तथा सद्भाव युक्त स्पन्दन दोनों के जीवन में सुगंध भर देते हैं। वातावरण में हवा के साथ साथ सौरभ फैलती है। भावों में ग
Divyanshu Pathak
जो कुछ शब्द बोले जाते हैं, उनके स्पन्दन पहले शरीर को, रक्त को,श्वास को,विचारों भावों आदि को प्रभावित करते हैं। अर्थात हमारे अन्नमय, प्राणमय तथा मनोमय कोश स्पन्दित होते हैं। अलग-अलग इन्द्रियों पर इनका भिन्न-भिन्न प्रभाव पड़ता है। भीतर में हमारी भावनाओं या नीयत का असर अघिक होता है। 🌹💠#good evening💠🌹 आप शान्त स्वर में बात करके प्रभाव देखिए। आप आवेश तथा आवेग में बात करके प्रभाव देखिए। शान्त स्वर में माधुर्य भी आपको दिखाई
Divyanshu Pathak
सारे पुराणों को,उनके कथानकों को विज्ञान के फार्मूलों की तरह खोलना होगा। तब पहली बात तो यह स्पष्ट होजाएगी कि ब्रह्म शक्तिमान तो है, किन्तु क्रिया भाव नहीं है। जिसका पौरूष भाव बढ़ता चला जाएगा, उसका क्रिया भाव घटता जाएगा। रावण की तरह उग्र और उष्ण होता चला जाएगा। उसका गतिमान तत्व घटता चला जाएगा। तब उपासना से श्रद्धा और समर्पण अर्जित करके स्त्रैण बनना ही पडेगा। सृष्टि ब्रह्म का विवर्त तो है, दिखाई माया देती है ब्रह्म को अपने भीतर बन्द रखती है। प्रकृति में नर-मादा नहीं होते। दोनों पर सभी सिद्धान्त समान रूप से लागू होते हैं स्वरूप भिन्नता का नाम ही सृष्टि है। उनमें समानता देखना ही दृष्टि है। 🌹💐#पंछी😊🌻#पाठक🏵🔯🕉🔯🕉🔯🌷#कन्या🤗🏵😃#संस्कृति🌻💠😊#संस्कार🌹#शब्द🌹🕉🔯🤗#शक्ति🔯🕉🔯🕉🔯 कन्या का एक नाम षोडशी है। इसका अर्थ यह नहीं है कि वह सोलह साल की है