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Rameshkumar Mehra Mehra
सुनो जान......... पता नही कयो इंतजार रहता है...! मुझे हर पल.....!! तुम्हारा.... शायद...... कुछ तो रिश्ता है....!!! मेरा और तुम्हारा.....💓 ©Rameshkumar Mehra Mehra # सुनो जानेमन..... पता नही क्यो इंतजार रहता है,मुझे हर पल,तुम्हारा,शायद,कुछ तो रिश्ता है,मेरा और तुम्हारा....💓
GoluBabu
Irfan Saeed
अगर कहो तो मैं दुनियां बदल भी सकता हूं तेरे कहे हुए वादों पे चल भी सकता हूं तुम ही क्या मुझको दगा दोगी इश्कबाजी में हालाते मजनू से हटकर संभल भी सकता हू तुमने जाना ही नहीं अब भी मुझको जानेमन तुमने पत्थर समझा मैं पिघल भी सकता हू अना को गोद में रखकर मुझे दिखाते हो हकीर समझों नही मैं बदल भी सकता हू तेरे जालों के इन हालों से अजी बचना है कफस ए इश्क से वाहिद निकल भी सकता हूं ©Irfan Saeed अगर कहो तो मैं दुनियां बदल भी सकता हूं तेरे कहे हुए वादों पे चल भी सकता हूं तुम ही क्या मुझको दगा दोगी इश्कबाजी में हालाते मजनू से हटकर सं
Ravendra
सुशांत राजभर
#बेवजह ही, तुम हमें #इल्जाम_क्या_दोगी? #जाम #पी_लिया हूँ , #तुम्हारी_आँखों से! तुम ही #बताओ #जानेमन, , उस #बेनाम से #जाम को भला तुम #नाम_क्या दोगी? ©सुशांत राजभर #बेवजह ही, तुम हमें #इल्जाम_क्या_दोगी? #जाम #पी_लिया हूँ , #तुम्हारी_आँखों से! तुम ही #बताओ #जानेमन, , उस #बेनाम से #जाम को भला तुम #नाम_
Rameshkumar Mehra Mehra
जानेमन........... मुझे मत सिखओ ..... मोहब्बत की बाते....! जिस किताबो से.!! तुमने मोहब्बत.. सीखी है.. बो किताबे.. हमनें लिखी है.... ©Rameshkumar Mehra Mehra # जानेमन...... मुझे मत सिखाओ, मोहब्बत की बाते, जिस किताबो से तुमने , मोहब्बत सीखी है, बो किताबे हमने लिखी है......
Rameshkumar Mehra Mehra
बफा के नाम से मेरी जानेमन अनबन थी... किसी की बेबफाई से शायद परेशान थी...! हमनें बफा देनी चाही, तो पता चला...!! हम भी खुद बेवफा के नाम से बदनाम थे.... ©Rameshkumar Mehra Mehra # बफा के नाम से मेरी जानेमन थी, किसी की बेबफाई से शायद पेरशान थी, हमने जब बफा देनी चाही, तो पता चला, हम खुद बेबफा के नाम से बदनाम थे....
pramod malakar
((((( ऐ मेरी जानेमन ))))) ऐ मेरी जानेमन, सपनों में भरकर ले आऊंगा तुझे, अगर तुम नजर लड़ाना छोड़ दो। दिल के आगोश में भर लूंगा तुझे, मुस्कान भरी होश में अपना लूंगा तुझे। नजरे मेरी भी थोड़ी तिरछी हो जाती है, मिलती है जब नजरे,आंखें शर्मा जाती है। ऐ मेरी जानेमन, मैं भी आंखें मिलाना छोड़ दूंगा, अगर तुम नजर मिलाना छोड़ दो।। तमन्नाओं की आग तुम्हारे ख्वाबों को, सुलगती राख कर देगी। दिल में है अगर रिश्तो में प्यार, उगते सूरज भी तुम्हें बाहों में भर लेगी। निकल आओ मन के भंवर से बाहर, बेचैन बैठा हूं मैं तन्हाई में अकेला। उम्र में भी अब छा रहा है अंधेरा, हो जाने दो तुम अभी भी सवेरा। ऐ मेरी जानेमन, मैं भी भंवर में फंसना छोड़ दूंगा, अगर तुम नजर लड़ाना छोड़ दो।। &&&&&&&&&&&&&&&&& प्रमोद मालाकार....31.12.23 ©pramod malakar #ऐ मेरी जानेमन......
Rameshkumar Mehra Mehra